... News@9PM राजनीति : कुनकुरी विधानसभा "टिकट तो मिलेगा यूडी को", टक्कर होगी "साय" से,समझिए कुनकुरी की तासीर,क्यूँ मचा है यहाँ हल्ला,भाजपा यहां क्यूँ हुई एकजुट,क्या युवा कार्यकर्ता बदलेंगे कुनकुरी की तस्वीर..."दिग्विजय सिंह से लेकर जूदेव तक" तमाम राजनैतिक विश्लेषण पढ़ें पत्रवार्ता पर...

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News@9PM राजनीति : कुनकुरी विधानसभा "टिकट तो मिलेगा यूडी को", टक्कर होगी "साय" से,समझिए कुनकुरी की तासीर,क्यूँ मचा है यहाँ हल्ला,भाजपा यहां क्यूँ हुई एकजुट,क्या युवा कार्यकर्ता बदलेंगे कुनकुरी की तस्वीर..."दिग्विजय सिंह से लेकर जूदेव तक" तमाम राजनैतिक विश्लेषण पढ़ें पत्रवार्ता पर...

 



जशपुर, टीम पत्रवार्ता,11 सितंबर 2023

BY योगेश थवाईत

बात करें जशपुर जिले के कुनकुरी विधानसभा सीट की तो सबसे अधिक चुनावी रोमांच इस बार इसी सीट से मिलने वाला है।दरअसल यह ऐसी सीट है जहां अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह की भी नहीं चली क्योंकि यहां चलता रहा सिर्फ जूदेव का जादू। दरअसल 2008 से लेकर 2018 तक दस वर्षों में यहां भाजपा का कब्जा रहा।अविभाजित मध्यप्रदेश में परिसीमन से पूर्व कुनकुरी विधानसभा का क्षेत्र बगीचा,जशपुर, पत्थलगांव व तपकरा  विधानसभा में शामिल हुआ करता था।

यहां के सियासत की बात करें इससे पहले थोड़ी चर्चा यहां के तासीर की कर लेते हैं।अविभाजित मध्यप्रदेश में जब 1993 में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने उसके अगले साल वे किसी शिलान्यास के कार्यक्रम में कुनकुरी भी आए थे तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुरारीलाल अग्रवाल सरपंच हुआ करते थे। जिसके बाद चुनावी दौरा के लिए उनका बगीचा भी आना हुआ था।

वह ऐसा दौर था जब स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव जिसपर हाथ रख दें वह भाजपा का विधायक बन जाए।दिग्विजय सिंह जैसे महान राजनीतिक रणनीतिकार भी जूदेव के तिलिस्म को भेदने में असफल रहे थे तब से लेकर लगातार 2018 तक भाजपा को हमेशा बढ़त मिलती रही और वर्तमान विधायक यूडी मिंज जब 2008 में भाजपा उम्मीदवार भरत साय से चुनाव लड़े तो उन्हें 9593 वोटों से हार का सामना करना पड़ा और भाजपा की जीत हुई।

इसके बाद वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा के रोहित साय को 76393 वोट मिले वहीँ कांग्रेस के अब्राहम को मात्र 47524 मत ही प्राप्त हुए।यहां कांग्रेस 28969 मतों से बुरी तरह हार गई और भाजपा के रोहित साय विजय हुए।

2008 व 2013 में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की बुरी स्थिति को देखते हुए वर्तमान विधायक यूडी मिंज लगातार अपनी छवि को निखारने के प्रयास में लगे हुए थे।हांलाकि पिछली बार 2013 में उन्हें टिकट नहीं मिल पाई क्योंकि 2008 में उन्हें हार मिली थी लिहाजा पार्टी ने उनपर भरोसा नहीं जताया और अगले कार्यकाल के लिए उन्हें तैयारी करने का अल्टीमेटम दे दिया।

