... आज का सद्चिन्तन : आप अपने को समर्पित कर दें,परमात्मा आपकी दशा सुधारेंगे,घिनौने चिन्तन,लोभ और लालच से परे आंतरिक जीवन को कैसे सुधारें ....समझें रोचक कहानी के साथ

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आज का सद्चिन्तन : आप अपने को समर्पित कर दें,परमात्मा आपकी दशा सुधारेंगे,घिनौने चिन्तन,लोभ और लालच से परे आंतरिक जीवन को कैसे सुधारें ....समझें रोचक कहानी के साथ

 


अध्यात्म,टीम पत्रवार्ता,19 मई 2021

आप समर्पित हो जाइये

मित्रो! एक बार लैला ने मजनूँ की परीक्षा लेनी चाही और जानना चाहा कि मजनूँ कैसा है? पहले तो उसने ऐसा इंतजाम कर दिया कि उसको कुछ पैसे मिल जाया करें, दुकानदारों से खाने को मिल जाया करे। फिर उसने सोचा, ऐसा तो नहीं कि वह हरामखोर हो और फोकट का खा रहा हो।

उसने अपनी बाँदी से यह कहला भेजा कि लैला बहुत बीमार है। सुनकर मजनूँ बड़ा दुःखी हुआ।

बाँदी ने कहा-दुःखी होने से क्या फायदा? आप कुछ मदद कीजिए न उनकी। उसने कहा-लैला को हम बहुत प्यार करते हैं। प्यार करते हो तो कुछ दीजिए न। मजनूँ ने कहा-मैं क्या दूँ? बाँदी ने कहा-डॉक्टरों ने यह कहा है कि लैला की नसों में खून का एक प्याला चढ़ाया जाएगा, आप अपना खून देंगे क्या, जिससे कि लैला की जिन्दगी बचायी जा सके।

मजनूँ फौरन तैयार हो गया। उसने जो कटोरा बाँदी लेकर आयी थी, खून से लबालब भर दिया। बाँदी जब खून लेकर चली, तब उसने बाँदी से एक और बात कही-बाँदी जल्दी आना, अभी कई कटोरे खून मेरे शरीर में है। वह मैं उसके सुपुर्द करूँगा, क्योंकि उससे मैं मुहब्बत करता हूँ और मुहब्बत का मतलब होता है-देना।

बाँदी जब एक कटोरा खून लेकर के गयी, तो नकली मजनूँ जो थे, सब भगा दिए गये। लैला ने अपने बाप से कह दिया-जो मुझसे इतनी मुहब्बत करता है और जो मुहब्बत की कीमत को समझता है, उसके ही साथ मैं रहूँगी। लैला और मजनूँ की शादी हो गई।

आपकी भी शादी भगवान के साथ में हो सकती है, लेकिन करना क्या चाहिए? सिर्फ एक बात करनी चाहिए कि भगवान की मर्जी पर चलने के लिए आप आमादा हो जाइए। भगवान जो आपसे चाहते हैं, उसको कीजिए। आपका चाहना भी ठीक है, लेकिन आप जो चाहते हैं, उससे पहले बहुत कुछ दे दिया है भगवान ने।

आपको इनसान की जिन्दगी दी है और ऐसी जिन्दगी दी है कि आप अपनी मनमर्जी पूरी कर सकते हैं। मनमर्जी के लिए कोई कमी नहीं है। आपके हाथ कितने बड़े हैं, आपकी जुबान और आँखें कितनी शानदार हैं, इसमें आप संतोष कर सकते हैं। अपनी दैनिक जरूरतों की भगवान से अपेक्षा मत कीजिए।

आप अपनी हविश, अपनी तमन्नाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भगवान को मजबूर करेंगे कि कर्तव्य की बात को छोड़कर वह पक्षपात करने लगे और कर्मफल की महत्ता का परित्याग कर दे? आप ऐसा मत कीजिए, उनको न्यायाधीश रहने दीजिए।

आप अपने घिनौने चिन्तन को बदल दीजिए, अपने छोटे दृष्टिकोण को परिवर्तित कर दीजिए, लोभ और लालच से बाज आइए और भगवान की सुन्दर दुनिया को ऊँचा बनाने के लिए, शानदार बनाने के लिए राजकुमार के तरीके से कमर बाँधकर खड़े हो जाइए। आप समर्पित हो जाइए, शरणागति में आइए, विराजिए, विसर्जन कीजिए, फिर देखिए आप क्या पाते हैं? आज मुझे यही निवेदन करना था आप लोगों से।

पं श्रीराम शर्मा आचार्य,वाङमय-नं-६८-पेज-१.१४
अपनी दशा सुधारिए
  • यदि आप अपने विचारों को सुधारकर निश्चित रूप से आंतरिक जीवन को सुधारने का दृढ़ संकल्प कर लेंगे तो आप बाह्य जीवन में भी उस उन्नत दशा को सफलतापूर्वक पा सकेंगे, जिसके लिए आप व्याकुल हैं ।
  • यदि आप क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, लोभ, शोक, भय तथा कोई असंगत मानसिक अवस्था के वश में हो गए हैं और फिर भी पूर्ण स्वास्थ्य की आशा रखते हैं, तो वास्तव में आप एक असम्भव बात का स्वप्न देख रहे हैं ।

  • यदि आपको अपनी दशा सुधारनी है तथा पूर्ण स्वस्थ रहना है तो "क्रोध," "चिंता," "द्वेष," "शोक" इत्यादि के विचारों को सदा के लिए अपने अन्तःकरण से निकाल दीजिए ।

  • अपने आपको पूर्ण स्वस्थ समझिए ।आपकी दशा में अवश्य सुधार होगा ।
  • अपने आपको कभी दरिद्र न समझिए तथा यह निश्चय कर लीजिए कि जो कुछ आपके पास है, आप उसी का सबसे अच्छा उपयोग कर रहे हैं ।

  • यदि आप उस वस्तु का, जो आपके पास है,दुरुपयोग करते हैं या उपेक्षा करते हैं, तो चाहे वह कितनी ही तुच्छ और सारहीन वस्तु क्यों न हो, वह आपके पास से अवश्य छीन ली जाएगी,क्योंकि आपके पास उसका सदुपयोग नहीं हो रहा है, चाहे वह "समय", "धन", "संतान" अथवा "पद" ही क्यों न हो ।

  • जब आपको अपनी भली व बुरी दशा का ज्ञान हो जाएगा, तब आप अपने सात्विक विचारों द्बारा अपनी बुरी दशाओं को बदलकर अपने भाग्य का भवन-निर्माण कर सकेंगे ।
पं.श्रीराम शर्मा आचार्य,अखण्ड-ज्योति जुलाई १९४९ पृष्ठ-३०

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