जशपुर,टीम पत्रवार्ता,08 फरवरी 2023
By योगेश थवाईत
जिले के बगीचा शासकीय महाविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।जिसमें नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ सीडी बाखला,पुणे यूनिवर्सिटी से आए अतिथि डॉ भावना श्रीवास्तव व कांसाबेल शासकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल एमजी खाखा ने अध्यक्षता करते हुए शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों का हौसला बुलंद किया।
राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के समापन कार्यक्रम में डॉ महेश जायसवाल ने अपनी बात रखते हुए छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस जीवन का महत्व तभी है जब हम दर्शन,प्रदर्शन, स्वदर्शन,आत्म दर्शन के माध्यम से अपने पुरुषार्थ को प्रखर बनाएं।इससे न केवल हमारी क्षमता में वृद्धि होगी बल्कि हमारा आत्मिक विकास होगा जो हमें अपने कर्तव्य के प्रति हमें और भी दृढ़ बनाएगा।
कोल्हान यूनिवर्सिटी झारखंड से आए डॉ पास्कल बेक ने कहा कि बात करने से संवाद होता है।उन्होंने छात्र छात्राओं को ज्ञान हासिल करने के लिए सतत संवाद करने की सीख दी।उन्होंने बताया कि शिक्षा का आखिरी पायदान शोध होता है जिससे एक निष्कर्ष पर हम पंहुचते हैं।
डॉ पी किन्डो ने समापन के अवसर पर कहा कि जो अपने लक्ष्य के प्रति सजग होते हैं बुलंदी उनके कदम चूमती है।सतत परिश्रम का मूलमंत्र देते हुए उन्होंने छात्र छात्राओं समेत महाविद्यालय परिवार का आभार प्रकट किया।
डॉ बाखला ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि तीन दिनों तक चलने वाले उक्त संगोष्ठी में बच्चों जो ज्ञान का प्रकाश मिला है वह अक्षुण्ण बना रहेगा।छात्र छात्राओं के हौसले को बढ़ाते हुए डॉ बाखला ने कहा कि जीवन में संगीत, साहित्य के माध्यम से हम अपने जीवन को उज्ज्वल बनाएं।उन्होंने सभी बाहर से आए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
सामरबार संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य बीएम दुबे ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए सभी आयोजन कर्ताओं को बधाई दी।जशपुर के बगीचा महाविद्यालय में उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गर्व का विषय है और यह हम सबको गौरवान्वित करने वाला है।साहित्य संगीत दर्शन पुरातन काल से रोजगार और व्यक्तित्व विकास का सशक्त माध्यम है।संगीत का जन्म ऋषि पाणिनि से होता है।प्राचीन विज्ञान को उन्होंने गौरवशाली बताते हुए समस्त सृष्टि का संचालन इससे होने की बात कही।हितेन सहितं साहित्यम की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जिसमें समस्त जीवों का हित छिपा हो वह साहित्य है।छात्र छात्राओं के साथ महाविद्यालय परिवार के प्रति उन्होंने अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
कांसाबेल महाविद्यालय के प्रिंसिपल श्री खाखा ने बताया कि उक्त संगोष्ठी में लगातार तीन दिनों तक जो ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है उसमें हर छात्र छात्रा को डुबकी लगाकर ज्ञान ग्रहण करना चाहिए।संगीत,साहित्य व दर्शन जीवन के लिए अनिवार्य है।बहाव पतन का प्रतीक माना जाता है जबकि दर्शन की बात करें तो ज्ञान की ओर यदि हमारे जीवन का बहाव हो जाए तो यह हमें उत्थान की ओर ले जाता है।
महाविद्यालय के छात्राओं ने समापन कार्यक्रम के अवसर पर सांस्कृतिक नृत्य का बेहतर प्रदर्शन किया।बलरामपुर से आए सहायक प्राध्यापक जीतन राम पैंकरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सच्चा साहित्यकार चिंतक होता है।जो समाज में क्रांति लेकर आता है।
समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य शरद कुमार नेताम ने सभी अतिथियों छात्र छात्राओं का आभार जताया।सतत सहयोग की अपेक्षा के साथ उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दीं।प्रोफेसर एस कुजूर ने कार्यक्रम के तृतीय दिवस अपने संबोधन में दर्शन पर प्रकाश डाला और कहा कि साहित्य व दर्शन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।हम भविष्य की चिंता करते हैं भूतकाल की चर्चा करते हैं पर वर्तमान को भूल जाते हैं।
ज्ञान रुपी बीज से विकसित होगा क्षेत्र
युवा समाजसेवी शालिनी गुप्ता ने कहा कि महाविद्यालय में एक ऐसे बीज का बीजारोपण हुआ है जो अब ज्ञान का प्रकाश फैलाकर पल्लवित व सुशोभित हो रहा है।छात्रों को उन्होंने टिप्स देते हुए कहा हमेशा अपने उम्मीद पर कायम रहो उम्मीद को कभी खोने मत देना।
अब अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की तैयारी
छात्रा प्रीति तिग्गा ने अपना अनुभव शेयर किया।डॉ महेश जायसवाल ने भी समापन उदबोधन दिया जिसमें उन्होंने आगामी दिनों में अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार के आयोजन की बात कही।महाविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर पूनम मानिकपुरी ने मधुर प्रार्थना तेरी आराधना करूं गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
डॉ राजीव रंजन तिग्गा ने समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तीन दिनों के सेमीनार में वक्ताओं के ज्ञान को जब हम अपने जीवन में उतारेंगे तभी यह संगोष्ठी सफल मानी जाएगी।छात्र छात्राओं के व्यक्तित्व में इस संगोष्ठी का प्रभाव दिखना चाहिए।उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन से लेकर समापन तक के लिए नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ सीडी बाखला समेत समस्त विद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया।
तीन दिनों की उक्त संगोष्ठी में उदघोषक के रुप में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक आस्था तिर्की व डॉ रश्मि प्रिया टोप्पो ने सतत सहयोग प्रदान किया।
कार्यक्रम में बलरामपुर से आए शोधार्थी जितेंद्र राम पैंकरा,आत्मानंद स्कूल के प्रिंसिपल सुदर्शन पटेल,एस मिंज,जबलपुर से आए डॉ महेश जायसवाल, कोल्हान यूनिवर्सिटी से आए डॉ पास्कल बेक,पुसौर रायगढ़ से आए डॉ पी किन्डो,बीएम दुबे प्रिंसिपल गहिरा गुरु संस्कृत महाविद्यालय, प्रोफेसर एम जी खाखा प्रिंसिंपल कांसाबेल महाविद्यालय,प्रिंसिपल जेएच टोप्पो शासकीय महाविद्यालय कुनकुरी ,डॉ भावना श्रीवास्तव,श्वेता शर्मा,एस कुजूर शहडोल,बी लकड़ा कोतमा,रेणु पाठक,एस पांडेय,गोपाल प्रसाद वर्मा सामरबहार समेत अन्य अतिथि व छात्र छात्राएं शामिल रहे।
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