जशपुर, टीम पत्रवार्ता, 26 अक्टूबर 2025
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की हरी-भरी पहाड़ियों और घने साल के जंगलों के बीच स्थित रानीदाह जलप्रपात जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता का एक अद्भुत प्रतीक है। यह झरना जशपुर नगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहरी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ख़ूबसूरत सड़कों से होकर जब कोई इस स्थल तक पहुँचता है, तो सामने फैली हरियाली, चट्टानों से गिरता दूधिया जल और पक्षियों की आवाज़ें मिलकर एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
बरसात के मौसम में रानीदाह अपने पूरे वैभव पर होती है, जब पानी कई धाराओं में बँटकर ऊँची चट्टानों से नीचे गिरता है। गर्मी के मौसम में जल प्रवाह भले थोड़ा कम हो जाए, लेकिन आसपास की प्राकृतिक शांति और वातावरण का सौंदर्य हमेशा समान रूप से मनमोहक रहता है।
रानीदाह जलप्रपात केवल प्राकृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि अपनी लोककथाओं और रहस्यमयी कहानियों के कारण भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले ओडिशा की एक राजकुमारी रानी शिरोमणि जशपुर की इन पहाड़ियों में आ पहुँची थीं। जब उनके पिता और पाँच भाई उनका पीछा करते हुए यहाँ पहुँचे, तो रानी ने अपमान और जबरन विवाह से बचने के लिए इसी गहरी खाई में छलांग लगा दी और अपने प्राण त्याग दिए।
उसी समय से यह झरना “रानीदाह” के नाम से जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है “रानी का जलप्रपात।” झरने के पास स्थित कुछ चट्टानें “पाँच भैया” के नाम से जानी जाती हैं, जो रानी के भाइयों के प्रतीक माने जाते हैं। यह कथा आज भी स्थानीय लोगों के बीच पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती है और इस स्थल को एक रहस्यमयी और भावनात्मक पहचान देती है।
प्रकृति प्रेमियों और सैर-सपाटे के शौकीनों के लिए रानीदाह जलप्रपात एक शांत, मनोरम और छायादार पिकनिक स्थल है। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल झरने की भव्यता का आनंद लेते हैं, बल्कि आसपास के गाँवों की लोकसंस्कृति, संगीत और आतिथ्य से भी प्रभावित होते हैं।
रानीदाह जलप्रपात जशपुर की आत्मा का प्रतीक है — जहाँ प्रकृति की सुंदरता, इतिहास की गहराई और लोककथाओं का आकर्षण एक साथ जीवंत हो उठता है। यदि आप कभी जशपुर आएँ, तो इस दिव्य स्थल का भ्रमण अवश्य करें और प्रकृति के इस अनुपम उपहार का अनुभव स्वयं करें।








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