... खबर पत्रवार्ता : पीत वस्त्रों से सुसज्जित हुआ बगीचा नगर 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ, 2100 कलशों की भव्य शोभायात्रा निकली शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञापुत्रों ने कराया कलश पूजन, तीन दिनों तक चलेगा यज्ञीय अनुष्ठान।

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खबर पत्रवार्ता : पीत वस्त्रों से सुसज्जित हुआ बगीचा नगर 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ, 2100 कलशों की भव्य शोभायात्रा निकली शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञापुत्रों ने कराया कलश पूजन, तीन दिनों तक चलेगा यज्ञीय अनुष्ठान।

 


जशपुर, टीम पत्रवार्ता, 10 दिसंबर 2025

अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा बगीचा में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ आज भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। नगर में चारों ओर पीत वस्त्रों से सुसज्जित मातृशक्तियों ने आस्था और उत्साह का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। नगर की विभिन्न दिशाओं से निकली कलश यात्राएं स्थानीय डोड़की स्थल पर एकत्रित हुईं, जहां 2100 कलशों में जल पूजन कर देवशक्तियों का आवाहन किया गया और यज्ञशाला में उनका विधि-विधान से स्थापना की गई।

यज्ञीय अनुष्ठान के प्रथम दिवस की शुरुआत गायत्री परिवार बगीचा द्वारा संपन्न कलश शोभायात्रा से हुई। पूरे नगर को विचार क्रांति अभियान के पीले ध्वजों और पुष्प सज्जा से अलंकृत किया गया। गायत्री प्रज्ञा पीठ बगीचा, शिव मंदिर रौनी रोड तथा झांपीदरहा दुर्गामंदिर से निकली कलश यात्राओं ने पूरे नगर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।

शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहित आदरणीय दिनेश जी पटेल, भूषण साहू, छविलाल जी, हेमलाल जी एवं गणेश जी का स्वागत यज्ञ समिति द्वारा ससम्मान किया गया। समस्त मातृशक्तियों का पूजन, वंदन एवं आरती महिला मंडल ने किया।

पहले दिवस के मुख्य संबोधन में टोली नायक दिनेश पटेल ने कहा कि यह महायज्ञ सभी के दुख निवारण एवं विचार निर्माण का अवसर है। उन्होंने कहा— “हम सबमें देवत्व का वास जागृत हो, व्यक्ति के विचार बदलें—इसी उद्देश्य से यह यज्ञीय अनुष्ठान आयोजित है।” कार्यक्रम में ‘माता तेरे चरणों में स्थान जो मिल जाए’ जैसे सुमधुर गायन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उन्होंने आगे कहा कि जहां गायत्री यज्ञ होता है, वहां लोगों का दृष्टिकोण स्वतः परिवर्तन की ओर अग्रसर होता है। श्री पटेल ने गुरु शंकराचार्य के उद्धरण के माध्यम से बताया कि मनुष्य को मनुष्यता, देवत्व और श्रेष्ठ गुण—ये तीन चीजें दुर्लभ हैं, और ऐसे महायज्ञ विशेष दैवीय अनुग्रह का अवसर प्रदान करते हैं।

उन्होंने बताया कि जैसे नदियाँ समुद्र में जाकर मिल जाती हैं, वैसे ही यज्ञ के माध्यम से मनुष्य के दोष और कषाय शांत होकर देवत्व की ओर प्रगति होती है। यज्ञ जीवन का अनुशासन है, और जो हम यज्ञ में अर्पित करते हैं, उसका शुभ फल हमें अनेक गुना प्राप्त होता है। शास्त्रों में यज्ञ को सर्वोत्तम कर्म कहा गया है।

आयोजकों ने बताया कि अनुष्ठान आगामी तीन दिनों तक चलेगा। कल प्रातः 9 बजे से यज्ञ हवन, देवपूजन एवं देव आवाहन की विधियां संपन्न होंगी।

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