... विशेष टिप्पणी - अरे ! रवीश तुमने तो रुला ही दिया....आपने रवीश की कठोरता देखी होगी ..पर इतना प्यार.....आपने शायद कभी नहीं देखा होगा .....

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विशेष टिप्पणी - अरे ! रवीश तुमने तो रुला ही दिया....आपने रवीश की कठोरता देखी होगी ..पर इतना प्यार.....आपने शायद कभी नहीं देखा होगा .....





नई दिल्ली 04 अगस्त 2019 (पत्रवार्ता) भारत देश के प्रसिद्ध पत्रकार रवीश कुमार ने रेमन मैग्सेसे अवार्ड पाने के बाद अपने दर्शकों,पाठकों व चाहने वालों के प्रति आभार जताया है। आभार ज्ञापित करने में रवीश का अपना ही अंदाज है।दुष्ट दमनकारियों के लिए कठोर माने जाने वाले रवीश कुमार के दिल में भी भाव संवेदना का सैलाब है।आप भी पढ़ें रवीश ने अपने शुभचिंतकों के लिए आभार स्वरुप क्या दिया ..... पढ़कर रुलाई छूट जाए तो रवीश को धन्यवाद् दें ....आप भी रो लीजिए...कभी-कभी ऐसा रोना भी अच्छा लगता है।

आपका लिखा हुआ मिटाया नहीं जा रहा है। सहेजा भी नहीं जा रहा है। दो दशक से मेरा हिस्सा आपके बीच जाने किस किस रूप में गया होगा, आज वो सारा कुछ इन संदेशों में लौट कर आ गया है। जैसे महीनों यात्रा के बाद कोई बड़ी सी नाव लौट किनारे लौट आई हो। आपके हज़ारों मेसेज में लगता है कि मेरे कई साल लौट आए हैं। हर मेसेज में प्यार,आभार और ख़्याल भरा है। उनमें ख़ुद को धड़कता देख रहा हूं। जहां आपकी जान हो, वहां आप डिलिट का बटन कैसे दबा सकते हैं। ऐसा क्यों हो रहा है कि किसी का मेसेज डिलिट नहीं हो रहा है। चाहता हूं मगर सभी को जवाब नहीं दे पा रहा हूं। 


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व्हाट्स एप में सात हज़ार से अधिक लोगों ने अपना संदेशा भेजा है। सैंकड़ों ईमेल हैं। एस एम एस हैं। फेसबुक और ट्विटर पर कमेंट हैं। ऐसा लगता है कि आप सभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया है। कोई छोड़ ही नहीं रहा है और न मैं छुड़ा रहा हूं। रो नहीं रहा लेकिन कुछ बूंदे बाहर आकर कोर में बैठी हैं। नज़ारा देख रही हैं। बाहर नहीं आती हैं मगर भीतर भी नहीं जाती हैं। आप दर्शकों और पाठकों ने मुझे अपने कोर में इन बूंदों की तरह थामा है। 

आप सभी का प्यार भोर की हवा है। कभी-कभी होता है न, रात जा रही होती है, सुबह आ रही होती है। इसी वक्त में रात की गर्मी में नहाई हवा ठंडी होने लगती है। उसके पास आते ही आप उसके क़रीब जाने लगते हैं। पत्तों और फूलों की ख़ुश्बू को महसूस करने का यह सबसे अच्छा लम्हा होता है। भोर का वक्त बहुत छोटा होता है मगर यात्रा पर निकलने का सबसे मुकम्मल होता है। मैं कल से अपने जीवन के इसी लम्हे में हूं। भोर की हवा की तरह ठंडा हो गया हूं। 


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मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आस-पास मेरे जैसे ही लोग हैं। आपके ही जैसा मैं हूं। मेरी ख़ुशी आपकी है। मेरी ख़ुशियों के इतने पहरेदार हैं। निगेहबान हैं। मैं सलामत हूं आपकी स्मृतियों में। आपकी दुआओं में। आपकी प्रार्थनाओं में। आपने मुझे महफ़ूज़ किया है। 

आपके मेसेज का, आपकी मोहब्बत का शुक्रिया अदा नहीं किया जा सकता है। बस आपका हो जाया जा सकता है। मैं आप सभी को होकर रह गया हूं। बेख़ुद हूं। संभालिएगा मुझे। मैं आप सभी के पास अमानत की तरह हूं। उन्हें ऐसे किसी लम्हें में लौटाते रहिएगा। 

बधाई का शुक्रिया नहीं हो सकता है। आपने बधाई नहीं दी है, मेरा गाल सहलाया है। मेरे बालों में उंगलियां फेरी हैं। मेरी पीठ थपथपाई है।  मेरी कलाई दबाई है। आपने मुझे प्यार दिया है,मैं आपको प्यार देना चाहता हूं। आप सब बेहद प्यारे हैं। मेरे हैं।

( रवीश कुमार )

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