बिलासपुर(पत्रवार्ता.कॉम) बिलासपुर सेंट्रल जेल से निकले एक लेटर बम ने छत्तीसगढ़ से लेकर उड़ीसा तक हड़कंप मचा दिया है। दोनों राज्यों के सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ गयी है। वीवीआईपी सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। मामले में उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दिया गया है।
दरअसल उड़ीसा के वर्तमान सीएम नवीन पटनायक को एक धमकी भरा पत्र मिला है। जिसमें 50 करोड़ रुपये की मांग करते हुए न देने पर जान से मारने की धमकी दी गयी है। इसमें सबसे ज्यादा चौकानें वाली बात ये है कि इस लेटर के तार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर सेंट्रल जेल से जुड़े हुए हैं। पत्र लिखने वाले ने बाकायदा सेंट्रल जेल का पता भी पत्र में अंकित किया है। इधर सीएम को धमकी मिलने के बाद उड़ीसा सरकार व सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गयी है। उड़ीसा सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिख मामले में जांच कराने कहा है। वहीं उड़ीसा सरकार के पत्र मिलने के बाद से प्रदेश सरकार, पुलिस महकमें व जेल प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है। मामले में तत्काल जांच के निर्देश दिए गए हैं।
सोमवार को इसी के तहत जेल डीजी गिरधारी नायक खुद बिलासपुर सेंट्रल जेल पहुँचे। यहाँ उन्होंने पहले तो पत्र को लेकर बारीकी से जांच की। जिसके बाद बैरक, कैदियों व पूरे जेल का भी उन्होंने निरीक्षण किया। डीजी गिरधारी नायक ने इस दौरान मामले को लेकर बताया कि 2009 से डकैती, लूट, हत्या जैसे मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे कैदी पुष्पेंद्र चौहान, जो कि जांजगीर के शक्ति क्षेत्र का रहने वाला है। उसी ने पेशी के दौरान इस धमकी भरे पत्र को लिखा और प्रेसित किया है। इंग्लिश व हिंदी में लिखे इस पत्र में पुष्पेंद्र ने उड़ीसा के सीएम से 50 करोड़ रुपये की मांग करते हुए जान से मारने की धमकी दी है। डीजी के मुताबिक पुष्पेंद्र पर अलग -अलग 42 मामले दर्ज हैं जिसके तहत 40 प्रकरणों में उसकी पेशी चल रही है। इसी दौरान मौका पाकर उसने सीएम को धमकी भरा पत्र लिखा है। बताया जा रहा है कि पहले भी लाइमलाइट में आने के लिए उसने 4 मर्तबे अलग -अलग जगहों में पत्र भेजा था लेकिन उसमें धमकी जैसी बात नही थी। चूंकि इस पत्र के जरिये उड़ीसा के सीएम को धमकी व पैसे की मांग की गयी है लिहाज़ा ये अपराध की श्रेणी में आता है। जेल डीजी ने मामले में जेल अधीक्षक को आरोपी पुष्पेंद्र के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
बहरहाल जेल प्रशासन ने अपनी लापरवाही व चूक पर पर्दा डालने प्रारम्भिक जांच के आधार पर कैदी पुष्पेंद्र के खिलाफ अपराध दर्ज करने के निर्देश ज़रूर दे दिए हैं। लेकिन पत्र के असल मंसूबे का अब तक पर्दाफास नही हो सका है।
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