दिल्ली(पत्रवार्ता.कॉम) तेलंगाना को छोड़कर 4 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता लागू किए जाने के साथ चुनाव की तिथि घोषित कर दी गई है। वहीं 15 दिसंबर से पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने की बात कही है।वहीं 12 अक्टूबर के बाद तेलंगाना के चुनावों की घोषणा की जाएगी।
छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों मे सम्पन्न किया जाएगा।18 सीटों के लिए 12 नवंबर को पहले चरण का मतदान वहीं शेष सीटों के 20 नवंबर को छत्तीशगढ़ में दूसरे चरण के मतदान की तिथि तय की गई है।
मध्यप्रदेश व मिजोरम में एक ही चरण में 28 नवंबर को चुनाव सम्पन्न होंगे। वहीं 7 दिसंबर को राजस्थान में चुनाव सम्पन्न होंगे। 11 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी।
निर्वाचन आयोग ने 3 बजे प्रेसवार्ता में बताया कि कुछ जरूरी कारणों से प्रेसवार्ता के समय मे बदलाव किया गया।यह बताया गया कि
आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग चुनाव के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने और चुनावों को शांति से संपन्न कराने के उद्देश्य से आचार संहिता लागू करता है। चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उम्मीदवार को इन निर्देशों का पालन करना होता है। अगर कोई नेता या पार्टी इन नियमों का पालन नहीं करते हैं,तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इतना ही नहीं उस उम्मीदवार का टिकट भी रद्द किया जा सकता है और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा सकता है।
इसके लागू होते ही राज्य सरकार और प्रशासन पर कई बंदशें लग जाती हैं।चुनाव खत्म होने तक राज्य के सरकारी कर्मचारी चुनाव आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं और उसके दिशा-निर्देशों पर काम करने लगते हैं।
चुनाव आचार संहिता लागू होने पर क्या होता है?
एक बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश का मुख्यमंत्री और उसके मंत्री किसी तरह की कोई घोषणा,उदघाटन या शिलान्यास नहीं कर सकते हैं।अगर वो ऐसा करते हैं, तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि वो कोई भी ऐसा काम नहीं कर सकते हैं, जिससे किसी विशेष दल को लाभ पहुंचे। इतना ही नहीं चुनाव आयोग उनके हर कामकाज पर कड़ी नजर रखता है। इसके अलावा उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से आर्डर लेना होता है और इसकी जानकारी निकटतम थाने में देनी होती है।
आदर्श आचार संहिता के कुछ नियम
- आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में किसी नई योजना की घोषणा नहीं हो सकती. हालांकि कुछ मामलों में चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद ऐसा हो सकता है.
- सरकारी वाहन, भवन, हेलिकॉप्टर आदि जैसी तमाम सरकारी चीजों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
- उम्मीदवार और राजनीतिक दल को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से आर्डर लेना होगा.
- चुनाव के दौरान प्रचार के लिए किसी भी दल को लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के नियमों का भी पालन करना जरूरी होता है.
- कोई भी दल या उम्मीदार ऐसे भाषण या काम नहीं करेगा जिससे किसी विशेष समुदाय के बीच तनाव पैदा हो.
- वोट पाने के लिए कोई भी दल या उम्मीदार किसी विशेष जाति या धर्म का सहारा नहीं लेगा और चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल नहीं होगा.
- वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दी जा सकती.
- वोट पाने के लिए किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को लेकर निजी बयान नहीं दिए जा सकते, बेशक कामों की आलोचना की जा सकती है.
- सत्ताधारी पार्टी के लिए नियम- चुनाव के दौरान कोई भी मंत्री किसी भी सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा
- सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
- कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता.
- चुनाव प्रचार के लिए सरकारी पैसों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक.
- चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी सत्ताधारी नेता कोई नई योजना या कोई नया आदेश जारी नहीं कर सकता
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