... ब्रेकिंग पत्रवार्ता :गंभीर हालत में "ऑटो" में बैठकर "अस्पताल" पंहुची कोरवा जनजाति की गर्भवती महिला",न महतारी एक्सप्रेस मिली न मिली संजीवनी,नवपदस्थ गायनिकोलॉजिस्ट डॉ.जयंत भगत ने दिखाई संवेदना,बचाई महिला की जान,3 दिनों से पेट में मृत था गर्भस्थ शिशु ..पढ़ें जनसरोकार की पत्रकारिता सिर्फ पत्रवार्ता पर

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ब्रेकिंग पत्रवार्ता :गंभीर हालत में "ऑटो" में बैठकर "अस्पताल" पंहुची कोरवा जनजाति की गर्भवती महिला",न महतारी एक्सप्रेस मिली न मिली संजीवनी,नवपदस्थ गायनिकोलॉजिस्ट डॉ.जयंत भगत ने दिखाई संवेदना,बचाई महिला की जान,3 दिनों से पेट में मृत था गर्भस्थ शिशु ..पढ़ें जनसरोकार की पत्रकारिता सिर्फ पत्रवार्ता पर

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,31 अगस्त 2021

BY योगेश थवाईत

एक ओर दर्द से कराहती गर्भवती महिला,पेट में मृत गर्भस्थ शिशु,उसपर मुसीबतों का पहाड़,परेशानी ऐसी जिसका समाधान किसी बड़े हॉस्पिटल में संभव था।इधर जिला स्वास्थ्य अधिकारी को सुचना देने के बाद भी अधिकारियों की असंवेदनशीलता ही सामने आई।न तो गर्भवती महिला को महतारी एक्सप्रेस की सेवा मिल सकी,न ही उसे संजीवनी 108 ने जीवन दान दिया।ऐसे समय में एक समाजसेवी ने ऑटो की मदद से महिला को बगीचा अस्पताल भेजा और यहाँ नवपदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ जयंत भगत ने अपनी सुझबुझ और तत्परता से गर्भवती महिला को जीवन दान दे दिया।

मामला है जशपुर जिले के पंडरा पाठ के जाडाकोना का जहाँ कोरवा जनजाति की महिला काली पति महावीर को कल शाम से पेट में असहनीय दर्द होने लगा।चूँकि महिला गर्भवती थी तो परिजन उसे आज पंडरापाठ अस्पताल लेकर पंहुचे थे।यहाँ उपस्थित स्टाफ ने उन्हें बताया कि पेट में बच्चा मर चुका है और यहाँ इसे बाहर नहीं निकाला जा सकता।हांलाकि दर्द की प्रारम्भिक चिकित्सा वहां शुरू की गई और उसे तत्काल अंबिकापुर जाने की सलाह दी गई।परिजनों के निवेदन पर पन्डरापाठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित स्टाफ नर्स ने पुरी जिम्मेदारी से उन्हें बगीचा भेजने की कोशिश की 108 व 102 को फोन लगाकर सुचना देने के बाद भी उन्हें वाहन की सुविधा नहीं मिल पाई।

पत्रवार्ता ने सीएमएचओ डॉ पी सुथार को फोन कर मामले की जानकारी दी।जिसपर सीएमएचओ ने बगीचा से  एम्बुलेंस भेजने की बात कही।इधर लगातार महिला की तबियत बिगडती जा रही थी और परिजन परेशान हो रहे थे।गंभीर स्थिति को देखते हुए समाजसेवी फजीर आलम ने मानवता दिखाई और तत्काल आटो की मदद से परिजनों के साथ महिला को बगीचा अस्पताल भिजवाया।

मामले में पत्रवार्ता की नजर बनी हुई थी।बगीचा में नवपदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ जयंत भगत को फोन पर सारी जानकारी मिल चुकी थी। उन्होंने बिना देर किये महिला का ईलाज शुरु किया और सहयोगी स्टाफ नर्स संज्योति व इंदु की मदद से मृत गर्भस्थ शिशु को बाहर निकाला।

डॉ जयंत ने बताया कि केस गंभीर था।गर्भस्थ शिशु को पेट में मरे हुए 2 से 3 दिन बीत चुके थे सड़न शुरु हो गई थी।संक्रमण फ़ैल सकता था और मां की जान को भी खतरा हो सकता था।सही समय पर परिजन बगीचा अस्पताल आ गए जहाँ महिला को उचित ईलाज मिल सका।फिलहाल मां सुरक्षित है कुछ दिन अपनी निगरानी में रखने के बाद पूर्ण स्वस्थ होने पर उन्हें घर भेजा जाएगा।
 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा में गायनिकोलॉजिस्ट डॉ जयंत भगत के आने से महिला को अंबिकापुर रिफर करना नहीं पड़ा।यह बगीचा अस्पताल की बड़ी उपलब्धि मानी जा आ रही है।उल्लेखनीय है कि डॉ भगत को जशपुर अटैच कर दिया गया था और यहाँ की ऐसी जरूरतों को देखते हुए उन्हें पुनः बगीचा बुलाया गया है।फिलहाल महिला के साथ उनके परिजन मौजूद हैं और वे खुश हैं उन्होंने कहा डॉ साहब नहीं होते तो हमारा क्या होता। 


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