... सुनो सरकार : "सिस्टम ने ले ली दो मासूमों की जान..?" परिवार के 5 अन्य जिंदगी और मौत से जूझ रहे,बीमार हालात में पिता ने दोनों मृत बच्चों का किया "कफन-दफन" महिला रोजगार सचिव को 5 महीनों से नहीं मिली थी सैलेरी,पैसे के अभाव में मां बच्चों का समय पर नहीं करा सकी ईलाज,सूचना के बावजूद न पक्ष पहुँचा न विपक्ष,पूर्व BDC रेशमी चौहान ने निभाई जिम्मेदारी,विधायक विनय भगत ने तात्कालिक सहायता राशि जारी कर प्रकट की शोक संवेदना ? प्रशासन ने पूरी कर ली मामले की जांच,पढ़ें पूरी STORY सिर्फ पत्रवार्ता पर...?

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सुनो सरकार : "सिस्टम ने ले ली दो मासूमों की जान..?" परिवार के 5 अन्य जिंदगी और मौत से जूझ रहे,बीमार हालात में पिता ने दोनों मृत बच्चों का किया "कफन-दफन" महिला रोजगार सचिव को 5 महीनों से नहीं मिली थी सैलेरी,पैसे के अभाव में मां बच्चों का समय पर नहीं करा सकी ईलाज,सूचना के बावजूद न पक्ष पहुँचा न विपक्ष,पूर्व BDC रेशमी चौहान ने निभाई जिम्मेदारी,विधायक विनय भगत ने तात्कालिक सहायता राशि जारी कर प्रकट की शोक संवेदना ? प्रशासन ने पूरी कर ली मामले की जांच,पढ़ें पूरी STORY सिर्फ पत्रवार्ता पर...?

 

जशपुर,टीम पत्रवार्ता,07 अगस्त 2022

BY योगेश थवाईत

जब आपके पास ईलाज के लिए पैसे न हों,आपका परिवार मुसीबत में हो और पांच महीने से आपकी सैलेरी न मिली हो।इसके बाद भी घर चलाने वाली महिला वर्तमान की चिंता करते हुए अपनी भविष्य निधि को निकालकर घर की गाड़ी पटरी पर लाने का प्रयास करती है।बावजूद इसके तब वह हार जाती है जब उसके इस प्रयास में उसे सिस्टम का साथ नहीं मिलता और अंततः वह महिला पैसे के अभाव में अपने बच्चों का सही समय पर ईलाज नहीं करा पाती है और दोनों भाई बहन की दुःखद मृत्यु हो जाती है।दर्द और मुसीबतों का पहाड़ अभी कम नहीं हुआ,घर के 5 अन्य सदस्य भी गंभीर हालत में जिंदगी और मौत से संघर्ष करते दिख रहे हैं और बीमार हालत में एक पिता अपने दोनों बच्चों को दफन कर सिस्टम को कोस रहा है।

संवेदना और रुदन वेदना की यह कराह आ रही है जशपुर जिले के बगीचा जनपद पंचायत क्षेत्र के कुदमुरा पतराटोली से जहां पिछले 5 अगस्त को स्कूल में सूरज चौहान (9) वर्ष को बुखार के साथ दस्त की शिकायत हुई।जिसके बाद उसे घर भेज दिया गया शाम तक उसकी बड़ी बहन सुभद्रा चौहान (11) वर्ष की भी तबियत बिगड़ गई।इस बीच उनकी मां रोजगार सचिव मंगरी बाई (35) के पास पैसे नहीं थे उसने सोचा कहीं से पैसे आ जाएं तो बच्चों को अगले दिन अस्पताल ले जाकर ईलाज कराऊंगी इसके लिए उसने अपनी जिलाध्यक्ष शोभापति को भी फोन लगाया।देर शाम तक माता मंगरी बाई व पिता भीमराम चौहान समेत बड़ी बेटी सावित्री चौहान(15) की भी तबियत बिगड़ गई और बुखार उल्टी दस्त से पूरा परिवार पीड़ित हो गया।

