जशपुर(पत्रवार्ता) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे मेधावी छात्र ज्ञानेश ओझा को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के सर्वोत्कृष्ट सम्मान महामना अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
विश्वविद्यालय में आयोजित गणतंत्र दिवस के गरिमामय समारोह में कुलपति राकेश भटनागर इस सम्मान को प्रदान करते हुए ज्ञानेश ओझा द्वारा किये जा रहे संस्कृत संवर्धन के कार्यो एवं उनके लेखों की सराहना की।समाजोत्थान में उनके सहयोग का आव्हान भी किया है।
उल्लेलखनीय है कि ज्ञानेश को अपनी अतुलनीय प्रतिभा के लिए अनेकों सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। सूबे के जशपुर जिला निवासी ज्ञानेश अपनी प्रारम्भिक अध्ययन काशी में ही सम्पन्न करके वर्तमान में वहीं के बीएचयू से स्नातक कर रहे हैं,अपनी अध्ययन की अवधि में ज्ञानेश अनेकों स्थल पर विद्वत्संगोष्ठी में शास्त्रार्थ विजेता भी रहे हैं।
अपने कठिन परिश्रम से ज्ञानेश ने अपने लग्न और मेहनत से यह सिद्ध किया है की वाकई सफलता किसी की मोहताज नहीं होती अपनी सफलताओं से न केवल संस्था विशेष का सिर ऊंचा किया अपितु वर्तमान संस्कृत अध्येताओं में एक नई ऊर्जा की सरिता बहा दी और यह साबित कर दिया कि आज के वैश्वीकरण के दौर में संस्कृत के छात्र किसी से पीछे नहीं हैं और सिर उठाकर दुनिया से कदम से कदम मिलाकर सफलता की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।
महामना सम्मान पाने के बाद में ज्ञानेश ने बताया कि पंडित मदनमोहन मालवीय जी के आदर्शों पर चल कर अध्ययन और लेखन के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय परंपरा का संवर्धन ही मेरा लक्ष्य है। इसके साथ ही अपने युवामित्रों को संस्कृत और संस्कृति संवर्धन में आगे आमंत्रित करता हूँ।
अपने पुत्र के इस उपलब्धि पर उनके पिता मंगलेश ओझा एवं बन्धुजनों को खुशी का ठिकाना नहीं रहा और सभी अपने बेटे के इस अवार्ड से स्वयं को सम्मानित एवं गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।उन्होंने सभी शिक्षकों को धन्यवाद भी ज्ञापित किया है ।
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