... ब्रेकिंग पत्रवार्ता : "यूएन की बैठक में पाकिस्तान के आका इमरान ने उगला जहर "हम लड़ेंगे-पूरी दुनिया भुगतेगी" "कश्मीर में होता तो मैं भी बंदूक उठा लेता,वहां कर्फ्यू हटते ही रक्तपात होगा- इमरान"

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ब्रेकिंग पत्रवार्ता : "यूएन की बैठक में पाकिस्तान के आका इमरान ने उगला जहर "हम लड़ेंगे-पूरी दुनिया भुगतेगी" "कश्मीर में होता तो मैं भी बंदूक उठा लेता,वहां कर्फ्यू हटते ही रक्तपात होगा- इमरान"



टीम पत्रवार्ता,28 सितंबर 2019

संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खूब जहर उगला।द्विपक्षीय होने के बावजूद कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्होंने उठाया।उन्होंने दुनिया को भड़काने के लहजे में भाषण दिया और आतंकवाद की बहस में धर्म को घसीटा।प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है और इस्लामिक आतंकवाद का मुद्दा संयुक राष्ट्र संघ की बैठक में उठाया।

इमरान ने कहा कि जिस तरह के हालात कश्मीर में हैं, उन्हें देखकर दुनियाभर के 130 करोड़ मुस्लिम चरमपंथी हो जाएंगे। सोचता हूं कि मैं कश्मीर में हूं वहां 55 दिनों से कैद हूं। मैं मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार की बातें सुनता हूं। मैं देखता हूं कि सुरक्षा बल घरों में घुस रहे हैं। इन हालात में मैं भी बंदूक उठा लेता।आप कश्मीरियों को मजबूर कर रहे हैं। इमरान ने कहा- 9/11 से पहले हिंदू श्रीलंका में आतंकवादी हमले करते थे। उन पर कोई इल्जाम नहीं लगाता। 9/11 के बाद दुनिया में इस्लामोफोबिया तेजी से फैला है।

इमरान खान ने कहा
मेरा तीसरा मुद्दा इस्लामोफोबिया है। 9/11 के बाद इस्लामोफोबिया इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि हालात बदतर हो गए हैं। हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाएं मुद्दा बन गई हैं। 

हिजाब को किसी तरह का हथियार समझा जाता है। यह कैसे हो रहा है, केवल इस्लामोफोबिया की वजह से हो रहा है। 9/11 के बाद से यह शुरू हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ पश्चिमी नेताओं ने इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ दिया। कट्टरपंथी इस्लाम से जोड़ दिया। 

न्यूयॉर्क, यूरोप में बैठा कोई शख्स ये कैसे कह सकता है कि ये मॉडर्न इस्लाम है और ये रेडिकल इस्लाम है। आतंकवाद का किसी भी धर्म से संबंध नहीं होता है। इस्लामोफोबिया ने मुस्लिमों के दिलों में दर्द पैदा किया है।

यूरोपीय देश मुस्लिमों को हाशिए पर ला रहे हैं। इससे उनमें कट्टरपंथ आ रहा है। हमें इस मसले पर जरूर ध्यान देना चाहिए। मुस्लिम नेताओं ने भी इस मुद्दे को नहीं उठाया।

9/11 के बाद इस्लाम की तुलना आतंकवाद से इसलिए की गई, क्योंकि यह आत्मघाती हमला था। लोगों ने इसलिए सोचा कि यह कौम इसलिए फिदायीन हमले करती है कि उसे जन्नत में हूरें मिलती हैं।


इमरान ने अपने भाषण में कहा हिंदू धर्म को कोई आरोप नहीं लगाता है। हम यहां क्या साबित करना चाह रहे हैं। मुझे पता है कि पश्चिमी दिमाग किस तरह से काम करते हैं। 1989 में एक किताब प्रकाशित हुई, जिसमें मोहम्मद साहब की निंदा की गई थी। पश्चिम में धर्म को अलग नजरिए से देखते हैं, हमारी तरह नहीं देखते हैं। 

