... खबर खास : ये!कैसा नगर पंचायत..? जहां जनता और पत्रकारों का प्रवेश है "वर्जित" है..। परिषद के बजट बैठक से शुरु हुआ '" गुप्त खेल "....? यहां नहीं चलता नगर पंचायत अधिनियम।

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खबर खास : ये!कैसा नगर पंचायत..? जहां जनता और पत्रकारों का प्रवेश है "वर्जित" है..। परिषद के बजट बैठक से शुरु हुआ '" गुप्त खेल "....? यहां नहीं चलता नगर पंचायत अधिनियम।


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,29 फरवरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि जशपुर जिले के नगर पंचायत बगीचा में जनता और पत्रकारों का प्रवेश वर्जित है।जी हां हम बात कर रहे हैं नगर पंचायत के परिषद के बैठक की जहां नियम होने के बावजूद जनता व पत्रकारों को बैठक में प्रवेश नहीं दिया गया और परिषद की बैठक पूर्णतः गुप्त हो गई।

उल्लेखनीय है कि नगर पंचायत बगीचा में 29 फरवरी को आगामी बजट वर्ष 2020-21 व अन्य विषयों पर परिषद की बैठक रखी गई थी।इस परिषद की बैठक में दर्शक दीर्घा में बैठने के लिए पूर्व में अध्यक्ष को आवेदन दिया गया था।इसके बावजूद परिषद की उक्त बैठक में न तो जनता को बैठने दिया गया न पत्रकारों को।

दरअसल यह सारा मसला शुरु हुआ पार्षद पतियों को लेकर,विपक्ष को यह डर सता रहा था कि कहीं पार्षद पति हावी न हो जाएं।देखा जाए तो नियमतः ऐसा होना ठीक भी नहीं।इसी बात को लेकर बैठक की शुरुआत के साथ ही विपक्ष का दबाव शुरु हो गया और क्या जनता..? क्या पत्रकार.... सबको एक भाव में तौलते हुए किसी को परिषद की बैठक में उपस्थिति नहीं मिली।

हो सकता है परिषद के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को नगर पालिका नियमों की जानकारी न हो।पार्षद पतियों को भले ही उपस्थिति न मिले पर आम जनता का तो अधिकार है,इस बात का ख्याल परिषद को रखना चाहिए।नगर पालिका अधिनियम की कंडिका 29 में स्पष्ट उल्लेख है कि परिषद का पीठासीन जनता व पत्रकारों,महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कर सकता है।


इसके बावजूद नगर पंचायत बगीचा के परिषद पीठासीन द्वारा परिषद की बैठक में प्रवेश न देना नगर पंचायत की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े करती है।जनता व पत्रकारों को परिषद के सभागृह में प्रवेश से वंचित रखना फिर से गुप्त बैठक व गुप्त कार्यवाही के परिपाटी की ओर ईशारा करता नजर आ रहा है।

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