... आयोजन : सभ्यता और संस्कृति के विकास की द्योतक हैं नदियां,आधुनिकीकरण के युग में नदियां उपेक्षित होती चली गई-डॉ ओमप्रकाश भारती, बिलासा महोत्सव में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन,"छत्तीसगढ़ के पर्यटन में नदियों के योगदान" विषय पर प्रबुद्धजनों ने बेबाकी से रखे अपने विचार।

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आयोजन : सभ्यता और संस्कृति के विकास की द्योतक हैं नदियां,आधुनिकीकरण के युग में नदियां उपेक्षित होती चली गई-डॉ ओमप्रकाश भारती, बिलासा महोत्सव में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन,"छत्तीसगढ़ के पर्यटन में नदियों के योगदान" विषय पर प्रबुद्धजनों ने बेबाकी से रखे अपने विचार।

बिलासपुर,टीम पत्रवार्ता,18 फरवरी 2023

By योगेश थवाईत

बिलासा कला के तीन दिवसीय बिलासा महोत्सव के प्रथम दिवस 17 फरवरी 2023 को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी"छत्तीसगढ़ के पर्यटन में नदियों का योगदान" विषय पर मुख्यवक्ता के आसंदी से बोलते हुए फिजी के पूर्व सांस्कृतिक राजदूत डॉ ओमप्रकाश भारती ने कहा कि जहां जहां नदी बही वहीं वही सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ।बाढ़ नदियों का परिष्कार करती है तो वहीं नदियां धरती का परिष्कार करती है।नदी से संस्कृति विकसित हुई है। 

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ भाषाविद डॉ विनय कुमार पाठक ने कहा कि नदी शब्द नद से बना है नद याने नाद जो कल कल छल छल करे।नीर नारी व नदी को पोषक माना गया है। 

मुख्य अतिथि सी वी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरपी दुबे ने कहा कि सृष्टि की रचना में केवल मानव ही नहीं है बल्कि सम्पूर्ण चराचर जगत है जिसमें नदी भी है।नदी के किनारे ही कृषि और पशुपालन की व्यवस्था विकसित होनी चाहिए।नदी के मानवीकरण की बात उन्होंने कही। 

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ पीसी लाल यादव ने कहा कि बिलासा दाई के नगरी बिलासा एखर नाव रे।नदियां केवल पानी ही नहीं बल्कि सांस भी देती है।जहां जहां नदी है वहां उसकी महत्ता है। 

पर्यावरण विद शिक्षक अक्षय नामदेव ने कहा कि नदियों के उद्गम,संगम को तीर्थ क्षेत्र माना गया है।नदियों के तट पर जप करने से करोड़ों गुना फल मिलता है।

किसी भी नदी के उद्गम से संबंधित एक लोक कहानी भी जुड़ी होती है।कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंच के संस्थापक डॉ सोमनाथ यादव ने सभी अतिथियों का परिचय कराते हुए कहा कि नदी ही हमारी पहचान है हमारी बिलासा नगरी भी अरपा नदी के किनारे बसी है, जिसके तट किनारे हम 33 वाँ बिलासा महोत्सव करने जा रहे हैं।

कार्यक्रम मे विषय से संबंधित बिलासा कला मंच द्वारा प्रकाशित पत्रिका का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।आभार प्रदर्शन मंच के अध्यक्ष महेश श्रीवास ने किया।

इस अवसर पर शहर के वरिष्ठ साहित्यकार और सुधिजन लोग उपस्थित रहे जिसमें द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, केके पाठक,डॉ सोमनाथ मुखर्जी, अजय शर्मा,राघवेंद्र धर दीवान,डॉ सुधाकर बिबे, दिनेश्वर जाधव, चंद्रप्रकाश देवरस, देवानंद दुबे,रामेश्वर गुप्ता, अश्विनी पांडे,नरेंद्र कौशिक, यश मिश्रा, ओमशंकर लिबर्टी, विनोद गुप्ता,अनूप श्रीवास, उमेद यादव,सुधीर दत्त,महेंद्र साहू,जीडी चौहान, डा विनोद वर्मा,डा विजय सिन्हा,रामकुमार श्रीवास,राकेश श्रीवास,डा प्रदीप निर्रेजक,प्रदीप कुमार आदि सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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