... ब्रेकिंग जशपुर : सर्पदंश से कोरवा महिला की दर्दनाक मौत,समय पर इलाज नहीं,घटना के बाद जागा सरकारी तंत्र,पंचायत सचिव ने सीईओ को किया गुमराह।

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ब्रेकिंग जशपुर : सर्पदंश से कोरवा महिला की दर्दनाक मौत,समय पर इलाज नहीं,घटना के बाद जागा सरकारी तंत्र,पंचायत सचिव ने सीईओ को किया गुमराह।

 

जशपुर, टीम पत्रवार्ता,17 जुलाई 2025

जशपुर जिले के मरंगीपाठ में सर्पदंश की एक और दर्दनाक घटना सामने आई है। गांव की भूली बाई कोरवा (40 वर्ष) की मौत समय पर इलाज न मिलने के कारण हो गई।जानकारी के अनुसार,जनपद पंचायत बगीचा के ग्राम मरंगी पाठ आसनपानी निवासी भूली बाई अपने परिवार के साथ अधूरे प्रधानमंत्री आवास में जमीन पर सो रही थी। रात लगभग 2 बजे सांप ने उसके पैर में डंस लिया। हालत बिगड़ने पर परिजन उसे इलाज के लिए ले जाने की जद्दोजहद में लग गए।

सबसे बड़ी बात जमुनियापाठ से मरंगीपाठ तक कच्ची दुर्गम सड़क होने के कारण बरसात में वह चलने लायक नहीं होती जिसके कारण कोई भी गाड़ी लेके यहां आना नहीं चाहते।कई बार मरीजों को ढोकर चलना पड़ता है।

उक्त मामले में गांव से लगभग 7-8 किलोमीटर दूर जाकर बोलेरो जीप की व्यवस्था की गई। भूली को अंबिकापुर ले जाया जा रहा था, लेकिन शंकरगढ़ पहुंचते ही सुबह करीब 6 बजे के आसपास उसने दम तोड़ दिया। किराए का वाहन उन्हें शंकरगढ़ अस्पताल में छोड़कर वापस लौट गया, जहां डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया।

इस घटना के बाद परिजनों ने जनप्रतिनिधियों को सूचना दी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और दोपहर 1 बजे पंचनामा व पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू हुई।बीएमओ डॉ सुनील लकड़ा ने शंकरगढ़ अस्पताल से संपर्क स्थापित कर शव को वापस लाने की व्यवस्था की बात कही है।

सरकारी तंत्र की लापरवाही उजागर

ग्राम सचिव उपनन्द यादव ने जनपद सीईओ को गुमराह करते हुए शव को सन्ना अस्पताल में होने की जानकारी दी, जबकि शंकरगढ़ में दोपहर 2:30 बजे पोस्टमार्टम शुरू हुआ।घटना के वक्त न सचिव, न मितानिन और न ही स्वास्थ्य अमला सक्रिय रहा।उल्लेखनीय है कि भूली बाई का पीएम आवास आज भी अधूरा है न तो उसमें खिड़की है न दरवाजा है वहीं पुराना घर देखरेख के अभाव में गिर रहा है।

बड़ा सवाल — कब सुधरेगा सिस्टम?

सर्पदंश से मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन के पास अब तक कोई ठोस योजना नहीं है। गरीब परिवार आज भी जमीन पर सोने को मजबूर हैं और बार-बार ऐसे हादसों के शिकार हो रहे हैं।

भूली बाई के 8 अनाथ बच्चे — भविष्य अंधकार में

भूली बाई के पहले पति से 4 बच्चे और वर्तमान पति से भी 4 बच्चे हैं। मां के साए के बिना इन बच्चों के भविष्य पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

यह घटना फिर सवाल खड़ा करती है —

 क्या गरीबों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?जिम्मेदार कर्मचारी अधिकारी कब अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे।बहरहाल बगीचा जनपद सीईओ केके श्रीवास ने वाहन के व्यस्था की बात कही है।बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है कि गरीब परिवार कब तक जमीन में सोकर अपनी जान गंवाते रहेंगे।

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