हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री के मामलों पर सरकार की ओर से ये जवाब दिया गया था। शैलेष ने कहा कि सरकार द्वारा पेश पिछले एक साल के आंकड़ें को देखने के बाद तो यही लगता है, कि अवैध शराब बिक्री का धंधा सरकार के संरक्षण पर चल रहा है।
पिछले एक साल में सरकार ने 11212
अवैध शराब बिक्री के प्रकरण रिकार्ड में दर्ज
किये हैं। अवैध शराब परिवहन का 882 प्रकरण
दर्ज किया गया है। वही 7175 शराब खोरी के
प्रकरण बनाये गए हैं।
ऐसे में सरकार शराबबंदी के लिए शराब बेचने की कमान अपने हाथ में लेने की बात करती है, यहाँ तो सरकार शराब की बढ़ावा देती दिखाई दे रही है।
शैलेष ने आबकारी मंत्री पर निशाना साधते हुुए कहा, कि इस विभाग के मंत्री अपने ही जिले में अवैध शराब की बिक्री पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। पिछले एक साल में बिलासपुर में 1236 अवैध शराब के प्रकरण बनाये गए हैं, जबकि रायपुर में 1405, जांजगीर में 1080 और महासमुंद में 1073 प्रकरण दर्ज है, मंत्री का गृह जिला अवैध शराब बिक्री में प्रदेश में दूसरे नंबर पर है, तो दूसरे जिलों का हाल भगवान् भरोसे ही है।
सरकार अभी तक चखना दुकान, अवैध शराब की बिक्री और ना ही शराब कोचिये पर अंकुश लगा पाई है, रोजाना खरपतवार की तरह नए-नए शराब कोचिये पैदा होते जा रहे हैं। पूरे प्रदेश में खुलेआम अवैध शराब की बिक्री हो रही है।
शैलेष ने सवाल किया, कि क्या शासन सरकारी शराब दुकान के अधिक मुनाफा को देखकर अवैध शराब बेचने से लेकर शराब कोचियों को खुली छूट दे रखी है, या फिर सरकार ने आबकारी और पुलिस की सांठगांठ से इस अवैध कारोबार को खुला संरक्षण दे रखा है।
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