... अंतिम यात्रा : "रियासत की विरासत " "राजमाता" को अंतिम प्रणाम,दिग्विजय,टीएस सिंहदेव ने दिया कांधा, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।

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अंतिम यात्रा : "रियासत की विरासत " "राजमाता" को अंतिम प्रणाम,दिग्विजय,टीएस सिंहदेव ने दिया कांधा, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।



अम्बिकापुर ,टीम पत्रवार्ता,12 फरवरी 2020

सरगुजा रियासत की राजमाता स्वर्गीय देवेंद्र कुमारी सिंहदेव के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया।सरगुजा रियासत को अपने प्यार,दुलार से पोषित,पल्लवित और सुरभित करने वाली ममतामयी माता को पूरे राजकीय सम्मान के साथ रुंधे कंठों व नम आंखों से विदाई दी गई।
सरगुजा के रानी तालाब में विशेष राजकीय व्यवस्था के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।अंतिम यात्रा में दिग्विजय सिंह समेत प्रदेश के आला मंत्री,कार्यकर्ताओं के साथ समूचा सरगुजा शामिल हुआ।
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राजमाता का पार्थिव शरीर आज विशेष प्लेन से सरगुजा पंहुचा जिसे लेने के लिए मंत्री टीएस सिंहदेव समेत मंत्री ताम्रध्वज साहु,मोहम्मद अकबर,कवासी लखमा,अमरजीत भगत,रवींद्र चौबे,उमेश पटेल,शिव डहरिया विधायक सत्यनारायण शर्मा,धनेंद्र साहू,मोहन मरकाम व अन्य मंत्री कार्यकर्ता दरिमा एयरपोर्ट पंहुचे जहां से ससम्मान राजमाता का पार्थिव शरीर राजमहल लाया गया।यहां अंतिम दर्शन के लिए समूचा सरगुजा उमड़ता हुआ दिखाई पड़ा।अंतिम यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह व टीएस सिंहदेव ने राजमाता को कांधा दिया।
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इंदिरा व राजीव गांधी भी थे प्रभावित
1966 में अपने श्वसुर महाराजा अम्बिकेश्वर शरण सिंहदेव के निधन के बाद सरगुजा की राजनीतिक विरासत को राजमाता ने सम्हाला और लोगों के दिलों पर वे राज करने लगीं।जनता के मर्म को जरूरतों को उन्होंने समझा और सतत जमीनी जुड़ाव के साथ वे मजबूती से रणक्षेत्र में डटी रहीं।राजमाता स्वर्गीय देवेंद्र कुमारी के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ आत्मीय संबंध थे।1967 व 1972 में सरगुजा भीषण अकाल से ग्रस्त था तब स्वयं इंदिरा गांधी यहां आईं थी और उस वक्त राजमाता ने इंदिरा गांधी को दुर्गम क्षेत्रों का दौरा कराया था।अपने सिद्धांत व उसूलों के कारण इंदिरा गांधी भी उन्हें बहुत पसंद करती थी।

कांग्रेस के राजनीतिक जमीन की नींव रखी
अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जड़ों को सींचने का काम राजमाता ने किया।पति आईएएस एमएस सिंहदेव मध्यप्रदेश में शीर्ष पद पर थे।जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने गांव गांव का सफर किया और राजमाता संघर्ष की प्रतीक बन गईं।1971 में इंदिरा गांधी ने उन्हें सरगुजा लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी जिसमें कांग्रेस के बाबूनाथ सिंह भारी मतों से विजयी हुए।अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी के मंत्रिमंडल में वे आवास पर्यावरण मंत्री रहीं।वहीं मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में सिंचाई और मत्स्य मंत्री के रुप में इन्होंने काम किया।

छोटे काम पर था भरोसा
राजमाता हमेशा छोटे कार्यों की ओर अधिक ध्यान देतीं थी हांलाकि यह उनकी कार्यशैली थी जिसके बलबूते वे बड़े लक्ष्य को साधने का प्रयास करती थीं।दूरस्थ इलाकों में सोसायटी का राशन,अस्पतालों में पर्याप्त दवाईयों का स्टॉक,पेयजल की व्यवस्था में उनका अहम योगदान था।राजमाता ने राज्यमंत्री रहते सरगुजा में पॉलिटेक्निक कॉलेज व गांधी स्टेडियम की स्थापना कराई थी।

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