... सियासत :- राहुल की रणनीति से कांग्रेस में टकराव ...? प्रदेश में टिकट वितरण को लेकर उभरने लगा असंतोष,

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सियासत :- राहुल की रणनीति से कांग्रेस में टकराव ...? प्रदेश में टिकट वितरण को लेकर उभरने लगा असंतोष,


रायपुर (पत्रवार्ता.कॉम) छत्तीसगढ़ काँग्रेस में प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।जिससे संगठन में टकराहट व भीतरघात के प्रबल संकेत अभी से मिलने लगे हैं।

15 अगस्त तक उम्मीदवारों  का चयन कर सार्वजनिक करने की बात राहुल गांधी ने कही थी फिलहाल 1 माह का समय इसमे और लगेगा ।

पूरे प्रदेश में अधिकतर सीटों पर कई दावेदार हैं जो अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं पर टिकट वितरण के लिए बनाए गए रणनीति पर ही अब सवाल उठने लगे हैं। ये सवाल कोई और नही पार्टी के भीतर से पार्टी के लोग ही उठा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि सब कुछ पहले से फिक्स है, किसे टिकट देना है, किसका नम्बर काटना है। इसके लिए बाकायदा बूथ, सेक्टर व ब्लाक में अपने लोगों को बैठाया गया है। जो रायशुमारी के दौरान व्यक्ति विशेष के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। पार्टी हाईकमान तक भी इसकी शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है। 

दरअसल काँग्रेस में प्रत्याशी चयन के लिए दावेदारों के नाम और उन पर होने वाली चर्चाओं का दौर चल रहा है। संगठन हर विधानसभा में जाकर बूथ, सेक्टर व जोन अध्यक्षों से रायशुमारी कर रहा है। लेकिन इस रायशुमारी को अब पार्टी के लोग ही महज़ दिखावा व फिक्स मान रहे हैं।

आरोप है कि बूथ, सेक्टर व जोन में प्रभारी बनाकर कुछ प्रत्यशियों ने अपने पक्ष में लॉबिंग की है। जो रायशुमारी के दौरान केवल अपने चहेतों का नाम आगे कर रहे हैं।बात करें प्रदेश की तो जितने भी विधानसभा में अब तक रायशुमारी हुई है अमूमन हर जग़ह का यही हाल है। बताया जा रहा है कि पार्टी में हाईलेवल पर इसकी शिकायत भी दर्ज कराई गयी है।  
इधर चुनाव से पहले प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी के भीतर से ही उठ रहे बगावत के सुर से पदाधिकारी भी घबराए हुए हैं। पहले एक विधानसभा से कई लोगों की दावेदारी और अब उन्ही में रायशुमारी के दौरान संगठन को अपने ही लोगों के विवाद का सामना करना पड़ रहा है।

हालात व भीतरघात की आशंका को देखते पदाधिकारी बूथ, सेक्टर व जोन के बीच समन्वय स्थापित करने संभावित सभी प्रत्याशियों से संकल्प करा रहे हैं। चाहे टिकट जिसे भी मिले वो पार्टी के लिए व उस प्रत्याशी के लिए काम करेंगे। 

बहरहाल राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद माना जा रहा था कि इस चुनाव में पूरी पारदर्शिता के साथ दावेदार की पृष्ठभूमि, पार्टी में उसके योगदान, सक्रियता, आम जनता की बीच उसकी छवि और समर्थन को देखते हुए योग्य उम्मीदवार को मौका दिया जाएगा।

जो काँग्रेस को जीत दिलाएगा। लेकिन प्रत्याशी चयन के दौरान ही जैसी स्थिति है उससे आगामी दिनों में आपसी टकराव व भीतरघात की संभावना ज्यादा बन रही हैं।

इसी आपसी टकराव और भीतरघात से एक बार फिर से छत्तीशगढ़ में कांग्रेस को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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