एंटी इनकम्बेंसी का लाभ यूडी को

वर्ष 2018 में एक नए स्वरुप के साथ यूडी मिंज ने कांग्रेस को एकजुट करते हुए भाजपा के विरुद्ध हल्ला बोला।भाजपा के 15 वर्षों की सरकार में विरोधी लहर का लाभ यूडी मिंज को मिला और 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के भरत साय को 4293 मतों से उन्होंने परास्त कर दिया।इस चुनाव में भाजपा के भरत साय को 65603 मत मिले वहीँ कांग्रेस के यूडी मिंज को 69896 मत मिले।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि कुनकुरी विधानसभा में लगातार भाजपा को बढ़त मिलती आई है।भाजपा के पक्ष में जो वोट गिरते आए हैं उनका अंतर कांग्रेस के वोटों से कहीं ज्यादा रहा है।

यूडी के कार्यकाल में विशेष उपलब्धि

अब बात करें वर्तमान में चल रहे कुनकुरी के सियासत की तो यूडी मिंज वर्तमान के कांग्रेस विधायक हैं जो खुद सिविल इंजीनियर हैं और युवाओं के बीच खासी पकड़ बना रखे हैं।वर्तमान कार्यकाल में नए नवाचार के साथ पर्यटन,संस्कृति,शिक्षा व स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से उकेरने का प्रयास उनके द्वारा किया जाता रहा है।वहीं भाजपा के पिछले कार्यकाल में कोई विशेष उपलब्धि कुनकुरी विधानसभा में देखने को नहीं मिली।

पिछले चुनाव के वोटों के प्रतिशत की बात करें तो कुनकुरी विधानसभा में कांग्रेस के परंपरागत वोटों के आंकड़े जीत दिलाने के लिए काफी नहीं है।लिहाजा यहां जब तक भाजपा के वोटों में फोड़ नहीं होगा कांग्रेस का जीतना मुश्किल है।

कुनकुरी विधानसभा में कंवर वोट प्रभावी

अब समझिए भाजपा के वोटों को यहां बड़ी संख्या में कंवर समाज के लोग हैं जिन्हें भाजपा के परंपरागत वोटर्स के रुप में जाना जाता रहा है।बात करें भाजपा के पुराने उम्मीदवारों की तो भरत साय,रोहित साय कंवर समाज से आते हैं जिनका साथ हमेशा भाजपा को मिलता आया है।वहीं ऐसा माना जाता रहा है कि जो मिशनरी वोट हैं वे कांग्रेस के परंपरागत वोट के रुप मे कांग्रेस के खाते में ही होते हैं।

क्या बन रहा वर्तमान समीकरण

कुनकुरी विधानसभा के सर्वे में जो बातें सामने आईं उसमें इतना तो स्पष्ट है कि 2023 के आगामी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को खासी बढ़त मिलने वाली है।हांलाकि वर्तमान विधायक यूडी मिंज ने अपने बेहतर कार्य से शिक्षित वोटों को काफी आकर्षित किया है वहीं सामाजिक रुप से भी भाजपा के वोटों को भेदने में उन्हें सफलता भी मिली है।राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें तो कुनकुरी विधानसभा में भाजपा का बड़ा वोट बैंक है जिसे साधने की देरी है।

भाजपा से साय होंगे उम्मीदवार.?

कुनकुरी विधानसभा में भाजपा से जो उम्मीदवारी सामने आ रही है उसमें निश्चित है कि जो भी उम्मीदवार होंगे वे कंवर समाज से ही होंगे।ऐसे में निर्विवाद छवि के रुप में विष्णुदेव साय की सुगबुगाहट जोर शोर से चल रही है।हांलाकि वर्तमान सांसद गोमती साय को यहां यूडी मिंज के विरुद्ध सशक्त उम्मीदवार भी बताया जा रहा है।जब इस मामले में जमीनी पड़ताल की गई तो सारे दावे बिलकुल अलग दिखे।

