बिलासपुर(पत्रवार्ता) हाईकोर्ट ने क्षणिक आक्रोश में किए गए हमले में मौत होने को हत्या के बजाय गैर इरादतन हत्या माना है। इसके साथ ही एक मामले में आरोपियों के उम्र कैद की सजा को 10 वर्ष के कारावास में परिवर्तित करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया है।
दरअसल गौरेला थाना क्षेत्र के ग्राम आमानाला निवासी सुखपाल सिंह पर बड़ा भाई बेचूराम पत्नी से अवैध संबंध का संदेह करता था। इस बात को लेकर बेचूराम ने 4 जनवरी 2011 को सुखपाल को अलग रहने की बात कहते हुए गाली गलौज की। विवाद बढ़ने पर मारने के लिए दौड़ाया। वह गांव की गली में भाग रहा था, उसी दौरान उसका चचेरा भाई छोटन आया और सुखपाल को पलट कर वार करने उकसाया। इस पर सुखपाल ने अपने बड़े भाई के हाथ से कुल्हाड़ी छीनकर उसके सिर पर एक वार कर दिया इससे बड़ा भाई बेचू मौके में ही गिर गया। रिपोर्ट पर गौरेला पुलिस ने सुखपाल व उसके चचेरा भाई छोटन को धारा 302,34 के तहत गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया। सत्र न्यायालय ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस गौतम चौरडिया की डीबी में सुनवाई हुई। कोर्ट के समक्ष यह बात सामने आई कि आरोपी साथ में कोई हथियार लेकर नहीं आया था। गुस्सा आने पर उसने दौड़ा रहे बड़े भाई के हाथ से कुल्हाड़ी लेकर सिर्फ एक वार किया था, उसका उद्देश्य हत्या करना नहीं था। वहीं गवाहों के बयान से यह साबित नहीं होता कि दोनों भाई के बीच पहले से कोई रंजिश थी।
कोर्ट ने आरोपियों को हत्या के बजाय गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया। इसके लिए आरोपियों को धारा 302 के बजाय धारा 304 भाग 2 के तहत 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। आरोपी साढ़े आठ वर्ष से जेल में बंद हैं।
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