बिलासपुर(पत्रवार्ता.कॉम) बात करें प्रदेश की उस सियासत की जो छत्तीसगढ़ में तीसरी शक्ति के रुप में अपने को स्थापित कर चुका है और आगामी विधानसभा चुनाव में व्यापक फेरबदल की जोर जुगत में लगा हुआ है।
जीहाँ हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ जनता काँग्रेस जोगी की जिसके अधिकतर प्रत्याशी छ महीने पहले ही घोषित हो चुके हैं वहीँ अब इस पार्टी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत पार्टी सुप्रीमो अजीत जोगी की अर्धांगिनी डा रेणु जोगी बनकर उभर रही हैं।
डॉ रेणु जोगी का कांग्रेस से दावेदारी करना अब छत्तीसगढ़ जनता काँग्रेस 'जोगी' पार्टी के लिए घाव बनता जा रहा है। जो न तो छूट रहा है,न ही फूट रहा है बस नासूर बनता चला जा रहा है।हां इतना ज़रूर है इसके दर्द से पार्टी कराह ज़रूर रही है। और इस दर्द की शिकन अब पार्टी सुप्रीमो अजित जोगी में भी दिखने लगी है वे भी अब इस दर्द को महसूस कर रहे हैं।
दरअसल हमेशा बेबाकी से हर सवाल का जवाब देने वाले पार्टी सुप्रीमो अजित जोगी को अब एक सवाल बार बार परेशान कर रही है।
ये सवाल उनकी पत्नी व वर्तमान
कोटा विधायक रेणु जोगी को
लेकर है। पार्टी गठन के लम्बे
अंतराल के बाद भी पार्टी सुप्रीमो
अजित जोगी, रेणु जोगी को
छजकां के सिद्धांतों से नही जोड़ पाये हैं।
रेणु आज भी भारतीय काँग्रेस के
विचारधारा के साथ खड़ी हुई हैं।
ये बात तब और भी ज्यादा परेशान करने लगती है। जब खुद अजीत जोगी अपने हर फैसले में पत्नी रेणु जोगी के साथ खड़े होने का दावा करते हैं और रेणु एक बार फिर काँग्रेस से ही टिकट के लिए दावेदारी पेश कर देती हैं।
ऐसे में अब अजित जोगी का दर्द छलक कर बाहर आने लगा है। वो स्वीकार करते हैं कि रेणु जोगी के भ्रम को वो नही तोड़ पाये, नही मना पाये, अपने सिद्धांतों से नही जोड़ पाये। हालांकि सुप्रीमो जोगी अब भी उम्मीद कायम रख आखिर तक उन्हें मनाने और सिद्धांतों से जोड़ने का प्रयास करना चाहते हैं।
बहरहाल छजकां के सिद्धांतों को लेकर पार्टी सुप्रीमो अजित जोगी के घर के भीतर ही एकमत नही है, ऐसे में बाहर लोगों को पार्टी के सिद्धातों से जोड़ना अब कई सवाल खड़े करने लगा है।
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