पैसे के अभाव में लिया झाड़ फूंक का सहारा

जब इंसान बेबस हो जाए तो उसे जहां से आशा की एक किरण दिख जाए वह उधर जाने का प्रयास करता है।गांव के कुछ रिश्तेदारों से जब हमने चर्चा की तो पता चला कि पीड़ित परिवार ने बीमार होने की सूचना गांव के अन्य किसी को नहीं दी,रात भर थक हारकर संघर्ष करते रहे।इस दौरान उन्होंने स्थानीय बैगा गुनिया से झाड़ फूंक भी कराया और ठीक होने का इंतजार करने लगे।झाड़ फूंक से पहले स्थानीय नर्स के द्वारा दोपहर साढ़े बारह बजे के आसपास घर में मां व बेटे को दवा दी गई थी।बुखार तेज होने के कारण नर्स मधुलिका ने उन्हें बेहतर ईलाज के लिए अस्पताल जाने की सलाह भी दी थी।

रात भर तड़पता रहा परिवार

पीड़ित परिवार की वेदना को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है।पैसे के अभाव में वे संकोच करते रहे और शुक्रवार को अस्पताल नहीं पंहुच पाए।मां स्वयं बुखार से तप रही थी इस बीच रात दोंनों बच्चों के साथ पिता की तबियत काफी ज्यादा बिगड़ गई उन्हें भी उल्टी दस्त के साथ बुखार की शिकायत होने लगी।शनिवार को सुबह 8 बजे के आसपास रनपुर आयुर्वेद केंद्र में पदस्थ चिकित्सक जेआर चौहान कुदमुरा पंहुचे और उन्होंने तत्काल सभी को उच्चस्तरीय ईलाज के लिए कुनकुरी ले जाने की बात कही।इस दौरान दोनों बच्चे बेहोशी की हालत में थे और माता पिता बुखार से तप रहे थे।

उपसरपंच ने भेजा अस्पताल

यहां गांव के सरपंच व उपसरपंच कुंवर की मदद से शनिवार को सुबह परिवार के सभी सदस्यों को कुनकुरी के होलीक्रॉस अस्पताल भेजकर उन्हें भर्ती कराया गया।जहां रास्ते मे ही दोनों भाई बहन सूरज व सुभद्रा की मौत हो गई।गंभीर हालत में अन्य तीन सदस्यों को अस्पताल के आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर उनका ईलाज शुरु किया गया।अचानक हुए इस मौत के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया और उल्टी दस्त से मौत पर उठते सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश शुरु हो गई।दोनों मासूमों के शव का पोस्टमार्टम कराया गया और शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।

इस बीच बगीचा तहसीलदार अविनाश चौहान ने एसडीएम के निर्देश पर मेडिकल टीम के साथ गांव पंहुचकर मामले की जांच की जिसमें उन्होंने प्रथम दृष्टया उल्टी दस्त व बुखार से दोनों बच्चों के मौत की पुष्टि की थी।

यहां स्वास्थ्य अमले ने अन्य ग्रामीणों से पूछताछ कर उनका हाल चाल लिया।हांलाकि मेडिकल टीम को गांव में अन्य कोई उल्टी दस्त बुखार से पीड़ित नहीं मिला।एहतियातन गांव में मुनादी कराते हुए स्वास्थ्य परीक्षण कराने के निर्देश दिया गया।

तेज बारिश के बीच बीमार पिता ने दी मिट्टी

शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद दोनों बच्चों का शव कुदमुरा लाया गया जहां उनके पिता भीमराम चौहान को गंभीर हालत में कफन दफन के लिए लाया गया।यहां गांव के लोगों ने पूर्व तैयारी कर ली थी।समाज व परिवार के अन्य लोगों ने शाम 7 बजे के आसपास दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार किया।बीमार हालात में पिता ने दोनों मासूम बच्चों को मिट्टी देकर अंतिम विदाई दी।दुःख की इस घड़ी में पक्ष विपक्ष का कोई नेता उन्हें ढांढस बंधाने तक नहीं पंहुचा।

