सावधान ! हो जाएं पत्थरगढ़ी के नाम पर भ्रम फ़ैलाने वाले
जशपुर(योगेश थवाईत) "जो भी हो जाए जशपुर को बस्तर बनने नहीं देंगे।पहले भी अपने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बुलंदी से खड़े थे और आज भी खड़े हैं,बाजुओं में अब भी वही दम है इरादे भी वैसे ही बुलंद हैं।"पूर्व मंत्री व जनजातीय सुरक्षा मंच के सुप्रीमो गणेश राम भगत ने अपने बुलंद इरादों के साथ यह बातें कही और यहाँ की जनता को विश्वास दिलाया कि पिछले एक सप्ताह से उत्तर छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में जो नक्सलवाद के बीज बोकर सामाजिक विषमता लाने का प्रयास किया जा रहा है उसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने पत्रवार्ता डॉट कॉम से दूरभाष पर चर्चा के दौरान बताया की इनको धमकी देने से काम नहीं चलेगा हमें जमीनी पकड़ के साथ धमक करनी होगी।ये काम 1978 में भी बादल खोल अभ्यारण्य में शुरू हुआ था।मैडम मेरी जो नन थी उसके नेतृत्व में एडिशनल कलेक्टर पदमवीर सिंह को पेड़ के नीचे बंधक बना कर रखा गया था और एसडीओ शर्मा को उनके कपड़े खोल कर पेड़ में बांध कर रखा गया था।जशपुर उन परिस्थितयो से भी लड़ा है और आज की इस विपरीत परिस्थिति से लड़ने के लिए भी हम तैयार हैं।
"उन्होंने अतीत की बातों पर जोर देते हुए बताया छत्तीसगढ़ में मिशनरियों के नेतृत्व में नक्सली अभियान की शुरआत 1978 में मेडम मेरी के नेतृत्व में हुई थी जिसमें इनके द्वारा क्षेत्र के लोगो को सरकारी योजनाओ का विरोध करने हेतु उकसाया जा रहा था और सरकारी लोगों का बादलखोल अभ्यारण्य क्षेत्र में घुसने पर प्रतिबन्ध था।"
हित रक्षा प्रमुख रामप्रकाश पाण्डेय ने बताया की ये लगभग दो से तीन साल तक चला,तब कल्याण आश्रम के द्वारा यह तय किया गया की आदिवासियों के इस योजना का विरोध आदिवासी व्यक्ति से करना उचित होगा तब गणेश राम जी को आगे लाया गया और उन्होंने जशपुर के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए इन मिशनरियों का विरोध किया।जिससे इनका कार्य कमजोर हुआ और जशपुर में अपनी पैठ बनाने में असफल हुए तभी जशपुर छोड़कर 1982 में बस्तर में शिफ्ट हुए और बस्तर में नक्सलवाद की शुरुआत हुई,यदि उस समय इनका पुर जोर विरोध नही हुआ होता तो जशपुर की स्थिति बस्तर से भी बत्तर होती।
"पूर्व मंत्री ने कहा कि बीते रविवार को बगीचा के बछराव में किसी संगठन द्वारा पत्थरगढ़ी के नाम पर जो शुरुआत की गई है वह समूचे उत्तर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के पुनः पनपने का कारण बनता नजर आ रहा है जिस पर लगाम लगाना बेहद जरुरी है"
सफलता पूर्वक अपने कार्य को अंजाम देना स्पष्ट है की उन्हें शासन प्रशासन का कोई खौफ नहीं उन्होंने यह भी बताया की जब प्रशासनिक लोगों को आमंत्रण मिला था तो जाना चाहिए था"उन्होंने इच्छाशक्ति की कमी बताते हुए कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर इच्छाशक्ति जगाकर जमीनी कार्य करने की आवश्यकता है तभी ऐसी शक्तियों से लड़ा जा सकता है जिसके लिए वे तैयार हैं।"
उन्होंने पत्रवार्ता डॉट कॉम के माध्यम से जशपुर की जनता को विश्वास दिलाया है की गणेश राम भगत तब भी खड़ा था और अब भी खडा है किसी को चिंता करने की जरुरत नहीं समय आने पर उन्हें तगड़ा जवाब दिया जाएगा और किसी कीमत पर जशपुर को बस्तर बनने नहीं दिया जाएगा।
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