... ब्रेकिंग पत्रवार्ता : टेंडर स्वीकृति में गड़बड़झाला,विकास कार्य में बाधक बना परिषद,नगर पालिका परिषद में फिर सामने आया अनियमितता का मामला,समझिए पूरा मामला,निविदाकर्ता ने न्यायालय जाने की शुरु की तैयारी।

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ब्रेकिंग पत्रवार्ता : टेंडर स्वीकृति में गड़बड़झाला,विकास कार्य में बाधक बना परिषद,नगर पालिका परिषद में फिर सामने आया अनियमितता का मामला,समझिए पूरा मामला,निविदाकर्ता ने न्यायालय जाने की शुरु की तैयारी।

जशपुर, टीम पत्रवार्ता,19 जुलाई 2023

जशपुर नगर पालिका में लगातार अनियमितता के कारण  विकास कार्यों पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है।परिषद के निर्णय लगातार सवालों के घेरे में नजर आ रहे हैं। इस बार 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक आहुत किये गये जोनल टेण्डर की दर अस्वीकृत कर परिषद ने अपनी कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।हांलाकि निविदाकर्ता ने नगरपालिका परिषद् में पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा है वहीं विधिक कार्यवाही की चेतावनी भी दी है।

दरअसल नगर पालिका द्वारा जारी जोनल निविदा में प्रार्थी के द्वारा 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक में जोनल कार्य हेतु टेण्डर पेपर्स प्रस्तुत किये गये थे। जिसमें शीतल जैन के द्वारा शासकीय दर से 24.24 % कम दर पर टेंडर भरे गये थे।जो सभी टेण्डर प्रस्तुतकर्त्ताओं से निम्न दर पर था।इसके बावजूद नगर पालिका परिषद ने टेंडर अस्वीकृत कर दिया गया। 

उल्लेखनीय है कि जशपुर नगर पालिका लंबे समय से अपनी नियम विरुद्ध कार्यप्रणाली को लेकर चर्चे में रहा है।इज़के बावजूद न तो अध्यक्ष इस पर अंकुश लगा पा रहे हैं न उपाध्यक्ष ऐसे में शहर सरकार लगातार सवालों के घेरे में नजर आ रही है।

इससे भी कम दर को परिषद ने किया है स्वीकृत

यहां परिषद के द्वारा नियमों की स्पष्ट अवहेलना नजर आ रही है। पूर्व में नगर पालिका परिषद् के द्वारा दिनांक 31 जुलाई 2020 के सामान्य सभा की बैठक में कंडिका क्रमांक 12 में शासकीय दर से 26.15 कम दर को पास किया गया है।वहीं वर्तमान में प्रस्तुत की गई दर से अधिक कम दर पर पौनी पसारी एवं अन्य कार्य लगभग 27% शासकीय दर से कम में प्रस्तुत निविंदा को नगरपालिका परिषद् द्वारा पास किया गया है।

जिसमें सभी कार्यों को फर्म के द्वारा गुणवत्ता पूर्ण समयावधि के अन्दर कार्य पूर्ण किया गया है। विभाग को कार्य में कहीं कोई शिकायत नहीं मिली कोई कार्य लंबित भी नहीं है ऐसे में प्रार्थी ने उक्त नगरपालिका परिषद द्वारा अस्वीकृति अथवा निरस्तीकरण आदेश को पुनर्विचार में लिये जाने का आवेदन किया है।

कम दर पर गुणवत्तापूर्ण कार्य होने से शासकीय राशि की बचत होगी वहीं निविदा प्रक्रिया लंबित नहीँ होगी।न्यूनतम दर में यदि परिषद स्वीकृति नहीं देता है तो प्रार्थी शीतल कुमार जैन ने विधिक कार्यवाही की चेतावनी भी दी है।

बहरहाल अब देखना होगा कि परिषद के निर्णय पर विकास कार्यों के मद्देनजर जिला प्रशासन क्या रुख इख्तियार करता है।

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