... खबर पत्रवार्ता : संत रामेश्वर गहिरा गुरु शासकीय महाविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन।साहित्य,संगीत,दर्शन, रोजगार व व्यक्तित्व विकास विषय पर होगी चर्चा,देश के अन्य राज्यों से आए विषय विशेषज्ञ,कलाकार।

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खबर पत्रवार्ता : संत रामेश्वर गहिरा गुरु शासकीय महाविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन।साहित्य,संगीत,दर्शन, रोजगार व व्यक्तित्व विकास विषय पर होगी चर्चा,देश के अन्य राज्यों से आए विषय विशेषज्ञ,कलाकार।

जशपुर,टीम पत्रवार्ता,07 फरवरी 2022

BY योगेश थवाईत

जिले के बगीचा में संत रामेश्वर गहिरा गुरु शासकीय महाविद्यालय में साहित्य,संगीत,दर्शन एवं रोजगार,व्यक्तित्व विकास विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।जिसमें देश के अन्य प्रदेशों से आए विशेषज्ञ आगामी तीन दिनों तक छात्र छात्राओं के समक्ष अपने विचारों का आदान प्रदान करेंगे।

उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले के बगीचा महाविद्यालय में आयोजित उक्त संगोष्ठी का शुभारंभ नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ सीडी बाखला,महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य शरद कुमार नेताम, मध्यप्रदेश से पधारे डॉ महेश जायसवाल व झारखंड से पधारे डॉ पास्कल बेक समेत डॉ राजीव रंजन तिग्गा ने किया।

रायकेरा स्थित महाविद्यालय में 6 से 8 फरवरी तक प्रतिदिन उक्त संगोष्ठी में छात्र छात्राएं भाग ले रहे हैं।कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई जिसके बाद नगर पंचायत डॉ सीडी बाखला का ओजस्वी उद्बोधन हुआ।

नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ सीडी बाखला ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जशपुर जिला काफी पिछड़ा हुआ इलाका है जहां आज भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा समाज की मुख्य धारा से दूर हैं।ऐसे समय में यह राष्ट्रीय संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी।यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि ऐसे सुदूर वनांचल बगीचा में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है।

उन्होंने विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि साहित्य समाज का दर्पण होता है।साहित्य में जितनी प्रधानता होती है  वहां समाज उतना ही मजबूत होता है।संगीत जीवन मे शांति मधुरता लेकर आता है।उन्होंने जीवन को मधुरता के साथ जीवन जीने की कला बताई।अपनी सकारात्मक सोच रखनी चाहिए एक सैद्धांतिक दर्शन के साथ जीवन में सतत आगे बढ़ने का प्रयास होना चाहिए।स्वामी विवेकानंद के दर्शन को समझाते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो।जीवन में बाधाएं आती हैं जो हमें मजबूत बनाती हैं।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए योगेश थवाईत ने छात्र छात्राओं को व्यक्तित्व निर्माण के सूत्र दिए।उन्होंने बताया कि जब हम जीवन में अवगुणों से दूर होकर अच्छे गुणों को धारण करते हैं तो हमारा व्यक्तित्व निखरता चला जाता है।छात्र छात्राओं को संगीत के माध्यम से उन्होंने नशे के भयंकर दुष्परिणाम के प्रति सचेत करते हुए नशे से दूर रहकर जीवन को सत्कर्मों में लगाने की बात कही।

कोल्हान यूनिवर्सिटी चाईबासा झारखंड से पधारे डॉ पास्कल बेक ने दर्शन को विस्तार से समझाते हुए कहा कि ज्ञान विज्ञान का समन्वय ही साहित्य का दर्शन है।संगीत एक रचनात्मक विज्ञान है। संगीत एक साधना है जिससे जीवन में अनुशासन आता है।

दर्शन का अर्थ देखना ही नहीं बल्कि दृष्टि है,ज्ञान है। दर्शन एक सोच है,दर्शन ही सभी विषयों की जननी है।कोई भी दार्शनिक ज्ञान की यथार्थता की परख करता है।

जबलपुर से आए डॉ महेश जायसवाल ने अपनी मनमोहक बाँसुरी से सबका मन मोह लिया।प्रोफेसर आस्था व डॉ रश्मि प्रिया टोप्पो ने कार्यक्तं का संचालन किया।

कार्यक्रम का परिचय देते हुए डॉ राजीव रंजन तिग्गा ने सभी अतिथियों का परिचय कराते हुए बताया कि डॉ महेश जायसवाल ऐसी हस्ती हैं जो प्रतिभा के धनी हैं।उनके नाम सबसे लंबे समय तक एक सांस में बांसुरी बजाने का रिकॉर्ड है।इंडिया बुक रिकॉर्ड,एशिया बुक रिकार्ड,हारवर्ड बुक रिकॉर्ड,लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज है जिन्होंने संगीत के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है।रायगढ़ से आए डी किंडो ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।डॉ रश्मि प्रिया टोप्पो ने सभी अतिथियों का आभार जताया।

उक्त कार्यक्रम में आत्मानंद स्कूल के शिक्षक,कन्या स्कूल के लेक्चरर समेत अन्य स्कूली स्टाफ व महाविद्यालय के शिक्षक,प्रोफेसर उपस्थित रहे।

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