दरअसल पूर्व सांसद व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय भाजपा के सशक्त दावेदार के रुप में सामने हैं।विष्णुदेव साय की सामाजिक पकड़ काफी अच्छी मानी जाती रही है।दरअसल सांसद रहते हुए उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए रखी वहीं उनकी शांत छवि,मिलनसरिता उन्हें लोकप्रिय बनाए हुए है।सबसे खास बात यह कि विष्णुदेव साय कभी किसी विवाद में नहीं  पड़े। प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों से उनके संबंध हमेशा मधुर रहे।लिहाजा भाजपा के सशक्त उम्मीदवार के रुप में विष्णुदेव साय कांग्रेस के वर्तमान विधायक यूडी मिंज पर भारी पड़ सकते हैं।

 यूडी की आर्मी हर बूथ तक

कांग्रेस के महज साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में कुनकुरी विधायक यूडी मिंज ने शुरुआत से ही भविष्य की रणनीति पर जोर दिया।आज कुनकुरी विधानसभा के हर बूथ तक यूडी मिंज के कार्यकर्ताओं की फौज है जो भाजपा पर हमेशा हावी रहने वाली है।दरअसल मिशनरीज कस्बों गांवों में यूडी का एकतरफा समर्थन देखने को मिल रहा है।वहीं अन्य इलाकों में यूडी की रणनीति पहले ही बन चुकी है।

फिलहाल कांग्रेस में यूडी मिंज की उम्मीदवारी को लेकर खबरों में यह बातें सामने आ रही हैं कि उनका टिकट डेंजर जोन में है।वहीं कांग्रेस यह भी तय नहीं कर पा रही है कि यदि यूडी मिंज की टिकट कटती है तो जिताऊ उम्मीदवार कौन होगा।भाजपा को टक्कर देकर भाजपा की रणनीति को भेदने का मूलमंत्र यूडी मिंज के अलावा किसी के पास नहीं लिहाजा कांग्रेस अंततः यूडी मिंज को टिकट देने पर मजबूर होती नजर आएगी।

हांलाकि यूडी मिंज द्वारा लिखे गए पत्र से सर्वेश्वरी समूह सोगड़ा आश्रम को लेकर जो बातें ऊपर तक गई हैं वे काफी गंभीर हैं।इसके अलावा भाजपा ने जन्माष्टमी विवाद को जिस प्रकार से सनातन विरोधी मुद्दा बनाया उससे कांग्रेस जरुर सोचने पर मजबूर हो गई है।

ऊपरखाने की बात करें तो भले ही टीएस सिंह देव की नाराजगी यूडी मिंज से हो सकती है लेकिन यूडी मिंज के राजनैतिक गुरु चरणदास महंत व गॉड फ़ादर दिग्विजय सिंह आज भी यूडी मिंज के नाम पर अपना समर्थन बनाए हुए हैं।हांलाकि जब तक टिकट फाईनल नहीं हो जाती सिटिंग एमएलए ही पहला उम्मीदवार माना जाता है।

कुनकुरी भाजपा भाजयुमो के भरोसे

जिस प्रकार भाजपा आक्रामक हुई है उससे इतना तो तय है कि आगामी चुनाव में कुनकुरी विधानसभा में भाजयुमो का विशेष दखल होगा।यदि विष्णुदेव साय उम्मीदवार हुए तो उनका कहीं कोई विरोध नहीं वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं की सजगता व भाजयुमो की युवा शक्ति भाजपा को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।जिस प्रकार विष्णुदेव साय को लगातार राजयोग मिलता आया है उससे यह भी कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यदि भविष्य में कभी आदिवासी मुख्यमंत्री की बात होगी तो विष्णुदेव साय का नाम संगठन में सबसे आगे होगा।

बहरहाल कुनकुरी विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के सशक्त उम्मीदवार के रुप में यूडी मिंज से बेहतर कोई दूसरा उम्मीदवार भाजपा के लिए हल्का साबित हो सकता है वहीं भाजपा से विष्णुदेव देव साय यूडी मिंज पर भारी पड़ सकते हैं टक्कर कांटे की होगी जहां जीत हार का अंतर बेहद कम वोटों का होगा।

Video

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