जशपुर(पत्रवार्ता.कॉम) आपको जानकर अच्छा लगता होगा कि हमारे गौरवशाली जशपुर से सत्तादल में एक केन्द्रीय मंत्री,एक राज्यसभा सांसद,तीन विधायक और चार बोर्ड के अध्यक्ष(मंत्री दर्जा प्राप्त) नेतृत्वकर्ता हैं।बावजूद इसके पत्थलगांव से जशपुर की सड़क पर किसी का कोई तंज नहीं।
निश्चित ही राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जमीनी नेता के रुप मे जाने जाते हैं जिनकी पकड़ गांव गांव तक है।लोगों से सीधा संवाद करते हैं।उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है इसके लिए और अगले विकास यात्रा के चरण में सड़क मार्ग से आने का न्यौता भी दिया है।जाहिर है समस्या सबकी है तो जिम्मेदारी भी सबकी होनी चाहिए।पर ऐसा नहीं है अपने सरकार के खिलाफ कौन बोले भले ही जनता कीचड़ में फंसती रहे....?
जशपुर से ही सत्ता के भामाशाहों का जन्म हुआ और केन्द्र हीं नहीं अपितु प्रदेश का नेतृत्व करने वाले दिग्गजों का राजनैतिक सफर इसी जिले के अस्तित्व विहीन गांवों से शुरू हुआ है।प्रदेश की राजनीति में धमक रखने वाले राजपरिवार के साथ दिग्गजों की राजनैतिक दखलंदाजी भी यहीं से शुरु हुई,जिसके बलबूते नए नए कीर्तिमान स्थापित किए जाते रहे हैं।बड़ा सवाल यह उठता है राजनैतिक प्रगति की दौड़ में जनता की जरूरतों का ध्यान राजनेताओं ने नहीं रखा।जिसका परिणाम है कि सत्ता के संरक्षण में सड़क निर्माण का कार्य अब भी लंबित है।
उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले की नींव अविभाजित मध्यप्रदेश में रखी जा चुकी थी 22 मई 1998 को स्थापित इस जिले के लगभग बीस वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।लगभग ५ हजार वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र में फैले इस जिले में लगभग तीन विधानसभा क्षेत्र व ८ विकासखण्ड हैं जिनमें आठ लाख से भी अधिक लोग निवासरत हैं।इनके आवागमन की एकमात्र सड़क एनएच है जो पूरी तरह से खस्ताहाल है जहां वाहनों का चलना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल है।
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