... असर:- जोगी-माया के गठबंधन से कहाँ कैसा असर,कौन होगा किंगमेकर ..जानिए गठबंधन के अन्दर की बात

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असर:- जोगी-माया के गठबंधन से कहाँ कैसा असर,कौन होगा किंगमेकर ..जानिए गठबंधन के अन्दर की बात






रायपुर (पत्रवार्ता ) प्रदेश में कांग्रेस की राह जितनी मुश्किल है उससे कहीं ज्यादा परेशानी बीजेपी को होने वाली है दरअसल अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन से प्रदेश की सियासत में काफी फेरबदल के संकेत मिलने शुरु हो गए हैं छत्तीसगढ़ की राजनीति को करीब से समझने वाले मानते हैं कि जोगी-माया का दांव सफल रहा तो दोनों मिलकर आधा दर्जन सीटों पर कामयाब हो सकते हैं
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस 
और बहुजन समाज पार्टी  
के गठबंधन से इतना तो तय है 
कि छत्तीसगढ़ में बसपा कर्नाटक 
की तरह अपनी भूमिका स्थापित करना 
चाहती है,जहां उसका गठबंधन 
जेडीएस से हुआ थाछत्तीसगढ़ में 
भी बसपा उसी रणनीति के साथ छजकां 
के साथ गठबंधन कर चुकी है

बसपा की कर्नाटक वाली भूमिका यदि छत्तीसगढ़ में जम गई तो भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य में एससी प्रभाव वाली 26 सीटें हैं। इन पर इस गठबंधन का तगड़ा असर नजर आएगा।  बदली परिस्थिति में कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जोगी और माया की स्थिति किंग मेकर वाली साबित हो सकती है

प्रदेश के 90 विधानसभा सीटों में पिछले तीन चुनावों में अब तक भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े 46 में से तीन से चार सीटें ज्यादा जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही है। तीनों चुनावों में भाजपा को 50 से ज्यादा सीटें नहीं मिली हैं। इस बार अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस 55 पर और बसपा 35 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है।

पिछले तीन चुनावों में बसपा ने दी भाजपा-कांग्रेस को टक्कर 
2013 में चंद्रपुर,जैजेपुर,पामगढ़,बिलाईगढ़ में एक सीट जैजेपुर बसपा के खाते में,2008 में अकलतरा,  जैजेपुर,पामगढ़,बिलाईगढ़ में अकलतरा,पामगढ़ बसपा के खाते में और 2003 में सारंगढ़,पामगढ़,  मालखरौदा, भटगांव पर दो सीटें सारंगढ़  और मालखरौदा जीतकर बसपा ने अपना वर्चस्व स्थापित किया 

इन सीटों पर खासा असर 
1) मरवाही: मरवाही जोगी परिवार की पारंपरिक और सुरक्षित सीट है। अजीत जोगी इस बार चांस नहीं लेना चाहते हैं। ऐसे में राजनांदगांव के साथ ही वे मरवाही से भी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। ताकि पार्टी के हाथ में कम से कम एक सीट रहे। 2013 में इस सीट से उनके बेटे अमित जोगी चुने गए थे। 

2) कोटा1952 से लेकर अब कोटा विधानसभा सीट पर 14 बार चुनाव हुए हैं। पिछले तीन चुनाव से अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीतती आ रही हैं। इस बार अभी तय नहीं है कि रेणु कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगी या फिर अमित जोगी को यह सीट दे सकती हैं। 

3) तखतपुर: जोगी ने एक साल पहले ही इस सीट के लिए अपने प्रत्याशी संतोष कौशिक के नाम का ऐलान कर दिया था। 2013 में यह सीट भाजपा ने कांग्रेस से सिर्फ 608 वोट से जीती थी। बसपा से खड़े हुए संतोष तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार जोगी के साथ से हालात बदल सकते हैं। यहां एससी 30%, ओबीसी 48% और अन्य 22% हैं।

4) जैजेपुर: इस सीट से बसपा के केशव चंद्रा विधायक हैं। पिछले तीन चुनावों में वोट शेयर 29 से 32% तक रहा है। जोगी के आने से इस सीट पर पकड़ और मजबूत होगी।  

5) पामगढ़2008 में यह सीट बसपा के पास थी। 2013 में बसपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। पिछले तीन चुनावों में यहां बसपा का वोट शेयर 26 से 39% तक रहा है। 

6) अकलतरा: इस बार एक खबर ये भी है कि जोगी अपनी बहू ऋचा जोगी को बसपा के टिकट में यहां से चुनाव लड़ाने जा रहे हैं।

7)चंद्रपुर: यहां भी छजकां की गीतांजली पटेल इस बार बसपा के टिकट में यहाँ से चुनाव लड़ सकती हैं। 






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