इस्लाम को एक असहिष्णु, बोलने की आजादी के खिलाफ धर्म माना जाता है। मैं पश्चिम में एक विशेष धड़े को इस बात के लिए जिम्मेदार मानता हूं। मुस्लिम लीडरशिप ने ही मुस्लिमों को नीचा दिखाया है। इस्लाम में पैगम्बर ने कहा था कि हर किसी को अपने धर्म का पालन करने की छूट है। जब मुस्लिम समाज अपने अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय करता है तो वह अपने पैगम्बर के खिलाफ जाता है। 

हमारा कर्तव्य है कि हर धर्म की रक्षा की जाए। कानून के सामने हर आदमी के साथ एक तरह का व्यवहार किया जाए, चाहे उसका धर्म कोई भी हो। इमरान ने कहा- 70 हजार लोग युद्ध में मारे गए, जबकि अफगानिस्तान में तालिबान और अलकायदा थे। लेकिन, 70 हजार पाकिस्तानी मारे गए थे।

जब हम सत्ता में आए थे,तब देश के सभी राजनीतिक दलों ने फैसला किया कि इन संगठनों को खत्म करेंगे। जो हम पर आरोप लगाते हैं कि हमारे यहां आतंकवादी संगठन हैं, हम कहते हैं कि यूएन ऑब्जर्वर्स भेजें। हमारे यहां आतंकी संगठन नहीं हैं। मैं क्रिकेट के नाते भारत से जुड़ा। 

हमारे यहां क्रिकेट जुनून है। मेरे भारत में दोस्त हैं। मुझे भारत में जाना पसंद है। हमारी पार्टी सत्ता में आई तो हमने सबसे पहले भारत जाने की कोशिश की। मैंने मोदी से बात की कि हमारी समस्याएं एक हैं, हमें आपस में सहयोग करना चाहिए। हमारे यहां आतंकी हमले हुए हैं। हमने कहा कि इसे पीछे छोड़ दें। भारत ने इसे रद्द कर दिया।  

चुनाव आ रहे थे, तो हमें लगा कि राष्ट्रवादी पार्टी पाकिस्तान के साथ मिलना नहीं चाहती है। पुलवामा के बाद भारत ने हम पर आरोप लगाया। मैंने कहा कि अगर कोई भी सबूत दें तो हम एक्शन लेंगे। कोई सबूत भेजने की बजाय उन्होंने अपने फाइटर जेट भेजे और बमबारी की। 

हमने उनके दो जेट मार गिराए और उनके पायलट को पकड़ा और उसे वापस भी भेज दिया। इसे शांति के संदेश को तौर पर देखने की बजाय मोदी ने अपने चुनावी अभियान में ये दिखाया कि उन्होंने कैसे 50 सैनिकों के मारे जाने का बदला लिया। 

चुनाव अभियान में मोदी ने ट्रेलर का इस्तेमाल किया कि अभी फिल्म शुरू होने वाली है। मुझे लगा कि चुनाव जीतने के लिए राजनीतिज्ञ ऐसा करते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद हमने भारत से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

हमें तब पता चला कि वे हमें बैंकरप्ट करना चाहते हैं। भारत ने 5 अगस्त को यूएन के 11 रिजॉल्यूशन के खिलाफ जाकर कश्मीर से गैरकानूनी तरीके से अनुच्छेद 370 हटा लिया। 

इमरान की भड़ास संघ पर
भारत ने 90 हजार सुरक्षा बल लगा दिए। 80 लाख लोग वहां पर कर्फ्यू में हैं। कोई भी ऐसा कर सकता है। संघ क्या है यह बताना चाहता हूं। मोदी संघ के आजीवन सदस्य हैं। संघ ऐसा संगठन है, जो हिटलर और मुसोलिनी से प्रभावित है। वे हिंदू नस्ल को ऊपर मानते हैं। उनके दिल में मुस्लिमों और क्रिश्चियनों के लिए घृणा है। उनका मानना है कि हिंदुओं के शासन का स्वर्णकाल मुस्लिमों की वजह से खत्म हुआ।

