... Sunday Story : "माँ की ममता" और "पिता का अटूट विश्वास",विषम परिस्थितियों के बीच हुआ जन्म और दुसरे दिन नवजात शिशु के "दिल का सफल आपरेशन",नेकदिल इन्सान के दिल से लिखी हुई "आपबीती" आप भी दिल से दुआ करें ....जरुर पढ़ें.....

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Sunday Story : "माँ की ममता" और "पिता का अटूट विश्वास",विषम परिस्थितियों के बीच हुआ जन्म और दुसरे दिन नवजात शिशु के "दिल का सफल आपरेशन",नेकदिल इन्सान के दिल से लिखी हुई "आपबीती" आप भी दिल से दुआ करें ....जरुर पढ़ें.....

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,30 मई 2021

BY योगेश थवाईत

साभार : राजेश जैन जी के फेसबुक वॉल से।

कहते हैं न जहाँ चाह होती है वहां राह अपने आप बनती चली जाती है।कुछ ऐसा ही हुआ है जशपुर स्वच्छ भारत मिशन के जिला प्रभारी राजेश जैन जी के साथ।आप संक्षिप्त में समझ जाएँगे तो माँ की ममता पिता के विश्वास और ईश्वर की कृपा के साथ प्रबल पुरुषार्थ को नहीं समझ पाएँगे ...इसके लिए आपको पूरी कहानी राजेश जी की जुबानी समझनी होगी ..धैर्य के साथ पढ़ें ...संघर्ष की पूरी आपबीती .....

पुत्र रत्न की प्राप्ति संघर्ष ,विषमताओ में

जीवन मे विषमताओं का दौर भी अजीब सा होता है।किन्तु सच कहा जाता है ,यदि पूर्णिमा का चंद्रमा देखना है तो अमावस की शांत काली रात को स्वीकारना होगा।

जब आपको पता हो कि जिस #मां के गर्भ में घर का चिराग मन्द मन्द जल रहा हो। वह मां अप्रत्याशित खुशियों से सराबोर रहती है, उसकी मनः स्थिति स्वच्छंद पक्षी की तरह होती है,अंदर ही अंदर किलकारियों की गूंज मन को मुग्ध बनाती रहती है।

और अचानक से कोई तेज हवा उस दीपक को फड़फड़ाने की स्थिति में लाकर खड़ी कर देती, जब वह महज 120 दिन का हो तब उस मां या बाप पर क्या बितती है..? इससे सभी परिचित हैं।तब एक निश्छल व्यक्ति के सामने दो परिस्थितियां निर्मित होती है,पहली यह कि वह दीपक का अस्तित्व खत्म कर दे और दूसरी यह कि प्रतिक्षण उस प्राण के जीवन ज्योति की रक्षा हेतु अडिग रहें।
और मैं अडिग रहा, बस एक संकल्प की में तो निमत्त मात्र हूं यदि ईश्वर ने जीव दिया है तो जीवन भी अवश्य देगा,अंततः उसके कुछ हितैषी, मित्र उस व्यक्ति का मनोबल बढ़ाते है और तन,मन,धन से मिशन संघर्ष में जुट जाते है।


एक बहिन जो सारी चीजें लाइनअप करती है,व्यवस्था की स्थितियो से स्वयम अवगत होती है। और मुझे भी अवगत कराती है, हर समय की स्थितियों को अपने जहन में रखना और आगे की भी व्यवस्था तय करना ,हम तो फकीर आदमी अपनी अर्द्धांगिनी को पकड़े और चल पड़े, पर फ़क़ीर भी तो इंसान ही होता है भविष्य की ज्ञात परिस्थितियों से मन विचलित था, पत्नी भी डरी सहमी सी आखिरकार रेलगाड़ी में बैठ ही गई।

जो होगा सब ठीक होगा ,भगवान कृपा बनी रही।फिर क्या था जा पर कृपा राम की होइ ,ता पर कृपा करें सब कोई, बो 15 मई की रात जब डर और विचलित मन के कारण 9 माह के गर्भस्थ वच्चे के कारण ट्रेन के हिलने से भी , मानो ऐसा लग रहा था कि बस से NH 43 के रास्ते पत्थलगांव जा रहे हो।

किसी तरह रायपुर मिला, वो रात जीवन पर्यन्त याद रहेगी।

पर मुझे क्या पता सीता की तरह की अग्नि परीक्षा तो अभी बाकी है।

रायपुर पहुचना एक फ़िल्म के ट्रेलर की तरह था,जिससे जीवन के आगे के पहलुओं की जिज्ञासा और घटित होने वाली, घटनाओ की और इंगित कर रहा था।