देर शाम चाची व दादी की तबियत बिगड़ी

कुदमुरा के इस चौहान परिवार पर लगातार दुखों का पहाड़ टूटता ही जा रहा था कि घर के दो सदस्यों की हालत फिर से बिगड़ गई। अंतिम संस्कार के लिए आ रही बच्चों की दादी की तबियत रनपुर जंगल मे बिगड़ गई और उसे भी उल्टी दस्त बुखार ने जकड़ लिया उसके हाथ पैर खिंचाने लगे।इस दौरान अंतिम संस्कार के लिए कफन लेकर आ रही छत्तीसगढ़ मनरेगा संघ की जशपुर जिलाध्यक्ष शोभापति व पूर्व बीडीसी ने मिलकर बच्चों की दादी व चाची सुषमा को कुनकुरी के होलीक्रॉस में भर्ती कराया।इस दौरान शोभपति ने मनरेगा संघ की ओर से ढाई हजार की आर्थिक सहायता कर पीड़ित परिवार को संबल प्रदान किया।

ऐसे सिस्टम से कोई उम्मीद नहीं - शोभापति

मामले में रोजगार सहायिका मंगरी बाई लगातार अपने छत्तीसगढ़ मनरेगा संघ की जशपुर जिलाध्यक्ष शोभापति से संपर्क में थी।शोभापति ने बताया कि उसे मंगरी बाई का फोन आया था उसने अपनी आर्थिक स्थिति को खराब बताते हुए आर्थिक मदद की मांग की थी।उसने यह भी बताया था कि उसे पिछले पांच छः महीनों से सैलरी भी नहीं मिली।वह अपने पीएफ की राशि भी निकालकर खर्च कर चुकी है।अब उसके पास घर चलाने तक के पैसे नहीं हैं।

पूर्व बीडीसी रेशमी चौहान ने की मदद

कुदमुरा क्षेत्र की पूर्व जनपद सदस्य रेशमी चौहान लगातार पीड़ित परिवार के संपर्क में रही कई बार उसने कुनकुरी आना जाना कर हर संभव सहयोग किया।उन्होंने बताया कि फिलहाल कुदमुरा में भीम चौहान के भाई उनके पिताजी और 2 बच्चे घर में हैं जिनकी स्थिति ठीक है।उन्होंने सत्ता दल के लोगों पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि न तो सरकार संवेदनशील है और न ही सरकार के लोग।उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनके द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनी भगत,डीडीसी रीना बरला समेत क्षेत्र के बीडीसी को सूचना दी गई जिसके बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली।

जशपुर विधायक विनय भगत को जब कुदमुरा में 2 बच्चों की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदना प्रकट की है।उन्होंने ईश्वर से पीड़ित परिवार को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए 25 हजार रुपए की तात्कालिक सहायता राशि स्वीकृत की है।उन्होंने जल्द ही पीड़ित परिवार से मिलने की बात कही है और परिवार के सदस्यों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

"कुनकुरी थाना प्रभारी भास्कर शर्मा ने बताया कि उक्त मामले में दोनों बच्चों की मौत के बाद कुनकुरी थाने में मर्ग कायम कर दोनों बच्चों का पोस्टमार्टम कराया गया।पीएम रिपोर्ट में फ़ूडपॉइजनिंग की पुष्टि नहीँ हुई है।बिसरा एफएसएल जांच  के लिए भेजा जा रहा है।उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असल कारण का पता चल सकेगा।"

बहरहाल आम इंसान के स्वास्थ्य लाभ के लिए बनी योजनाओं का जब समय पर लाभ न मिले तो सवाल सीधा सरकार के नुमाइंदों पर उठता है।ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण अपनी परंपरागत सामाजिक व्यवस्था पर ही निर्भर रहना बेहतर समझते हैं।


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