... खबर पत्रवार्ता : कलेक्टर रोहित व्यास ने किया 250 वर्ष पुराने प्रभु जगन्नाथ मंदिर का अवलोकन,प्राचीन कुएं के जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने विभागों को किया निर्देशित।

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खबर पत्रवार्ता : कलेक्टर रोहित व्यास ने किया 250 वर्ष पुराने प्रभु जगन्नाथ मंदिर का अवलोकन,प्राचीन कुएं के जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने विभागों को किया निर्देशित।

 

जशपुर,26 जून 2025,टीम पत्रवार्ता

जशपुर जिले के दुलदुला विकासखंड के ग्राम कस्तूरा में स्थित ऐतिहासिक प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर की आध्यात्मिक आभा और सांस्कृतिक वैभव का अवलोकन करने बुधवार को कलेक्टर रोहित व्यास पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मंदिर के समीप स्थित प्राचीन कुएं के जीर्णोद्धार के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए, ताकि इस धरोहर को संरक्षित किया जा सके। मंदिर समिति के अध्यक्ष कर्णपाल सिंह ने बाजार डांड के लिए सीसी रोड निर्माण की मांग रखी, जिस पर कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।इस अवसर पर सहायक कलेक्टर अनिकेत अशोक, एसडीएम कुनकुरी नंद जी पांडे, जनपद पंचायत सीईओ कुनकुरी और तहसीलदार राहुल कौशीक उपस्थित रहे।

250 वर्ष पुराना है कस्तूरा का जगन्नाथ मंदिर

मंदिर के पुजारी मुकेश कुमार दास ने बताया कि कस्तूरा का प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर 200 से 250 वर्ष पुराना है और इसे जशपुर के राज परिवार द्वारा संरक्षित किया जाता रहा है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। मंदिर की देखरेख और संरक्षण का जिम्मा श्री बाला जी ट्रस्ट, जशपुर के पास है, जो जशपुर के 7 मंदिरों का प्रबंधन करता है, जिसमें कस्तूरा और चराई डांड के मंदिर शामिल हैं।रथयात्रा की अनूठी परंपरा पंडित मुकेश कुमार दास ने बताया कि कस्तूरा में पिछले 250 वर्षों से प्रभु श्री जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी की रथयात्रा हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है। 

ज्येष्ठ पूर्णिमा को प्रभु का देव स्नान कराया जाता है, जिसके बाद 15 दिनों तक मंदिर में दर्शन वर्जित रहते हैं। इस दौरान प्रभु जगन्नाथ को "बीमार" माना जाता है और उनकी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से देखभाल की जाती है। 

इसके बाद नेत्र उत्सव मनाया जाता है, जिसमें विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ रथयात्रा निकाली जाती है।रथयात्रा में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को मौसी बाड़ी ले जाया जाता है, जहां वे 9 दिनों तक विराजमान रहते हैं। दसवें दिन भव्य रथ के साथ प्रभु की वापसी होती है और उन्हें पुनः मंदिर में स्थापित किया जाता है। यह परंपरा कस्तूरा के लोगों की गहरी आस्था और उत्साह का प्रतीक है।

कलेक्टर के निर्देश से बढ़ी उम्मीदें

कलेक्टर रोहित व्यास के इस दौरे और प्राचीन कुएं के जीर्णोद्धार के निर्देश से स्थानीय लोगों में उत्साह है। मंदिर समिति और ग्रामीणों का मानना है कि इससे न केवल मंदिर की धरोहर संरक्षित होगी, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन और आध्यात्मिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।जशपुर का यह प्राचीन मंदिर और इसकी रथयात्रा न केवल स्थानीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है।

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