... चुनावी खबर:- कांग्रेस की कथनी करनी में अंतर..? गुटबाजी सडकों पर। कैसे जीतेंगे पत्थलगांव सीट..?

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चुनावी खबर:- कांग्रेस की कथनी करनी में अंतर..? गुटबाजी सडकों पर। कैसे जीतेंगे पत्थलगांव सीट..?

By योगेश थवाईत के साथ प्रदीप ठाकुर।

पत्थलगांव(पत्रवार्ता.कॉम) जशपुर जिले की बहुचर्चित विधानसभा सीट पत्थलगांव में इन दिनों कांग्रेस की गुटबाजी सड़कों पर दिखने लगी है वहीं चौक चौराहों में इस मुद्दे पर लोगों की बहस आम हो गई है।

दरअसल उक्त विधानसभा सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर पहले ही गुटबाजी सामने आ चुकी है।वहीं कल कांग्रेस के भारत बंद के दौरान मुट्ठी भर समर्थकों के बाहर निकलने पर लोगों ने चुटकी लेना शुरु कर दिया है।

भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने इस मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का संगठन पूरे जिले में पत्थलगांव केंद्र बिंदु माना जाता है।कल के बन्द में इनके मुट्ठी भर समर्थक सड़क पर कुछ पल के लिए देखे गए थे जिससे सिद्ध होता है कि इनके पार्टी में आपस मे कितनी गुटबाजी है।

जिसका फायदा सीधे भाजपा को मिलेगा पत्थलगांव की जनता ने इनके बन्द को अनदेखा कर जता दिया है कि फिर से यहां की जनता भाजपा के साथ खड़ी है उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस अपने संगठन में गुटबाजी मिटा ले फिर भाजपा से चुनाव मैदान में टक्कर ले उन्होंने यहां के बंद नहीं होने का कारण भाजपा के विकास को बताया है।

बीजेपी भले ही विकास की 
बात कहकर अपना पक्ष मजबूत 
बनाने की जोर जुगत में लगी है 
सच तो यह है कि एनएच 43 की 
दुर्दशा बीजेपी के विकास को 
मुंह चिढ़ा रही है।

भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले जशपुर ,बगीचा,कुनकुरी सहित कांसाबेल में बंद के दौरान लगभग सभी नगर पूर्णतः बंद रहे वहीं कांग्रेस के बंद को पत्थलगांव में खासा समर्थन नहीं मिल सका।पत्थलगांव जिसे कांग्रेस का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण गढ़ माना जाता है जहां लंबे समय तक कांग्रेस के रामपुकार सिंह यहां के विधायक रहे हालांकि पिछले चुनाव में बीजेपी ने छोटे अंतराल से इस सीट को भी अपने नाम कर लिया था।


आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिस जीत का दम्भ भर रही है वहीं बंद के दौरान कल जिस प्रकार से कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई उससे आम जनता के बीच कांग्रेस की नाकामी को लेकर चर्चे का बाजार गरम हो गया है।

फिलहाल पत्थलगांव में कांग्रेस की राजनीति और रणनीति की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

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