जशपुर(11 फरवरी 2019 योगेश थवाईत) बदलते मौसम का असर अब यहां की राजनीति पर दिखने लगा है।कारण अगर आप जानना चाहते हैं तो बस एक लाईन समझ लें सारा किस्सा आप खुद ही समझ जाएंगे।
"जशपुर के नेताओं को पाला मार गया है।"
उक्त लाईन को लेकर इन दिनों चर्चा का माहौल गरम है।दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद हुए करारी हार को अब तक बीजेपी नेता भुला नहीं पा रहे।कहीं न कहीं वह टीस अब तक बनी हुई है जो हार का मुख्य कारण है।इलहाल ऐसी चर्चा आम बनी हुई है।जरुरत है मजबूत इरादों के साथ मजबूत कन्धों की जिसके सहारे गर्माहट के साथ पाला का असर कम किया जा सके।
स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की तैयार की हुई जमीन पर बीज तो उन्नत किस्म के पड़े थे पर जिन नेताओं को एकजुटता के अस्त्र के साथ निंदाई,गुड़ाई कर स्नेह के उर्वरक से फसल को बड़ा करना था उसमें कहीं न कहीं कमी दिखी और फसल की सुरक्षा में सेंधमारी हो गई। परिणामतःदशकों से बीजेपी का गढ़ होने का गौरव अब आत्मग्लानि में बदल चुका है।
जाहिर सी बात है जीत हार का सिलसिला चलता रहता है।निश्चित ही एक सफल योद्धा अपनी हार का आंकलन कर दोगुने वेग से प्रहार करता है और उसकी जीत सुनिश्चित होती है।आगामी लोकसभा के लिए अब तक कार्यकर्ताओं को वह पुट नहीं मिल पाया है जिसके सहारे वे फिर से लोकसभा के मैदान में उतर सकें।
दरअसल जशपुर नेतृत्वविहीन नजर आ रहा है ऐसे में आगामी नेतृव को लेकर चर्चा जायज है।रियासत में भी उत्तराधिकारी होता है और सियासत में भी ।अब देखना दिलचस्प होगा कि जशपुर के सियासत का उत्तराधिकारी कौन होगा...?
फिलहाल मौसम की हार का असर तो कम है पर सियायत में हार के कारण निश्चित ही "जशपुर के नेताओं को पाला मार गया है।"
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