मित्र साथी ने पहुचते ही रहने खाने सोने की समुचित व्यवस्था की किन्तु आने वाले समय की परेशानियों की बारे में सोचते सोचते फिर भला कितना भी स्वदिष्ट भोजन हो गले के अंदर निवाला जाना मुश्किल होता रहा, और आंखों में वसी चिंता सोना तो दूर की बात है, सोच सोच कर हैरान थी, फिर भी मित्र साथी बार बार हालचाल पूछते रहे ,अन्य साथी सहकर्मी भी सतत रूप से संपर्क बनाए रखे जिनका अहसानमंद में जीवनपर्यंत रहूंगा।

चिंता थी कल नागपुर निकलना ,कोई जान पहचान है नही ,ऊपर कोरोना वायरस का तेजी से फैल रहा सक्रमण ,थोड़ी बहुत कमी थी तो लॉक डाउन ने पूरी कर दी ,अब रोजमर्रा की दिनचर्या के लिए दूर बड़े अनजान शहर में लगभग एक पखवाड़ा निकलना चिंता का विषय था लेकिन परमात्मा पर पूरा अटूट विश्वास था।



हो ईश्वर को रोशनी मंजूर तो आँधियों में भी चिराग जलते है

मित्र साथी सुबह 5 बजे निकले के पूर्व ही नास्ता बनावा कर रख दिया और बोला अच्छे से जाना भगवान सब ठीक करेंगे उस समय की स्थिती ऐसे की जैसे ही ड्रावर ने गाड़ी स्टार्ट की उसकी खिर्रर की आवाज भी करकस और विछोव वेदना और हार्ट बिट बड़ा रही थी थोड़ा हौसला बढ़या ईस्वर का स्मरण किया पत्नी की निराश चेहरे की तरफ उम्मीदों और झूठी हँसी चेहरे पर लाकर निकल पड़े।

जैसे नागपुर इंटर किये संपर्क सूत्र वाली डॉक्टर मेडम से पता पूछा मेडम जी कहा आना है।

उन्होंने पता व्हाट्सएप किया और बोली सुनिए इस पते पर जाकर पहले सोनोग्राफी करा लीजिये और सोनोग्राफी होते ही काल करियेगा।

जैसे तैसे लंबे इंतजार के बाद पत्नी की सोनोग्राफी रिपोर्ट हाथ में आई नहीं की साथी मित्र का चिंता कर देने वाला फोन कॉल आया मैंने बड़े ही उत्साह से उनसे पूछा रिपोर्ट क्या है उन्होंने धीमे और मंद स्वर में कहां भाभी की तो ठीक है पर आपकी........इतना सुनाते ही बोली भाभी को मत बताइएगा और आप अपना ध्यान रखें कुछ क्षणों के लिए जैसे जमीन पांव के नीचे से खिसक गई हो एवं सारा शरीर शून्य अवस्था में पहुंच गया।

हे भगवान मेरी रक्षा करना मेरी पत्नी की रक्षा करें और मेरी पत्नी गर्भ में बच्चे की रक्षा करना नवकार मंत्र का पाठ किया बाबा महाकाल का ध्यान दिया मां महामाया का स्मरण करके ।

काँपते ओठो से डॉक्टर मैडम जी को काल किया रुंद्धा गला दर्द पीड़ा और चिंताओं से परिपूर्ण था आवाज का निकला मुश्किल था पूछा कहा आना है।

पुनः डाक्टर मैडम व्हाट्सएप पर पता भेजा जैसे तैसे वहाँ पहुचे और ड्राइवर को धन्यवाद देते हुए उसे बिदा किया,एक परिस्थियों से घिरा इंसान जिसकी पत्नी पेट से ,गर्भस्थ शिशु को हार्ट में गंभीर बीमारी , और स्वयं ऐसी स्थिति में की उनके पास भी न रह पा सके।

फिर भी पसीना से लतपथ दोनो बैग सँभालते हुए पत्नी को आगे करके हॉस्पिटल मे प्रवेश किया, आते ही तुरन्त होस्पिटल स्टाफ अपनी कागजी कार्यवाही करने में व्यस्त हो गया ,साथ ही मरीज एडमिट होने के तुरन्त वाद ही उपचार प्रारम्भ हुआ।

