... ब्रेकिंग पत्रवार्ता : "मिरेकल" ऑफ "छत्तीसगढ़ " साढ़े पांच माह के गर्भ का सुरक्षित प्रसव,24 हफ्तों में हुए "जन्म" से डॉक्टर भी अचंभित,मेडिकल साइंस में पहला मामला...पढ़ें पूरी खबर.....

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ब्रेकिंग पत्रवार्ता : "मिरेकल" ऑफ "छत्तीसगढ़ " साढ़े पांच माह के गर्भ का सुरक्षित प्रसव,24 हफ्तों में हुए "जन्म" से डॉक्टर भी अचंभित,मेडिकल साइंस में पहला मामला...पढ़ें पूरी खबर.....




बीजापुर,टीम पत्रवार्ता,07 जून 2020

आपको जानकर हैरानी होगी..? क्या यह संभव है ? कि सिर्फ 24 हफ्ते में किसी बच्चे का जन्म हो जाए।जिसका वजन मात्र 440 ग्राम हो और लंबाई लगभग 20 सेंटीमीटर। ऐसी परिस्थिति में क्या वह जीवित रह सकता है?अब तक भारत में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला के भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने विज्ञान को सार्थक सिद्ध कर ऐसा चमत्कार किया है जो अचंभित करने वाल है।कोरोना संक्रमण के बीच पिछले 5 अप्रैल 2020 को जन्मी यह बच्ची जीवित है और तमाम संघर्षों को झेलकर उस पर विजय प्राप्त करते हुए तेजी से बढ़ रही है।

एक ओर जहां समूचा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ रहा है।चिकित्सक जी जान लगाकर लोगों का इलाज कर रहे हैं वहीं छत्तीसगढ़ में भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने अद्भुत मिसाल पेश की है।

चिकित्सकों का कहना है कि यह बच्ची जिन मुश्किल हालातों से निकली है,वह अपने आप में बड़ा चमत्कार है और मेडिकल साइंस के लिए यह शोध का विषय है। 
 
बीते 5 अप्रैल को राजेश्वरी गोंडे प्रसव पीड़ा के साथ बीजापुर जिला के भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंहुची।चिकित्सकों की जांच में 24 हफ्ते का ही गर्भ था।इधर मां की तेज प्रसव पीड़ा कहीं जच्चा-बच्चा दोनों के लिए परेशानी न पैदा कर दे यह चिंता डॉक्टरों को सताए जा रही थी।तब चिकित्सकों ने प्रसव करवाने का फैसला लिया।

जन्म के बाद चिकित्सक भी बच्चे को देखकर हैरान थे।सामान्यतः बच्चे गर्भधारण के 36वें से 40वें हफ्ते में जन्म लेते हैं। तब तक उनका हर एक अंग विकसित हो चुका होता है। इसके पहले जन्म लेने वाले बच्चों को प्री-मेच्योर बेबी कहा जाता है।

संघर्ष के साथ हो रहा ग्रोथ
दरअसल 24 फ्टों में जन्म लेने के बाद बच्ची को निमोनिया हो गया। फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे जिससे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी उस वक्त वह वेंटीलेटर पर थी। हार्ट में छेद था जिसे दवाओं से भरा जा रहा था,वह दूध भी नहीं पचा पा रही थी क्योंकि आंते विकसित नहीं हुई थीं।तीन बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। फिलहाल वह ठीक है। लगातार वजन भी बढ़ रहा है।शारीरिक विकास तो ठीक है,मगर मस्तिष्क का विकास सबसे महत्वपूर्ण है,जो आने वाले दिनों में टेस्ट से पता चल पाएगा इसके बाद उस दिशा में चिकित्सक आगे बढ़ेंगे।

मिरेकल बेबी ने बनाया नया रिकार्ड
इससे पहले हैदराबाद में जन्मे चेरी का जन्म 25 हफ्तों में हुआ था वहीं राजेश्वरी की बेबी का जन्म 24 हफ्ते में हुआ है जो एक नया रिकार्ड है।नवजात बच्चे की औसत लंबाई 45-50 सेंटीमीटर तक होती है। बेबी ऑफ राजेश्वरी की लंबाई 20 सेंटीमीटर थी।बच्चे का वजन 2.5 से 3.5 किलो ग्राम होता है। बेबी ऑफ राजेश्वरी सिर्फ 440 ग्राम थी, जो आज बढ़कर 1.05 किलोग्राम हो चुका है।

बीजापुर के चिकित्सकों के बुलंद हौसला 
सीएमएचओ डॉ. बुधराम पुजारी, डॉ. लोकेश, डॉ. विवेक, डॉ. ज्योतिष,डॉ. विकास, डॉ. हर्ष, डॉ. अजय और डॉ. प्रशांत, स्टॉफ नर्स रोशनी यादव,नेहा,मधु,उर्वशी,अनपूर्णा, अंशुमाला और ललिता के साथ एम्स से शिशुरोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल जिंदल रोजाना वीडियो कांफ्रेसिंग से अपडेट लेते हैं।दवाइयां प्रिस्क्राइब करते हैं। सीएचसी के स्टॉफ को गाइड करते हैं।यूनिसेफ के डॉक्टर गजेंद्र सिंह,डॉ. रामकुमार राव और राज्य स्वास्थ्य विभाग के टीकाकारण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर भी इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं।डॉ. अतुल जिंदल,एसोसिएट प्रोफेसर, एम्स रायपुर ने बताया कि मैंने इंटरनेट के माध्यम से और डॉक्टरों के बीच जितनी भी जानकारी जुटाई है, यह सबसे कम दिन में जन्मी ऐसी बच्ची है जो जीवित है। हम तो रायपुर से प्रयास कर रहे हैं पर इसका श्रेय बीजापुर के डॉक्टर व स्टॉफ को जाता है। जिन्होंने सीमित संसाधनों में सुरक्षित प्रसव करवाया।

फिलहाल यह शोध का विषय बन चुका है जिसमें और भी संभावनाओं को तलाशा जा रहा है जो मेडिकल साईंस की दुनिया में मील का पत्थर साबित होगा।

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