... राजनीति : तो छत्तीसगढ़ में बदल जाएगी भाजपा की तस्वीर,उत्तर छत्तीसगढ़ के जशपुर से चली लहर से सधेगा आदिवासी वोट बैंक,पूरे प्रदेश में भाजपा को होगा बड़ा लाभ,देखिए समझिए आदिवासी वनवासी हितों के लिए 15 वर्षों से सतत संघर्ष कर रहे जनजातीय सुरक्षा मंच का पूरा समीकरण,पूर्व मंत्री गणेश राम भगत क्यों हैं खास..?

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राजनीति : तो छत्तीसगढ़ में बदल जाएगी भाजपा की तस्वीर,उत्तर छत्तीसगढ़ के जशपुर से चली लहर से सधेगा आदिवासी वोट बैंक,पूरे प्रदेश में भाजपा को होगा बड़ा लाभ,देखिए समझिए आदिवासी वनवासी हितों के लिए 15 वर्षों से सतत संघर्ष कर रहे जनजातीय सुरक्षा मंच का पूरा समीकरण,पूर्व मंत्री गणेश राम भगत क्यों हैं खास..?


रायपुर,टीम पत्रवार्ता,29 अगस्त 2023

BY योगेश थवाईत

छत्तीसगढ़ में भाजपा को सियासत का झंडा बुलंद करना है तो एकमात्र आदिवासी वोट बैंक को साधने का प्रयास भाजपा को करना होगा।इतिहास गवाह रहा है कि जब भी प्रदेश में परिवर्तन की लहर उठी है तो वह उत्तर छत्तीसगढ़ के जशपुर से पूरे प्रदेश में फैली है जिसका लाभ सतत बीजेपी को मिलता आया है।

अब बात करते हैं सरगुजा के सियासती समीकरण की जहां की सभी सीटों पर भाजपा पिछले चुनाव में पूरी तरह से साफ हो चुकी है।दरअसल भाजपा को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो आदिवासी वोट बैंक पर अपनी गहरी पकड़ रखता हो ऐसे में 15 वर्षों से डिलिस्टिंग, धर्मांतरण, गौ तस्करी के माध्यम से वनवासी आदिवासी हितों के संरक्षण के लिए पूरे देश मे सतत कार्य कर रहे जनजातीय सुरक्षा मंच को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

आज गणेश राम भगत जनजातीय सुरक्षा मंच के माध्यम से सरगुजा संभाग की सभी सीटों पर सर्वमान्य आदिवासी नेता के रुप में अपनी गहरी पैठ बना चुके हैं।लाखों समर्थक आज भी हिंदुत्व का झंडा बुलंद करते नजर आते हैं।वहीं उत्तरप्रदेश भाजपा में मिली अहम जिम्मेदारी पर उन्होंने जशपुर से यूपी जाकर भाजपा के 4 विधानसभा आदिवासी क्षेत्रों में जाकर भाजपा उम्मीदवार को जीत दिलाई।

ये है सत्ता का समीकरण

दरअसल सरगुजा संभाग में जशपुर की तीनों विधानसभा सीट जशपुर, कुनकुरी,पत्थलगांव समेत सीतापुर,लुंड्रा,सामरी,बलरामपुर जैसी 14 सीटें ऐसी हैं जहां छिपा है सत्ता का समीकरण।इनमें से 9 सीटें आदिवासियों के लिये आरक्षित हैं और जहां आदिवासी सीटें नहीं हैं वहां भी आदिवासी वोटर्स एक्स फैक्टर के रुप में कार्य करते आए हैं।लिहाजा जशपुर के इस आदिवासी नेता को भाजपा अगर साधती है तो राज्य के उत्तरी इलाके से बड़े बदलाव के संकेत मिल सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि जशपुर से उठी लहर का प्रभाव सरगुजा संभाग समेत पूरे प्रदेश में होता है।पिछले विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी संगठन ने आदिवासी चेहरों को दरकिनार किया।इस बार अगर भाजपा पूर्व मंत्री गणेश राम को साधने में सफल होती है तो निश्चित ही जशपुर,कुनकुरी,पत्थलगांव,लुंड्रा,सामरी,बलरामपुर समेत सीतापुर सीटों पर आदिवासी उरांव समाज का बड़ा जनसमर्थन भाजपा को मिलेगा।