सभी शुभचिंतको के फोन काल आ रहे थे और वर्तमान स्थितियों की जानकारी ले रहे थे, अचानक याद आया क्यों न बड़े भैया और भतीजे को बुला लिया जाए फिर क्या घर फोन लगाया सारी स्थितियो को बताया , और देर रात तक गाड़ी बुक करके आखिरकार वचते वचाते भैया और भतीजा गन्तव्य तक पहुच गए।

सभी कुशल क्षेम पूछा सब इधर उधर जैसे तैसे सो गए। रात तो काटनी ही थी।

पर मुझे सुबह की चिंता घुन की तरह तिल तिल लगी हुई थी।डॉक्टर मैडम जी ने 7,30 बजे का सीजर का समय जो दिया था,और अंततः डॉक्टर मेडम की चौकचौबन्द व्यवस्था के अनुकूल मंत्रो और स्त्रोतों प्रार्थनाओ के दौर में नए मेहमान का शुभ आगमन हुआ, उसकी पहली रोने की आवाज द्वंद पैदा कर रही थी जिसमे अथाह खुशी और डर समाहित था।नीचे एम्बुलेंस तैयार थी, तुरन्त पूरी एहतियात के साथ शिशु को बिना समय नष्ट किये दूसरे हॉस्पिटल #किंग्सवे लाया गया जा रहा था,

वो वक्त मेरे जीवन का पहला क्षण था जब मैने 38 वर्षो में पहली बार एम्बुलेंस में पैर रखा ,बार बार आंखे वच्चे को निहार रही थी उधर एम्बुलेंस की सायरन घबराहट और चिंता बड़ा रही थी सही कोर्डिनेशन और पूरी सतर्कता से वच्चे को NICU में वेंटिलेटर रखा गया , मेरी और शुभ चिंतको की प्रार्थना का दौर पूरी शिद्दत से चल रहा था।

तभी एक स्टाफ नर्स ने बोला,आपको डाक्टर साब बुला रहे है।रोंगटे खड़े हो गए।उम्मीद के छोटी सी किरण लिए डॉक्टर साब को प्रणाम अभिवादन किया ,डॉक्टर साब ने वर्तमान में वच्चे की स्थिति और हार्ट की गम्भीर बीमारी के वारे में स्केच के माध्यम से पूरी तरह समझाया ,जिसके बारे में 5 माह पहले ही हल्की फुल्की जानकारी थी मुझे।

मेने डाक्टर सर से इलाज जारी रखने आग्रह किया ,एडमिट होने की कागजी कार्यवाही सतत रुप से जारी थी ,फिर हिम्मत करके डॉक्टर साव से ऑपरेशन के खर्च हेतु हल्के स्वर में वोला साब कितना खर्चा होगा,डॉक्टर साब बोले 3.50 ....क्या करना है बोले स्थिति गंभीर है, डाक्टर्स की पूरी टीम लगेगी ऑपरेशन में 5,6 घण्टे लगेंगे, और रिस्क बहुत है।

मेने पल भर भी इंतजार नही किया ,ओर सांकेतिक हामी भर दी ,डाक्टरर्स ने बोला एडमिट कार्ड बनवा लो और 80 प्रतिशत फीस जमा कर दो तुरन्त , इधर फोन कॉल सतत रूप से आ रहे थे, उधर दूसरे हॉस्पिटल में पत्नी दूसरा जन्म ले रही थी इधर वच्चे को देखु की उधर मां को दोनों हॉस्पिटल मे लगभग 5 किलोमीटर का फासला आखिर कार पत्नी के पास भैया और भतीजे ने मोर्चा संभाला और वच्चे साइड में , किसी तरह 2,3 ATM जाकर 2.00लाख रुपये जमा किये डाक्टर साब के पास अग्रिम राशि जमा हो गई है कॉन्फॉर्मेशन आया, और एडमिट फ़ाइल टेबिल तक पहुची पुनः मेरी पुकार हुई ,मन मे फिर घबराहट अब क्या नया माजरा होगा काँपते पैरो से अंदर गया जी सर ,डॉक्टर सर बोले यदि वच्चे की स्थिति ठीक रही ,तो कल ऑपरेशन होगा , और जो फॉर्मेलटीज है उसको पूरा कर दो।

मैंने सारी फॉर्मेलिटीज पूरी की और दवे पांव बाहर आया ,बस प्रार्थनाओ का दौर चल था।

इधर आया तो देखा बेड पर गुपचुप अचेत अवस्था मे पड़ी पत्नी अपनी हल्की सी आंखों से मुझे देख रही थी मानो बो अपनी कर्तव्य निष्ठा का बोध करा रही हो।

