... ब्रेकिंग पत्रवार्ता : समझिये " जशपुर BJP " का सियासी समीकरण,अब भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर मचा "सियासी घमासान" पुराने चेहरों को हटाकर अब नए चेहरों को बैठाने की कवायद,जिले की तीनों सीटें हारने के बाद प्रदेश बीजेपी का गहन मंथन....? अनुभवी नेताओं को मिलेगी कमान या युवा वर्ग को मिलेगा नेतृत्व ......नाम लगभग तय ? पूरी खबर सिर्फ पत्रवार्ता पर

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ब्रेकिंग पत्रवार्ता : समझिये " जशपुर BJP " का सियासी समीकरण,अब भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर मचा "सियासी घमासान" पुराने चेहरों को हटाकर अब नए चेहरों को बैठाने की कवायद,जिले की तीनों सीटें हारने के बाद प्रदेश बीजेपी का गहन मंथन....? अनुभवी नेताओं को मिलेगी कमान या युवा वर्ग को मिलेगा नेतृत्व ......नाम लगभग तय ? पूरी खबर सिर्फ पत्रवार्ता पर

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,01 अक्टूबर 2022

BY योगेश थवाईत 

प्रदेश संगठन के बदलाव के बाद अब छतीसगढ़ के कई जिलों के भाजपा जिलाध्यक्षों को बदलने की तैयारी लगभग पूर्णता की और है।बहुत जल्द प्रदेश भाजपा नए जिलाध्यक्षों के नामों को घोषणा करने वाली है।उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले की तीनों विधानसभा सीट पत्थलगांव,कुनकुरी व जशपुर में बीजेपी की बुरी तरह हार के बाद भाजपा ने जिलाध्यक्ष को बदलकर रोहित साय को जिलाध्यक्ष बनाया था।इसके बावजूद संगठन में कोई विशेष बदलाव न होने के कारण अब उन्हें भी बदलकर नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जाने की बातें सामने आ रहीं हैं।संगठन की कोशिश ये है कि हर हाल में संगठन मजबूत हो और आने वाली वाली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की फतह हो। 

बात करें जशपुर के पुराने जिलाध्यक्षों की तो जशपुर जिला बनने के साथ 1998 से कृष्णकुमार राय के जिलाध्यक्ष रहते भाजपा पत्थलगांव को छोड़कर सभी सीटों पर विजयी होती आई है।यहाँ से कृष्णकुमार राय की राजनीति ने उन्हें प्रदेश स्तर का नेता बना दिया और वे छत्तीसगढ़ सरकार में पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष भी चुने गए।इसके बाद रमन सिंह के बेहद करीबी नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई और प्रदेश कार्यकारिणी में भी उच्च पदों पर आसीन हुए।पिछले विधानसभा में बीजेपी की हार के बाद उन्होंने जशपुर जिले की राजनीति को सम्हालने का बखूबी काम किया। 

हांलाकि जशपुर बीजेपी के द्वारा अनुभवी नेताओं को दरकिनार करना पिछले विधानसभा में भारी पड़ा और परिणाम यह निकला कि जिले की तीनों विधानसभा सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई।कहीं न कहीं पुराने कार्यकारिणी को लेकर संगठन की बेहतर प्रस्तुति देखने को नहीं मिली वहीँ संगठन में गुटबाजी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा। 

कृष्ण कुमार राय के दो कार्यकाल के बाद देवेन्द्र गुप्ता को जशपुर का जिलाध्यक्ष बनाया गया।आपको बता दें कि देवेन्द्र गुप्ता अपनी बूथ स्तर तक जमीनी पकड़ रखने वाले पहले नेता थे जिनका सीधा सम्बन्ध कार्यकर्त्ता तक रहता था।इसका प्रमुख कारण यह रहा कि देवेन्द्र गुप्ता के कार्यकाल में पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव हुए जिसमें पंचायत,जनपद पंचायत  से लेकर जिला पंचायत तक अध्यक्ष उपाध्यक्ष के सीटों पर भाजपा को जीत मिली।पूरे जिले के सभी जनपद पंचायत में अध्यक्ष पद पर बीजेपी अध्यक्ष बैठे वहीँ जनपद उपाध्यक्ष पद पर मनोरा को छोड़कर सभी जनपद में बीजेपी को जीत मिली।नगरीय निकाय की बात करें तो इस दौरान बीजेपी का परचम हर जगह लहराया।सूत्रों की मानें तो ऐसे अनुभवी नेता अब पार्टी संगठन में उपेक्षित बने हुए हैं। 

इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरेश नंदे को जशपुर बीजेपी की कमान सौपी गई।बूथ स्तर तक की गहन जानकारी के साथ मंजे हुए खिलाड़ी की तरह इन्होने बीजेपी का नेतृत्व किया।और तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने का बेहतर प्रदर्शन इन्होने किया। हांलाकि पिछले नगर पालिका चुनाव में पार्षद का चुनाव हार जाने के बाद इनका राजनैतिक कैरियर डगमगा गया।इसके बाद भी वे लगातार सक्रिय राजनीति में नजर आए।

2013 के आसपास नगेशिया समाज को बीजेपी का प्रतिनिधित्व दिया गया। सुरेश राम को जशपुर बीजेपी का जिलाध्यक्ष बनाया गया और उनके नेतृत्व में जिले की सभी सीटें बीजेपी के खाते में आई।सूत्रों की मानें तो सुरेश राम नगेशिया समाज के बड़े नेता हैं जिनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ हैं।संगठन में भी उन्होंने बेहतर कार्य किया है। 

सुरेश राम के बाद ओमप्रकाश सिन्हा को जशपुर का जिलाध्यक्ष बनाया गया।हांलाकि उनके कार्यकाल में बीजेपी की तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई और उनके बाद रोहित साय को नया जिलाध्यक्ष बनाया गया। 

बहरहाल प्रदेश बीजेपी को जशपुर जिले से जिलाध्यक्ष के लिए कई नाम भेजे जाने की खबर है।जिसमें जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेन्द्र यादव का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है।युवा नेतृत्व को देखते हुए स्थानीय नेताओं की ये पहली पसंद भी हैं

इसके साथ ही जिला कार्यकारिणी के महामंत्री सुनील गुप्ता भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं।सूत्रों के हवाले से खबर है कि जिलाध्यक्ष के पद पर अब तक एससी वर्ग से अब तक किसी को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला है लिहाजा दीपक चौहान व देवधन नायक का नाम भी चर्चा में शामिल है।हांलाकि नए चेहरों के पास अनुभव की कमी है लिहाजा कम समय में अधिक तैयारी करने की दृष्टि से किसी मंजे हुए खिलाड़ी को बीजेपी जिलाध्यक्ष बना सकती है

वहीँ सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि पिछले पधाधिकारी अपनी साख बचाए रखने के लिए प्रयासरत हैं ताकि वे अपने पदों पर बने रह सकें।हांलाकि 2018 के विधानसभा चुनाव के खराब प्रदर्शन के कारण संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की जरुरत है।जिसको लेकर बीजेपी ने प्रदेश स्तर तक के नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।अब देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जिला संगठन में जिलाध्यक्ष के पद पर बीजेपी किसे बैठाती है जिससे जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर संगठन मजबूत हो सके।

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