वर्तमान जशपुर भाजपा का जो परिदृश्य नजर आ रहा है उसके अनुसार यहां बस अपने वर्चस्व को लेकर भाजपा की गुटबाजी चरम पर है।ऐसे में बिना मजबूत कंधों के हवा को बदलना मुश्किल होगा।लिहाजा प्रदेश व केंद्रीय संगठन को गंभीरता से विचार करते हुए उन चेहरों को प्राथमिकता देना होगा जिससे प्रदेश की राजनीति में भाजपा का परचम लहरा सके।अब समझिए जनजातीय सुरक्षा मंच और उसका समीकरण।

राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने की थी स्थापना

देश मे  रहने वाले 12 करोड़ जनजातियों की संवैधानिक मांग डिलिस्टिंग के मुद्दे को लेकर 2007 में जनजातीय सुरक्षा मंच का गठन किया गया था। तब से लेकर आज तक गणेश राम भगत धर्मांतरण,डिलिस्टिंग,नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर आदिवासी समुदाय के बीच अपनी गहरी पकड़ बना चुके हैं।मंच की ओर से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को 35 लाख लोगों के हस्ताक्षर कर ज्ञापन भी दिया जा चुका है।गणेश राम भगत के वर्ष 2019 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद देश के 7 राज्यों की राजधानी में विशाल आंदोलन हुए जिसमें रायपुर ,रांची भुनेश्वर में स्वयं श्री भगत उपस्थित रहे।

कौन हैं गणेश राम भगत

जशपुर अखिल भारती वनवासी कल्याण आश्रम में रहकर बचपन से सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक वनयोगी बाला साहब देशपांडे के सानिध्य में कल्याण आश्रम के श्रध्दा जागरण का कार्य, कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव के साथ देश के विभिन्न राज्यों में भ्रमण एवं कल्याण आश्रम कार्य का विस्तार करते हुए आश्रम के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के दायित्वों का निर्वहन किया।वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान जेल गए कार्यकर्ताओं के परिवार एवं कल्याणं आश्रम की देखरेख का जिम्मा इन्होंने बखूबी निभाया।

आपातकाल के पश्चात् बाला साहब देशपांडे ने इन्हें राजनीति में भेजा और पहली बार जशपुर नगरपालिका से गणेश राम भगत पार्षद के लिए निर्वाचित हुए।वर्ष 1985 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की टिकट मिली और जशपुर विधानसभा से विधायक बने।जिसके बाद यहां भाजपा का अभेद गढ़ बन गया और 1985 से 2003 तक लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित होते रहे।

अविभाजित मध्यप्रदेश में बने संसदीय सचिव

गणेश राम भगत मध्यप्रदेश सरकार में संसदीय सचिव एवं छत्तीसगढ़ सरकार में वर्ष 2003 से 2007 तक केबिनेट मंत्री के पद पर रहे इस दौरान आदिम जाति कल्याण विभाग, वन पर्यावरण, खाद्य एवं आवास मंत्री जैसे विभाग के दायित्यों का निर्वहन किया ।छत्तीसगढ़ सरकार में केबिनेट मंत्री रहते हुए प्रदेश में आदिम जनजातियों के हित मे तथा उनकी संस्कृति परम्परा का संरक्षण करते हुए प्रदेश में बढ़ रहे नक्सलवाद को समाप्त करने हेतु गांव गांव का दौरा कर नक्सलियों और ग्रामीणों के बीच बन रहे संबंध को तोड़कर प्रदेश के जशपुर जिला एवं सरगुजा जिला को नक्सली मुक्त कराने में विशेष योगदान दिया।क्षेत्र में खुलेआम हो रहे गौ तस्करी पर रोक लगाने हेतु निरंतर कार्यरत होने के कारण नक्सलियों के हिट लिस्ट में होने के कारण केंद्र सरकार के द्वारा Y श्रेणी सुरक्षा प्रदान की गई जो आज भी है।वर्ष 2018 से रोहतासगढ़ तीर्थ यात्रा समिति के राष्ट्रीय संयोजक दायित्व का निर्वहन एवं देश के अन्य राज्यों में निवासरत उरांव जनजाति के लोंगों को उरांव जनजाति के उत्पति स्थल रोहतासगढ़ बिहार की यात्रा प्रेरित कर रहे हैं।बात करें राजनीतिक दायित्व की तो छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं जिला भाजपा कोर ग्रुप के सदस्य के रुप में संगठन में कार्यरत हैं।

बहरहाल आने वाले समय में भाजपा के लिए आदिवासी वोटों को साधना बेहद जरुरी है।अब देखना होगा कि भाजपा इसके लिए क्या पहल करती है।


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