कि आपकी अमानत जिसको पूरे 9 माह सम्हाल कर रखा था आज वह सृष्टि में आ गया पर चाह कर भी तकलीफ और अथाह पीड़ा से कुछ नही बोल पाई, मेरे जीवन का ये अलग अनुभव था जहाँ झंझावतों के बीच समन्वय स्थापित कर रहा था, खुद को वार वार सम्हाल रहा था दवाइयों बिलो और इस काउंटर से उस काउंटर उस काउंटर से अगले पर लिफ्ट का दौर चल रहा था।

कभी 3,4, 5 ,7 ,1 ,2 किशी तरह रात 8 बजे चाय पीने का मन किया किन्तु वो कहा नशीब में थी। अब तो बस अगले दिन का इंतजार था कब सुबह हो और वच्चे को NICU से OT में ले जाते है
आखिरकार सुबह 5 बजे आंख खुली बाहर आया चहलकदमी करते करते कब मां शीतला के दरवार पहुच गए पता ही नही चला ,मां का आशीर्वाद लिया प्रार्थना की और वापिस हॉस्पिटल आ गया।

सुबह साढ़े नौ बजे डॉक्टर साहब ने पुनः बुलाया और वच्चे के साथ OT तक लेकर गए ,पुनः सारा वाक्या बड़ी सहजता से बतलाया और बोले 5,6 घण्टे इंतजार करो, शेष मिलने के बाद में नम आंखों से वच्चे की तरफ देखा और अचेत अवस्था मे बाहर आया छोटी सी जान और जन्म के दूसरे दिन #दिल का ऑपरेशन हे ईस्वर !

सभी शुभचिंतक रिस्तेदार,दोस्त,सहकर्मी परिवारजन सिर्फ और सिर्फ दुआओ मांग रहे थे ,प्रार्थना पूजा पाठ, महामृत्युजय जाप, चालीसा, आरती, जिससे जो बन पा रहा था सिर्फ ईस्वर से बच्चे के कुशल क्षेम मांग रहे थे। बाला जी मन्दिर के पुजारी पंडित रमाकांत मिश्रा,मेरे बचपन के मित्र छोटू महराज ,निरंतर बिधिवत आराधना कर रहे थे मेरे सहयोगी मित्र, पापा सासो माँ, सभीभैया सभी बहिने, बुआ फूफा जी चाचा चाची सभी दीपक जलाकर कर वच्चे के स्वस्थ जीवन हेतु आराधना कर रहे थे।

तभी अपराह्न 3 बजे एक लंबे अंतराल के बाद पुनः बुलाया गया ,बच्चा अब OT से पुनः NICU में वेंटिलेटर पर और विभिन्न चिकित्सीय उपकरणों से सुशोभित एक योद्धा की भांति विश्राम कर रहा था ,और क्यों न करे 9 माह अंधरे में गुजरा खुलकर सांस भी नही ले पाया जैसे तैसे बाहर आया तो 6 घण्टे तक अपने आपसे लड़ा, और अंततः विजय प्राप्त की ऑपरेशन सफल रहा।

डॉक्टर बच्चे को दिखाते हुए बोले सब ठीक है 3 दिन तक सतत निगरानी में रहेगा ,जब तक कि शरीर के समस्त अंग सामान्य रूप से कार्य नही करने लगते, तब तक रिस्क ही है आप सिर्फ ईस्वर की प्रार्थना कीजिये।में जी बोलकर बाहर आया और सभी को कुशल क्षेम बताया।

किसी तरह वह दिन निकला शाम तक मानसिक और शारीरिक रूप से शरीर स्थिलता की परिभाषा व्यक्त करने लगा था।

जैसे ही पत्नी के पास आया बो कुछ बोल पाती में भतीजे से बोला बेटा खाना दे दे जोरो की भूख आई है। वह भी मेरी हालत को देखकर असमंजस में था ,की पहले इतना टूटा हुआ अपने चाचा को कभी नही देखा।

खाना खाते खाते भगवान का धन्यवाद दिया और अच्छे से ऑपरेशन हो गया पत्नी को बोलता रहा, पर बो तो मां है।भला उसे कैसे विश्वास हो, फिर भी उसने भी धन्यवाद दिया प्रभु को आगे सब ठीक रखे कहने लगी।

