हरिद्वार, टीम पत्रवार्ता, 22 जुलाई 2025
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज में मंगलवार को 45वां ज्ञान दीक्षा संस्कार समारोह अत्यंत श्रद्धा, गरिमा एवं उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ यूपीईएस के कुलाधिपति डॉ सुनील राय, कुलपति श्री शरद पारधी एवं प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। ज्ञानदीक्षा समारोह में बिहार, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, गुजरात, केरल, उप्र, उत्तराखण्ड, राजस्थान आदि राज्यों तथा नेपाल सहित कई देशों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
समारोह के मुख्य अतिथि बाबा मस्तनाथ विवि रोहतक के कुलाधिपति महंत बालकनाथ योगी ने कहा कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार और अध्यात्म को समान रूप से महत्व दिया जाता है। यहाँ का वातावरण विद्यार्थियों को समग्र विकास की ओर प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि यह समय नये युग के लिए कदम बढ़ाने का अवसर है। यहाँ प्राप्त सद्ज्ञान के प्रकाश तथा भारत के वैभव, संस्कृति को विश्व भर में फैलायेंगे, ऐसा विश्वास है। श्री योगी व्यक्ति के जीवन का मूल मंत्र को जानने, समझने के लिए विविध उपाय सुझाया।
युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि ज्ञान दीक्षा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन में एक नई दिशा और चेतना का आरंभ है। यह संस्कार उन्हें विश्वविद्यालय के आदर्शों, अनुशासन और सेवा परंपरा से जोड़ता है। युवा आइकॉन ने कहा कि जीवन में जब भगवान आते हैं, तो सौभाग्य का अवतरण होता है और जो भगवान के सहयोगी बनते हैं, उनका नाम ही अमर होता है। कबीर, सुरदास, पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विवि के कुलाधिपति डॉ सुनील राय ने श्रद्धा, प्रसन्नता और रूपरेखा को मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया। इससे पूर्व कुलपति श्री शरद पारधी ने समारोह में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों, अभिभावकों और सहयोगीगण का स्वागत किया।
इस अवसर पर देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या स्नातक, परास्तानक एवं पीएचडी के नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं से वर्चुअल जुड़े और वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधिपूर्वक ज्ञान दीक्षा प्रदान की।
समारोह की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण के साथ प्रज्ञागीत से हुआ, जिसमें सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया। दीक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्यों, सेवा-भावना एवं भारतीय संस्कृति के आदर्शों का बोध कराया गया। इस दौरान युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने अतिथियों को गायत्री मंत्र चादर, युगसाहित्य एवं विवि के प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। अतिथियों ने रेनांसा, अनाहद पत्रिका का विमोचन किया। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, अभिभावक तथा छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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