... विरोध :"पत्थरगढ़ी क्षेत्र" में मचा हड़कंप,"युध्दवीर सिंह जूदेव" के इस पत्र से मचा बवाल,बढ़ी लोगों की चिंता,टाँगरगांव के बाद अब यहां ग्रामीण आक्रोशित,हो रही विरोध की तैयारी..?

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विरोध :"पत्थरगढ़ी क्षेत्र" में मचा हड़कंप,"युध्दवीर सिंह जूदेव" के इस पत्र से मचा बवाल,बढ़ी लोगों की चिंता,टाँगरगांव के बाद अब यहां ग्रामीण आक्रोशित,हो रही विरोध की तैयारी..?

जशपुर,टीम पत्रवार्ता,19 जुलाई 2021

BY योगेश थवाईत

एक ओर जशपुर जिले के कांसाबेल टाँगरगांव प्लांट को लेकर ग्रामीण विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक युध्दवीर सिंह जूदेव के पत्र ने पत्थरगढ़ी क्षेत्र में लोगों की चिंता बढ़ा दी है।श्री जूदेव के द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में लेमरु प्रोजेक्ट को बंद कर बादलखोल अभ्यारण्य में इसे चलाने की मांग की गई है।बादलखोल पत्थरगढ़ी क्षेत्र से लगा हुआ है।यहां इस परियोजना को शुरु करने की मांग सम्बंधी पत्र की जानकारी के साथ ही स्थानीय लोगों में विरोध की सुगबुगाहट शुरु हो गई है।उन्हें अभी से अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है।दरअसल 3800 वर्ग किलोमीटर के लेमरु परियोजना को छोटे से क्षेत्र में लागू करने की मांग से ही ग्रामीण चिंतित नजर आ रहे हैं। अब शासन प्रशासन के सामने अब नई मुसीबत खड़ी हो सकती है। 

उल्लेखनीय है कि बीजेपी द्वारा 9 सदस्यीय टीम के साथ कांसाबेल के टाँगरगांव में जनसंपर्क कर ग्रामीणों का पक्ष जानने का प्रयास किया गया जहां प्लांट के विरोध में ग्रामीण नजर आए।अंततः बीजेपी को कहना पड़ा जनता जो चाहेगी वही होगा हांलाकि प्लांट की स्थापना के लिए जमीन व अन्य प्रक्रिया को लेकर बीजेपी ने कुछ नहीं कहा और अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

इधर ये मामला शांत नहीँ हुआ था कि बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक युध्दवीर सिंह जूदेव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नई मांग कर डाली जिससे बगीचा क्षेत्र के कलिया,बुटँगा,बछराँव,सिहारडांड समेत दर्जनों गांव के लोग अब एकजुट होकर विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं।वहीं टाँगरगांव प्लांट समेत लेमरु परियोजना पर बीजेपी नेताओं की दोहरी नीति से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या लिखा है जूदेव के पत्र में

माननीय मुख्यमंत्री जी "प्रणाम" उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा हाथियों के लिए लेमरू एलिफॅट कॉरिडोर परियोजना स्थापित किये जाने हेतु 2अक्टूबर 2021 को ग्राम सभा का आयोजन किया जाना सुनिश्चित किया गया है।जिसका विकास खंड उदयपुर एवं लखनपुर के ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है।तथा ग्रामीणों में काफी आकोश है।ग्रामीणों द्वारा ग्राम सभा में सहमति का प्रस्ताव किसी भी हाल में नहीं देने की बात कही जा रही है।चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए। 

उक्त परियोजना का विरोध भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ एवं माननीय श्री टीएससिंह देव जी द्वारा भी किया गया है, मैं स्वयं इस परियोजना का "विरोध" करता हूँ।

दरअसल बीजेपी शासनकाल में हाथियों के लिये सुरक्षित क्षेत्र बनाते हुए कोरबा से कोरिया तक लेमरु परियोजना को मंजूरी दी गई थी।कांग्रेस के सत्ता में आते ही खनिज व कई प्लांट की स्थापना के मद्देनजर इस परियोजना का रकबा घटाने की बात सामने आने लगी।जिसके संबंध में कई विधायकों ने शासन को पत्र भी लिखा।इस बीच बीजेपी के नेता युध्दवीर सिंह जूदेव ने भी अपने ही शासन के द्वारा बनाई गई परियोजना का विरोध शुरु कर इसे बादलखोल अभ्यारण्य में स्थापित करने की मांग कर डाली।जिसके बाद बादलखोल क्षेत्र के ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है।

उपरोक्त कारणों से लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर परियोजना को निरस्त कर दिया जाना ही उचित प्रतीत होता है।

युध्दवीर ने अपने पत्र में लिखा है लेमरु परियोजना के स्थान पर जिला जशपुर के बादलखोल में यह परियोजना स्थापित किया जाना चाहिए तथा कॉरिडोर बनाकर ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हाथियों के विचरण हेतु समुचित व्यवस्था किया जाना चाहिए। बादलखोल एलिफेंट कॉरिडोर परियोजना स्थापित हो जाने से जशपुर में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे जशपुर वासियों को रोजगार मिल सकेगा।

अतः माननीय मुख्यमंत्री जी से सादर निवेदन है कि लेमरू एलिफैट कॉरिडोर परियोजना को बादलखोल एलिफैट कॉरिडोर परियोजना में परिवर्तित करने की कर्रवाई करने की कृपा करेंगे।

एक बार जिले की शांत फिजा में फिर से विरोध के स्वर उठने शुरु हो गए हैं।आपको बता दें कि कुछ साल पहले पत्थरगढ़ी क्षेत्र में बीजेपी नेताओं के साथ पत्थरगढ़ी समर्थकों की जमकर टकराहट हुई थी जिसके बाद तनावपूर्ण माहौल निर्मित हो गया था।बीजेपी के शासनकाल में कई गिरफ्तारियों के बाद माहौल शांत हुआ था।इस बार बीजेपी नेता के उक्त पत्र ने फिर से हलचल बढ़ा दी है।अब देखना होगा कि शासन प्रशासन कैसे सामंजस्य स्थापित करती है।

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