जशपुर, टीम पत्रवार्ता,26 दिसंबर 2025
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के 73वें स्थापना दिवस एवं संस्थापक बाला साहब देशपांडे की जयंती के अवसर पर आज कल्याण आश्रम विद्यालय परिसर में वार्षिकोत्सव एवं स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी रहे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति हमारी पहचान है और इसे सहेजना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। बाला साहब देशपांडे का जनजातीय समाज की संस्कृति, कला और जीवनशैली के संरक्षण में योगदान अविस्मरणीय है। आज वनवासी कल्याण आश्रम देशभर में आदिवासी समाज के उत्थान और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है।
वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि आदिवासी समाज सदियों से प्रकृति पूजक रहा है। वृक्ष, पर्वत, नदियां, धरती माता और गौमाता की पूजा आदिवासी संस्कृति की विशेषता रही है। आज आदिवासी खान-पान और जैविक खेती को पूरी दुनिया अपना रही है। कोदो-कुटकी जैसे पोषक अनाजों का वैश्विक महत्व लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज के योगदान को याद करते हुए भगवान बिरसा मुंडा और शहीद वीर नारायण सिंह जैसे महानायकों को नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर आदिवासी समाज के योगदान को राष्ट्रीय सम्मान दिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय का निर्माण कर जनजातीय इतिहास और संस्कृति को सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि नागपुर हाईकोर्ट के अधिवक्ता गजानन असोले एवं देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव गोविंद नारायण सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने की। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद भगत, जनपद अध्यक्ष गंगाराम भगत, उपाध्यक्ष यश प्रताप सिंह जूदेव सहित जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
कार्यक्रम में लोक कला संगम के अंतर्गत 150 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत जनजातीय लोकनृत्य एवं मलखंभ प्रदर्शन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। सांस्कृतिक प्रतियोगिता में 8 से 18 वर्ष आयु वर्ग में शबनम बाई को प्रथम, संदीप को द्वितीय और ओंकार राम भगत को तृतीय पुरस्कार मिला। 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में कैलाश चौहान को प्रथम, गुंजी भगत को द्वितीय तथा कमला बाई को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।





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