जशपुर,टीम पत्रवार्ता,22 जून 2025
जिला प्रशासन, समग्र शिक्षा और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में संचालित "रूप नहीं गुण" कार्यक्रम के अंतर्गत जशपुर जिले में एक अनूठी पहल की शुरुआत हुई है। ग्राम पंचायत बम्हनपुर के अंतर्गत ग्राम बस्ता में जिले का पहला "व्यवहार कॉर्नर" स्थापित किया गया है, जो बच्चों के लिए संवाद, विचार और कार्य का एक प्रेरणादायी मंच बनकर उभर रहा है।
इस पहल का नेतृत्व गांव की स्वयंसेविका तेजल भगत कर रही हैं, जिनके मार्गदर्शन में गांव के 25 से अधिक बच्चे नियमित रूप से इस कॉर्नर में एकत्र होते हैं और सामाजिक सरोकार से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा करते हैं। इन विषयों में बाल विवाह की रोकथाम, साइबर सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा, सोशल मीडिया का प्रभाव, और बॉडी सेफ्टी जैसे मुद्दे शामिल हैं। यह कॉर्नर बच्चों को न सिर्फ जागरूक बना रहा है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता भी प्रदान कर रहा है।
बच्चों की सोच, बच्चों की पहल
ब्लॉक समन्वयक श्री गुरुदेव प्रसाद समय-समय पर कॉर्नर की गतिविधियों की समीक्षा करते हैं और बच्चों के कार्यों को दिशा प्रदान करते हैं। यूनिसेफ के जिला समन्वयक तेजराम सारथी ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में जिले में ऐसे 10 से अधिक व्यवहार कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य है — बच्चों को सुरक्षित, जागरूक और सशक्त बनाना।
स्वयंसेविका के कार्यों को सराहना
समग्र शिक्षा के डीएमसी नरेंद्र कुमार सिंहा ने स्वयंसेविका तेजल भगत के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत प्रेरणादायी है।
बच्चों के कार्यों से प्रभावित हुईं यूनिसेफ अधिकारी
12 जून को यूनिसेफ राज्य कार्यालय से बाल संरक्षण विशेषज्ञ सुश्री चेतना देसाई ने बस्ता गांव का दौरा किया और बच्चों के साथ संवाद स्थापित किया। बच्चों ने उन्हें बताया कि उन्होंने गांव में बाल विवाह रोकने, नशा मुक्ति, शिक्षा के प्रचार, और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर जागरूकता अभियान चलाया है। इसके अंतर्गत उन्होंने दीवार लेखन, जन जागरूकता रैली, और घर-घर जाकर समझाइश जैसे कार्य किए।
सुश्री देसाई ने बच्चों के इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक बदलाव का सशक्त उदाहरण है। उन्होंने बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और आश्वासन दिया कि यूनिसेफ हर कदम पर उनके साथ रहेगा।
बस्ता गांव का यह व्यवहार कॉर्नर अब एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है, जो न सिर्फ जशपुर, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। यह पहल यह सिद्ध करती है कि अगर बच्चों को सही मंच और मार्गदर्शन मिले, तो वे सामाजिक बदलाव के वाहक बन सकते हैं।
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