जशपुर, टीम पत्रवार्ता, 09 सितम्बर 2025
जनजातीय परंपराओं और आधुनिक तकनीक के संगम से सतत आजीविका की दिशा में जशपुर में बड़ा कदम उठाया गया है। हरियाणा के सोनीपत स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार से एक महत्त्वपूर्ण परियोजना मिली है।
“सतत आजीविका और उद्यमिता विकास के लिए छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति समुदायों की स्वदेशी प्रथाओं का तकनीकी संवर्धन” नामक यह पहल जशपुर जिले में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य पारंपरिक कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण विधियों का वैज्ञानिक विश्लेषण और तकनीकी उन्नयन करना है।
परियोजना के तहत जावाफूल व जीराफूल जैसे स्वदेशी चावल की छिलाई विधि, महुआ के फूलों का कटाई-पश्चात प्रसंस्करण तथा महुआ, कुट्टू और रागी से मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करने की दिशा में काम होगा। इससे उत्पादन क्षमता बढ़ाने, पोषण तत्वों को सुरक्षित रखने, गुणवत्ता सुधारने और ऊर्जा खपत कम करने पर जोर रहेगा।
प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रसन्ना कुमार जी.वी. ने 6-7 सितंबर को जशपुर दौरा कर संभावित स्थलों का चयन किया। बैल और इलेक्ट्रिक मोटर से चलने वाली ढेकियों, पारंपरिक चावल छिलाई उपकरण तथा महुआ सुखाने हेतु सौर सुरंग प्रणाली लगाने की योजना है।
परियोजना के लक्ष्यों में सामुदायिक स्वामित्व आधारित मॉडल, बड़े पैमाने पर तकनीक अपनाने की संभावना, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, ब्रांडिंग और विपणन चैनल विकसित करना तथा उद्यमिता को प्रोत्साहन शामिल हैं।
जशपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने इसे “परंपरा और तकनीक का अनूठा संगम” बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल स्थानीय कृषि और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। इससे आदिवासी समुदायों की आय, कौशल और बाजार तक पहुँच बढ़ेगी, साथ ही उनकी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक पहचान भी सुरक्षित रहेगी।



0 Comments