जशपुर (पत्रवार्ता) अंदरखाने से खबर है कि इस बार कांग्रेस हर हाल में जीत सुनिश्चित करने वाले दावेदार पर ही दांव लगाने की जोर जुगत में लगी हुई है।बीजेपी का गढ़ मने जाने वाली जशपुर विधानसभा सीट को लेकर पूर्व में हारे हुए प्रत्याशी विनय भगत पर कांग्रेस के आला नेता एकमत नहीं हो पाए हैं।
वहीँ 1998 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री गणेश राम भगत को कड़ी टक्कर देने वाली फुलकेरिया भगत के नाम की चर्चा जोरों पर है।आपको जानकर हैरानी होगी कि पूर्व मंत्री गणेश राम भगत को कड़ी टक्कर देने वाली महिला नेत्री फुलकेरिया भगत और बीजेपी नेता गणेश राम भगत के बीच महज 4800 मतों से हारजीत का अंतर था जिसमे पूर्व मंत्री गणेश राम की जीत हुई थी।
राजनीतिक रणनीतिकार मानते है कि
फुलकेरिया भगत की जमीनी पकड़ अच्छी है
जिसके कारण क्रिश्चन समुदाय के साथ
सौसरिया हिन्दू उंराव का भी समर्थन
फुलकेरिया भगत को मिलता आया है।
जिसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है
बात करें जशपुर विधानसभा की तो यहाँ कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स को यदि जनजातीय समुदाय का थोडा भी सहयोग मिल जाए तो उसकी जीत सुनिश्चित है।वैसे भी इस बार नगेशिया व् कोरवा समाज मुखर होकर बीजेपी के खिलाफत में लगे हैं जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।हांलाकि बीजेपी के आदिवासी नेता गणेश राम भगत इस विवाद को ख़त्म कर मामला सुलझाने की बात कह रहे हैं।
इसी रणनीति के साथ कांग्रेस इस बार चुनाव मैदान में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के मूड में नजर आ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव का आंकलन देखें तो पता चलता है कि पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति काफी अच्छी नहीं रही जिसमें वर्ष 2008 में कांग्रेस से फुलकेरिया भगत ने बीजेपी प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और हार जीत का अंतर केवल 4800 मतों का था इसके बाद कांग्रेस हमेशा गलत उम्मीदवार को टिकट देती आई जिससे यह अंतर बढ़ता गया।वर्ष 2003 में कांग्रेस प्रत्याशी आनंद कुजूर 10 हजार मतों से हारे। वर्ष 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी विनय भगत ने यह अंतर 10 हजार से बढाकर 16 हजार कर दिया और पिछले विधानसभा चुनाव 2013 में सरहुल भगत ने इस हार के अंतर को 35 हजार कर दिया।
इस विधानसभा क्षेत्र के बगीचा सन्ना इलाके में जिस तरह स्थानीय प्रत्याशी की मांग औऱ बीजेपी की एंटी इनकंबेंसी हावी है इसका सीधा फायदा फुलकेरिया को कांग्रेस को मिल सकता है।कांग्रेसी मानते हैं कि 1980 के पहले यहां कांग्रेस का राज था जिसे अब फुलकेरिया वापस ला सकती हैं।
इस विधानसभा क्षेत्र के बगीचा सन्ना इलाके में जिस तरह स्थानीय प्रत्याशी की मांग औऱ बीजेपी की एंटी इनकंबेंसी हावी है इसका सीधा फायदा फुलकेरिया को कांग्रेस को मिल सकता है।कांग्रेसी मानते हैं कि 1980 के पहले यहां कांग्रेस का राज था जिसे अब फुलकेरिया वापस ला सकती हैं।
जशपुर विधानसभा सीट पर बढ़ते हुए हार के अंतर को लेकर इस बार कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व सजग है लिहाजा इस सीट पर विनय भगत और फुलकेरिया भगत के बीच सीट तय होने की बात चल रही है अब देखना दिलचस्प होगा कि हारे हुए प्रत्याशी विनय को पार्टी मौका देती है या महिला नेत्री फुलकेरिया भगत को टिकट देकर बीजेपी के साथ कड़ी टक्कर की कोशिश करती है।
0 Comments