- राकेश गुप्ता की खबर👉
सन्ना (पत्रवार्ता डॉट कॉम)विकास के सारे दावे तब खोखले नजर आते हैं जब सबसे पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं की दशा और दिशा दोनों हैरान कर देने वाली हो।दरअसल कागजों में तो इनके लिए योजनायें आती हैं जिनका जमीनी क्रियान्वयन महज नाम का होता है।सरप्लस बिजली वाले प्रदेश में आज भी पहाड़ी कोरवा लालटेन युग में जी रहे हैं
मामला है ग्राम पंचायत चम्पा के पहाड़ी कोरवा बस्ती कटईपानी का जहाँ करीब तीन माह से बिजली की व्यवस्था चरमराई हुई है और वहां के ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण वहां के ग्रामीणों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यहाँ तक कि बच्चे भी अँधेरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है की हमेशा रात में सांप बिच्छु काटने का डर लगा रहता है हमें करीब तीन माह से बिजली नही मिल रही है और पूछने पर बिजली विभाग का रटा रटाया जवाब मिलता है कि ट्रांसफार्मर खराब है।
कई बार यहाँ के लोगों ने अपनी समस्या जनप्रतिनिधि समेत अधिकारियों तक को बताया है बावजूद इसके दिल्ली तक धमक रखने वालों की आवाज जिला प्रसाशन तक नहीं पंहुच रही।
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