किसी तरह नीचे ऊपर वार वार उम्मीद भरी नजरों से ICU की और झांकते नर्स अन्य डाक्टर से करुणामय होकर बच्चे के उत्तम स्वस्थ के वारे में पूछता हर कोई बोलता सब ठीक है।सब ठीक होगा, धर्य रखिये, किसी तरह 3 रात और 2 दिन निकले दूसरे दिन डॉक्टर ने कहा यदि ईस्वर कृपा रही तो जल्द बच्चा ICU से बाहर आ जायेगा ,अब तो बस ,मन उत्साहित था कि कब अभिराम,रक्षित,मृत्युंजय, पार्श्व ,तकनीकी चिकित्सीय उपकरणों से मुक्त होकर अपनी व्याकुल मां के अचंल में आ जाये।

आंखे नम हो रही थी किन्तु इस बार खुशी से नम थी

आज सातवां दिन है छोटी सी जान को वेंटिलेटर रहते इधर उनकी मां हर समय अपने बच्चे को देखने के लिए लालाइत है, जो मा अपने बच्चे को जन्म देने के बाद से अभी तक न देखी हो ,या जन्म लिया बच्चा अपने माँ की आँचल से पूरे सप्ताह भर वंचित हो ,दोनो की पीड़ा शब्दो मे मुश्किल है। कल्पनाओ को आप हम जो उड़ान दे दे।ऊपर हर शाम मेरी बेटी फोन करके बोलती तब आंखे डबडबा जाती जब मेरी प्यारी लक्ष्मी बिटिया मैहर,रिद्धिअपनी तोतली आवाज में बोलती पापा टाइम से खाना खा लेना और मम्मी ,छोटे बाबू का ध्यान रखना ,मिस यू पापा लव्वु पापा छोटे बाबू को लेकर जल्दी आओ न, मैं जी बोलकर बाहर आया और सभी को कुशल क्षेम बताया ।

सभी ने ईस्वर का धन्यवाद दिया आज ऑपरेशन के बाद पांचवा दिन है। ईस्वर कृपा परिजनों के आशिर्बाद और आप सभी की दुआ से अभी तक स्थिति ठीक है ,किसी तरह मां और वच्चे को सम्हालते सम्हलते पूरे 8 दिन बीत चुके थे, थोड़ा चिंतित था बच्चे के स्वस्थ को लेकर और क्यों न हूँ।

डॉ सर ने ऑपरेशन लम्बा होने से एवं वच्चे की उम्र महज 13 घण्टे और ऑपरेशन के दौरान हल्का इंफैक्शन हो गया जानकारी जो दे दी थी। इसलिए दिल घबरा रहा था।

किन्तु 9 दिन जब मां डिस्चार्ज हुई और बिलखती हुई अपने नवजात से मिली तो वो दृश्य अनुपम सुखद और खुशियो से ओतप्रोत था दोनो मां बेटे एक दूसरे को एकटक निहार रहे थे, वह रोकर अहसास दिला रहा था कि मां बहुत तकलीफ सहन की है तू कहा थी अब तक
और मां ,खुशियो के मोती आंखों से निकलते हुए ।बेटे के शीघ्र स्वस्थ की कामना कर रहा था।

में बाहर दूर खड़ा ,मां बेटे के दुलार को देखकर स्थिर अवस्था से सिर्फ और सिर्फ भावनाओ के सागर में डूबा हुआ था।

10 दिन जल्दी तैयार होकर पुनः अपने लाल से मिलने होटल से धीरे धीरे खुद को सम्हलते सम्हलते ,मां हॉस्पिटल पहुची और जी भरकर कर बेटे को दुलार किया।

भगवान महाकाल,से भगवान पार्श्वनाथ से बाला जी भगवान से मां महामाया से प्रार्थना है जल्द वच्चे को स्वस्थ लाभ मिले।
👏👏👏
धन्यवाद डॉक्टर संदीप सर
धन्यवाद डाक्टर संगीता मेम
धन्यवाद डॉक्टर लाड सर समस्त स्टाफ
धन्यवाद वैशालीली मेम का
धन्यबाद खाना देने भैया
धन्यवाद सुधा मैडम जी
धन्यवाद सौरभ भैया..........

फिलहाल बच्चे की स्थिति पहले से बेहतर है आपरेशन के बाद रिकव्हर होने में आप सभी की दुवाओं की आवश्यकता है।राजेश जी आज भी अपने परिवार के साथ नागपुर में हैं और हम सबकी दुवाओं के साथ संघर्ष कर रहे हैं...आप सब भी बच्चे के ऊत्तम स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि राजेश जी और उनके परिवार का संघर्ष सफल हो......

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