... BREAKING NEWS:-पाईल्स का ईलाज करने वाले झोलाछाप को तीन साल की जेल और पांच हजार जुर्माना

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BREAKING NEWS:-पाईल्स का ईलाज करने वाले झोलाछाप को तीन साल की जेल और पांच हजार जुर्माना

 सीजेएम अनिल पांडे की कोर्ट ने सुनाई सजा

जशपुर (पत्रवार्ता.कॉम) मामला दिलचस्प है और आपके काम का यदि आप अपना ईलाज करा रहे हैं तो सतर्क हो जाएं।झोला छाप ईलाज करने वालों के चक्कर में न पड़ें। ऐसे ही एक झोलाछाप ने पाइल्स का इलाज कर दिया और जब मामला कोर्ट में पंहुचा तो सीजीएम कोर्ट ने कहा बिना पंजीयन और वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए बगैर इलाज करना गंभीर कृत्य है इसके लिए तीन साल का सश्रम कारावास और पांच हजार जुर्माना की सजा सुनाई जाती है।

मामला है जशपुरनगर के गम्हरिया का जहाँ बिना वैध लाइसेंस के क्लिनिक चलाने वाले झोला छाप डॉ. ने नगर के ही एक युवक का इलाज कर दिया था। हालत गंभीर होने पर युवक ने बिलासपुर जाकर इलाज कराया था और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराया था। इस मामले में सीजीएम अनिल पांडे की कोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए तीन साल का सश्रम कारावास एवं पांच हजार का जुर्मानने की सजा सुनाई है। 

19 फरवरी 2016 को बिजलीटोली निवासी संतोष तिवारी ने जशपुर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि उसे बवासीर की तकलीफ थी। गम्हरिया स्थित मोनाेसा क्लिनिक के डॉ. सुशांत सिकदार को दिखाया था। उसके द्वारा पांच हजार में पूर्ण उपचार करने की बात कही थी।उपचार के बाद मरीज का हालत बिगड़ता गया तब उन्होने जिला चिकित्सालय के डॉक्टरो को दिखाया। 

यहां के डॉक्टरो ने  उसके रोग व उसकी  गंभीर स्थिति को देखते  हुए बाहर उपचार कराने की सलाह दी। पाइल्स से ज्यादा रक्त स्त्राव को रहा था। प्रार्थी संतोष तिवारी के द्वारा बिलासपुर जाकर पैंसठ हजार रूपए खर्च कर उपचार कराया गया था। वहां उसके शरीर में सूजन आ गया था।  वहां डॉक्टरोे ने बताया कि गलत उपचार के कारण उसके शरीर में सूजन अाया है और रक्त स्त्राव ज्यादा मात्रा में हो रहा है। जशपुर पुलिस ने क्लिनिक को सील करते हुए मामला दर्ज कर मुख्य न्यायायिक दण्डाधिकारी अनिल पांडे की अदालत में मामला प्रस्तुत किया था।
झोलाछाप डाॅ. ने प्रार्थी के साथ समझौता कर लिया था। पर अदालत ने इसे गंभीर कृत्य मानते हुए एवं शासन के प्रार्थी होने के कारण समझौते की अनुमति नही दी। मामले में उभय पक्षो को सुनने के बाद न्यायालय ने सुशांत सिकदार को दोषी पाया। सजा के प्रश्न पर सुनवाई करते हुए विद्वान न्यायधीश ने कहा कि प्रकरण में विद्यमान परिस्थितियो में मरीजो के इलाज जैसे महत्वपूर्ण कार्य बिना वैध पंजीयन व आवश्यक वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए हुए किए जाने के कृत्य को गंभीर मानते हुए धारा 24 छत्तसीसगढ़ आर्युविज्ञान परिषद अधिनियम 1978 के तहत तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रूपए का अर्थदंड से दंडित करते हुए कहा कि यदि पांच हजार रूपए अर्थदंड नही बताया गया तो चार माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगताई जाए। 

जिले में झोलाछाप डॉक्टरो को मिलेगी सबक 
सरकारी वकील श्याम सहाय ने कहा कि जिले में गांव-गांव में इन दिनो झाेला छाप डाॅक्टरो की बाढ़ आई हुई है। जगह-जगह क्लिनिक खोल कर बड़े-बड़े उपचार के दावे करते हुए गरीब मरीजो के जान से खिलवाड़ करते है। बगीचा के महादेवडांड में तीन दिन पहले ही एक झोलाछाप डाॅक्टर के इलाज से एक महिला की मौत हो गई थी। जिसमें पुलिस ने बुधवार को उक्त डॉ. की क्लिनिक सील की है। एेसे लेागो के लिए यह फैसला एक सबक होगा।

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