... 57 साल के अधेड़ की जब पंचायत में हुई पेशी....नाबालिग से दुष्कर्म,गर्भवती करने से लेकर मां बनाने का पूरा सच

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57 साल के अधेड़ की जब पंचायत में हुई पेशी....नाबालिग से दुष्कर्म,गर्भवती करने से लेकर मां बनाने का पूरा सच


जशपुर( पत्रवार्ता) कहते हैं दुनिया में पिता पुत्री का सबसे पवित्र रिश्ता होता है।ऐसे ही पितातुल्य 57 साल के आरोपी जॉन तिर्की ने इस रिश्ते को तार तार करते हुए मर्यादा की सारी सीमाओं को तोड़ने का दुष्कृत्य किया है।

इस बेहद संवेदनशील मामले को पंचायत ने भी नहीं बख्शा।भरे पंचायत में पीड़ित नाबालिग की पेशी कराई गई और आरोपी जॉन को भी तलब किया गया।

जहां जॉन ने पीड़ित नाबालिग के बच्चे को अपना मानने से इनकार कर दिया और पीड़ित नाबालिग चीख चीख कर कहती रही यह नवजात जॉन का है।

दरअसल मामला है जशपुर जिले के तपकरा थाना इलाके का जहां 57 साल के अधेड़ ने नवमीं की छात्रा 15 वर्षीय नाबालिग युवती को अपनी हवस का शिकार बनाया।जिसके कारण पीड़ित गर्भवती हो गई।

मामला मई 2018 का है।जब आरोपी जॉन तिर्की के घर मे कोई नहीं था तब उसी गांव में रहने वाली एक नाबालिग लड़की को देख रेख के लिए उसने अपने घर चलने को कहा और लड़की के माता पिता से अनुमति लेकर उसे अपने घर ले गया।

यहां मई 2018 में ही उसने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया और पीड़ित को जान से मारने की धमकी देकर किसी को कुछ भी बताने से मना कर दिया था।

कुछ दिनों बाद जब पता चला कि पीड़ित गर्भवती हो गई है तब तक काफी देर हो चुकी थी और गर्भपात भी संभव नहीं था।ऐसे में परिजनों ने कठोर निर्णय लेते हुए बच्चे के जन्म की तैयारी की और 3 जनवरी को नवजात कन्या का जन्म हुआ।

यह बात पूरे गांव में फैल गई और नवजात के पिता की तलाश शुरु हुई।गांव में पंचायत भी बैठाई गई जहां पीड़िता ने जॉन तिर्की का बच्चा बताया।जॉन तिर्की से जब पंचायत ने पूछा तो उसने साफ इंकार कर दिया।

अब पंचायत के सामने अनिर्णय की स्थिति निर्मित हो गई और मामले में पीड़िता के द्वारा थाने में एफआईआर कराया गया।

थाना प्रभारी एसआर भगत ने बताया कि पूरे मामले में जॉन तिर्की आरोपी है जिसके विरुद्ध आईपीसी की धारा 376(3),506 व पोक्सो एक्ट की धारा 4,5,6 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।आरोपी हिरासत में है जिसे न्यायालय में पेश कर रिमांड पर जेल भेजने की तैयारी की जा रही है।

बहरहाल इस पूरे मामले में घटना कारित करने वाले के खिलाफ कानून ने तो अपना काम कर दिया।वहीं पीड़ित और नवजात शिशु के पालन पोषण के लिए अब तक शासन व जिला प्रशासनके द्वारा किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की गई है।

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