बिलासपुर(पत्रवार्ता.कॉम) राजनीति में किसी भी अंदेशे से इनकार नही किया जा सकता। वो भी तब, जब एक ऐसा दौर चल रहा हो जिसमें काँग्रेस मुक्त भारत की बात की जा रही है। और पार्टी, नेता, उनसे जुड़ी योजना व स्मृति, सब में बदलाव किया जा रहा है।
बिलासपुर में नेहरू चौक के बगल में 62 लाख की लागत से बना नवनिर्मिति नगर घड़ी इसी अंदेशे की ओर इशारा कर रहा है।
अब जब नेहरू चौक में ही उसके समकक्ष नगर घड़ी बन गयी है। जिसका जल्द सीएम के हांथों उद्घाटन भी किया जाना है, सवाल खड़े होने लगे हैं। अंदेशा ये भी है कि आने वाले दिनों में कहीं नगर घड़ी को घड़ी चौक का नाम देकर नेहरू कहीं शिफ्ट न कर दिए जाएं।
अंदेशे को इसलिए भी ज्यादा बल मिल रहा है, चूंकि शहर सत्ता में लम्बे समय से भाजपा काबिज है। मंत्री, विधायक, महापौर सभी भाजपा के है। ऐसे में इनके राज में शहर की पहचान किसी कांग्रेसी नेता के नाम पर हो तो इस अंदेशे की ओर इशारा होना लाज़मी है।
बहरहाल भाजपा जिस काँग्रेस मुक्त भारत की सियासत को लेकर आगे बढ़ रही है उसमें किसी भी अंदेशे से इनकार नही किया जा सकता। लेकिन इससे राजनीति जिस ओर जा रही है वो कहीं न कहीं स्वस्थ्य राजनीति पर बट्टा ज़रूर लगाती दिख रही है।
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