... मांग : "प्रदेश" के 30 हजार "वकीलों" ने की " एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट" लागू करने की मांग,CM भूपेश बघेल को याद दिलाया चुनावी वादा,मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देकर कही ये बात,मांग पर सुनवाई नहीँ हुई तो......?

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मांग : "प्रदेश" के 30 हजार "वकीलों" ने की " एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट" लागू करने की मांग,CM भूपेश बघेल को याद दिलाया चुनावी वादा,मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देकर कही ये बात,मांग पर सुनवाई नहीँ हुई तो......?

जशपुर,टीम पत्रवार्ता,04 सितंबर 2021

BY योगेश थवाईत 

पत्रकार सुरक्षा कानून के बाद अब वकीलों ने प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।वहीं कोरोना महामारी के दौरान अधिवक्ताओं को आर्थिक पैकेज दिये जाने की भी मांग वकीलों ने की है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 30 हजार से अधिक अधिवक्ता विधि व्यवसाय में सलंग्न हैं।मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में वकीलों ने बताया है कि समाज का हमारा यह वर्ग कानून के रक्षार्थ अपना पूरा जीवन समर्पित करता है। ऐसे में उसकी रक्षा का दायित्व भी सरकार का होना चाहिए।

प्रत्येक अधिवक्ता अपने दायित्व का निर्वहन निर्भय होकर स्वतंत्रता पूर्वक करे और न्याय दान के महायज्ञ में पूरी गुणवत्ता के साथ भाग ले ताकि प्रदेश का लोक जीवन सुरक्षित और सम्पन्न हो सके।इसे सुनिश्चित करने के लिए अधिवक्तओं की सुरक्षा के लिए संरक्षण अधिनियम लागू करना अत्यावश्यक है। 

यह कार्य आपकी सरकार के प्राथमिकता में है जिसका वादा आपने चुनाव पूर्व किया है लेकिन आपके द्वारा अभी तक पूरा नहीं करने से प्रदेश के समस्त अधिवक्ताओं में रोष एवं निराशा व्याप्त है।

जबकि इस सुरक्षा अधिनियम में अधिवक्ताओं को उनके कर्त्वय निर्वहन करने से रोकने या उसमें बाधा पहुंचाने के लिए उन पर हमला करने, चोट पहुंचाने धमकी देने, इत्यादि को प्रतिबंधित करते हुए दण्डित किये जाने एवं किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, दबाव पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी को दिलवाना वकीलों को केस में पैरवी करने रोकना, वकील की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा जाए।

यह सभी अपराध गैरजमानतीय अपराध हो और ऐसे अपराध के लिए 06 माह से 05 वर्ष तक की सजा के साथ साथ 10 लाख रू० का अर्थदण्ड लगाये जाने का भी प्रावधान हो तथा मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान होना चाहिए इसके अतिरिक्त अधिवक्ता को जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा का भी प्रावधान हो।

मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के पूर्व अनुमति बिना किसी अधिवक्ता के खिलाफ पुलिस कार्यवाही न हो। अधिवक्ताओं को अधिवक्ता सुरक्षा कानून का संरक्षण प्रदान किया जाए। शीघ्र ही यह कानून लागू किया जाए।

पिछले डेढ़ वर्षो से कोरोना महामारी के चलते हजारों अधिवक्ता एव उनके परिवार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।जो लाखों रूपयों के कर्ज में दब गये हैं।ऐसी स्थिति में प्रत्येक अनुमोदित अधिवक्ता को सम्मानजनक आर्थिक पैकेज की सहायता उपलब्ध कराई जाए एवं जिन अधिवक्ताओं का परिवार कोरोना संक्रमण से ग्रसित हुआ उन्हें मेडिकल खर्च दिया जाए।प्रत्येक केजुअल्टी पर दस लाख की राशि अधिवक्ता के परिवार को दिया जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता नवल पाठक, नरेश नंदे,देवधन नायक के नेतृत्व में भाजपा जिला संयोजक विधि जयनारायण प्रसाद, रामाशंकर गुप्ता, उमा सिन्हा, सुदीप मुखर्जी, दीपक चौहान, रजनीकांत मिश्रा, सुदेश गुप्ता, लालदेव भगत रामेश्वर विश्वकर्मा, रविन्द्र पाठक सुचेन्द्र सिंह,गोदो सिंह,देवेन्द्र शर्मा  की उपस्थिति में ज्ञापन दिया गया।

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