संघ के संस्थापकों को देखिए गोलवलकर और सावरकर। इसी घृणा की विचारधारा ने महान महात्मा गांधी की हत्या की। 2002 में मोदी ने इसी घृणा की विचारधारा के चलते गुजरात में संघ के गुंडों को हिंसा फैलाने की इजाजत दी। इन्होंने मुस्लिमों की हत्या कर दी और सैकड़ों मुस्लिम बेघर हो गए।

हमें बताएं कि कश्मीर में बच्चों-महिलाओं-बुजुर्गों को जानवरों की तरह क्यों बंद कर दिया गया है। वे इंसान हैं। नस्लीय श्रेष्ठता की भावना से घमंड आता है और इससे इंसान गलतियां करता है। इसी घमंड ने मोदी को अंधा कर दिया है। कर्फ्यू उठ जाएगा तो क्या होगा। तब मोदी क्या करेंगे। उन्हें लगता है कि कश्मीर यथास्थिति को स्वीकार कर लेंगे?

इमरान ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि 100 हजार कश्मीरियों ने पिछले 30 साल में इसलिए जान दी, क्योंकि वे आजादी चाहते हैं। 11 हजार महिलाओं का बलात्कार किया गया। दुनिया ने इसे नहीं देखा, क्योंकि भारत बड़ा बाजार है। कर्फ्यू उठने के बाद कश्मीर में खून की नदियां बहेंगी, लोग बाहर आएंगे। क्या मोदी ने सोचा कि तब क्या होगा? क्या किसी ने सोचा, जब खून की नदियां बहेंगी तो क्या होगा? कश्मीर के लोग क्या सोचते होंगे, जिनके साथ जानवरों से बदतर बर्ताव हो रहा है।’

कश्मीर से जब भी कर्फ्यू उठेगा, तो वे हम पर इल्जाम लगाएंगे। पुलवामा से भी बड़ा हमला होगा, फिर वे आएंगे और हम पर बम बरसाएंगे। जिन लोगों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, वे कट्टरपंथ नहीं अपनाएंगे और फिर हम पर इल्जाम लगया जाएगा। ऐसा कश्मीरी मुसलमानों के साथ हो रहा है, कश्मीरी हिंदुओं के साथ ऐसा नहीं हो रहा है।


इमरान ने अपनी  भड़ास निकालते हुए भड़काऊ भाषण दिया और कहा “जब मुस्लिम देखेंगे कि उनकी बारी आती है तो इंसाफ नहीं होगा तो वे कट्टरपंथी बनेंगे। मैं सोचता हूं कि मैं कश्मीर में हूं और 55 दिनों से बंद हूं। बलात्कार के बारे में सुनता हूं। क्या मैं इस प्रताड़ना में रहना चाहूंगा। मैं बंदूक उठा लूंगा। आप लोगों को मजबूर कर रहे हैं। अगर आप इंसानों के साथ ऐसा कर रहे हैं तो आप उन्हें कट्टरपंथी बना रहे

भारत का इमरान को जवाब
भारत यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण को लेकर राइट टू रिप्लाई का उपयोग करेगा।भारत ने इमरान को उसकी हैसियत दिखाने के लिए महिला सचिव को इसकी जिम्मेदारी सौपी है।जो पाकिस्तान को करारा जवाब देंगी।

वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया है और कहा

"भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है"

उन्होंने पूरी दुनिया की भलाई का सूत्र देते हुए बताया कि भारत का लक्ष्य वसुधैव कुटुम्बकम है।इसी सिद्धांत पर मानवता के लिए आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना अनिवार्य है।

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