... व्यथा- श्मशान में आशियाना,सामाजिक व प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलता पहाड़ी कोरवा ट्रांसजेंडर।

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व्यथा- श्मशान में आशियाना,सामाजिक व प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलता पहाड़ी कोरवा ट्रांसजेंडर।

(योगेश थवाईत)

जशपुर(पत्रवार्ता.कॉम) क्या आप सोच सकते हैं .? कोई  इस कदर मजबूर हो जाए कि लोग जहाँ जिंदगी ख़त्म होने के बाद जाते हैं वहां वह अपना आशियाना बनाकर अपने उपेक्षित जीवन से जद्दोजहद कर रहा हो। आपको अटपटा लग रहा होगा पर यह सच है एक ऐसी ही उपेक्षित जिंदगी से हम आपको रुबरु कराने जा रहे हैं।




एक ऐसी जिंदगी जो पहले ही सामाजिक दंश से पीड़ित है अपने परिवार से परेशान है ,न छत्त है,न आशियाना ,उसके पास कुछ है तो जीने की चाह....उसके आंखों की चमक बताती है कि वह आज भी अपने जीवन के लिए बेहद संजीदा है।तमाम जिल्लतें सहने के बाद भी उसे जिंदगी की चाहत है और उसी चाहत के लिए उसने श्मशान को  ही अपना आशियाना बना लिया।



जी हां हम बात कर रहे हैं जेठू राम की जो ट्रांसजेंडर होने के साथ पहाड़ी कोरवा विशेष संरक्षित जनजाति से है। वर्षों से श्मसान घाट ही इसकी जिंदगी है और यही इसका आशियाना।अब तक जेठू को केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।इसके पीछे कारण जो भी हो फिलहाल जेठू श्मशान घाट पर ही रहने को मजबूर है। जशपुर जिले में पहाड़ी कोरवाओं के नाम पर अरबों रुपये पानी की तरह खर्च कर दिये गए हों बावजूद इसके आज भी कई पहाड़ी कोरवा बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं,हम आपको एक ऐसे पहाड़ी कोरवा ट्रांसजेंडर की कहानी बता रहे हैं जो प्रशासनिक और सामाजिक उपेक्षा की वजह से श्मशान घाट में अकेले अपना जीवन यापन कर रहा है। 


"जेठूराम,जो ट्रांसजेंडर है 

और राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले 

विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवा जनजाति से है"


ट्रांसजेंडर होने की वजह से माता पिता की मृत्यु होने के बाद भाई ने इसे मारपीट कर घर से निकाल दिया,खुद उसने बताया की गांव के जमीन पर कोई सरकारी स्कूल बन गया,और बाकी पर भाई का कब्ज़ा जेठूराम की बदहाली का आलम यह है की इसके  सर छुपाने को न ही छत है और ना ही खेती के लिए कोई जमीन।


मामला है जशपुर के बगीचा नगर पंचायत का जहाँ जेठू पहाड़ी कोरवा लम्बे समय से स्थानीय शमशान घाट में रह रहा है जेठू ने बताया कि यहीं रहकर वह राशन कार्ड से मिलने वाले चावल के भरोसे सुखा खाना खाकर नदी के पानी से अपना पेट भर रहा है।वह जशपुर बगीचा के पाठ  इलाके का रहने वाला है,ट्रांसजेंडर होने की वजह से माता पिता की मृत्यु के बाद परिवार के लोगों ने इसे घर से निकाल दिया जिसके बाद यह बगीचा के कोरवा भवन में रहने लगा।


कुछ समय के बाद सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे जेठू राम को वहां से भी मारपीट कर भगा दिया गया। तब अटल आवास परिसर में इसे रहने के लिए स्थान मुहैया कराया गया जहाँ चोर उचक्कों और बदमाशों ने इसे रहने नहीं दिया।अपने जीवन से थक हारकर जेठू ने कड़ा निर्णय लेते हुए श्मशान को ही अपना आशियाना बना लिया और यहीं रहकर मजदूरी कर अपना भरण पोषण कर रहा है अब तक शासन प्रशाशन द्वारा जेठू को आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है।

आसपास के लोग बताते हैं कि यहाँ हमेशा चिता जलती रहती है और वहीँ बगल से जेठू नदी से पानी लाता है.रुखा सुखा खाकर वहीं अपना जीवन बीता रहा है।पहाड़ी कोरवा होने के साथ वह ट्रांसजेंडर भी है बावजूद इसके उसे शासन की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है उसने बताया कि उसके द्वारा नगर पंचायत बगीचा में आवेदन भी किया जा चूका है जिसपर अब तक कोई कार्यवाहीं नहीं हुई।

जब मामले में हमने नगर पंचायत के अधिकारी से बात की तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री आवास का हवाला दिया और जेठू के लिए व्यवस्था किये जाने की बात कही है।
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देखें वीडियो- "श्मशान में जिंदगी" यहां क्लिक करें।




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