... व्यथा : "भुखमरी" के कगार पर बस संचालक व स्टाफ,सरकार की संवेदनशीलता पर लगा प्रश्नचिन्ह..? बस व्यवसायियों ने सरकार से की ये मांग ...?

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व्यथा : "भुखमरी" के कगार पर बस संचालक व स्टाफ,सरकार की संवेदनशीलता पर लगा प्रश्नचिन्ह..? बस व्यवसायियों ने सरकार से की ये मांग ...?


पत्थलगांव,टीम पत्रवार्ता,27 अगस्त 2020

कोरोना काल में बसों के खड़े होने से बस संचालक समेत बस परिवहन सेवा से जुड़े सभी कामगारों के सामने भूखे  मरने की नौबात आ गई है।सरकार के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौपकर बस व्यवसायियों ने अपनी मांग सरकार के सामने रखी है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य के बस व्यवसायियों ने परिवहन मंत्री से मुलाकात कर कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न हुई विषम परिस्थिति के निराकरण के लिए मांग की थी जो अब मृतप्राय हो चुकी है। बस व्यवसायियों का कहना है कि बस के व्यवसाय को जीवित रखने के लिए उनकी मांगों पर शीघ्र निराकरण करने की आवश्यकता है।

18 मार्च से प्रदेश में कोरोनावायरस महामारी के कारण सभी बसें खड़ी है लगभग 6 महीने से भी ज्यादा समय तक खड़ी गाड़ियों पर डेप्रिसिएशन, किस्त पर ब्याज ,गैरेज का भाड़ा ,प्रीमियम बीमा एवं रोड टैक्स का बोझ बढ़ता ही जा रहा है बस संचालको का कहना है की पहियों के थमने से बस मालिक ,ड्राइवर, कंडक्टर ,खलासी ,पार्ट्स व्यवसाई ,बुकिंग एजेंट एवं  परोक्ष रूप से जुड़े लाखों लोग भुखमरी की हालत में आ गए हैं ऐसे में सरकार की संवेदनशीलता सवालों के घेरे में हैं वहीँ समस्त बस मालिक हताश हुआ निराश नजर आ रहे हैं।


ज्ञापन सौंपने आये बस संचालको ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में शासकीय परिवहन निगम अस्तित्व में नहीं है महामारी में निजी बस व्यवसाई भी शासन की बेरुखी का शिकार बन रहे हैं जिसके कारण सार्वजनिक परिवहन से आम जनता को हाथ धोना पड़ रहा है।

बस संचालको की मांग है कि

राज्य के समस्त बस संचालकों का सितंबर 2020 महीने से मार्च 2021 महीने तक का कर्ज माफ किया जाए।वर्तमान में मात्र दो माह से बसों एवं परमिटो के निष्प्रयोग सिमिततता के नियम को समाप्त किया जाए जो कि दिनांक 15 जनवरी 2009 की अधिसूचना के माध्यम से नियम बनाया गया था। ताकि बस संचालक गण बस संचालन ना कर पाने की स्थिति में बस को निष्प्रयोग में रख सके। पूर्व में के- फार्म एवं एम -फार्म का शुल्क मात्र दस रूपए  था जिसे अनावश्यक रूप से बढ़ाकर 1 हजार रूपये  कर दिया गया था उसे पुनः दस रूपए  या वाजिब वृद्धि किया जाए तथा कोर्ट फ़ीस टिकट के माध्यम से भी आवेदन स्वीकार किया जाए।

वर्तमान  में डीजल के मूल्य में भारी वृद्धि हो गई है इस कारण त्वरित रूप से यात्री किराया 40% तक बढ़ाया जाए,यात्री बसों से एक स्लिपर के एवज में वर्तमान में 2 सीट का कर लिया जा रहा है जो कि एक सीट का कर लिया जाए, डीजल में वेट टैक्स की राशि को 50% तक कम किया जाए, एकल क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार छत्तीसगढ़ द्वारा पूर्व सचिव क्षेत्र प्राधिकरण रायपुर,दुर्ग ,बिलासपुर ,बस्तर एवं सरगुजा को नियम 67 के तहत शक्तियों का प्रत्यायोजन किया जाए ताकि राज्य के बस संचालकों को छोटे-छोटे कार्यो के लिए रायपुर ना जाना पड़े।

परमिट के नवीनीकरण के पश्चात प्रति हस्ताक्षर ना होने की स्थिति में परमिट वैध न होने के कारण कर ना लिया जाए,व्हील  बस के आधार पर बसों के पंजीयन के नियम को समाप्त कर बसों के भौतिक सत्यापन कर उपलब्ध सिट एवं शयनयान के आधार पर बसों के पंजीयन का नियम बनाए जाए ,राज्य में संचालित सिटी बस सेवाओं की भारत सरकार की जेएनएनयूआरएम के तहत संचालित सिटी बसों को योजना के अनुरूप सिटी के भीतर चलाया जाए तथा वर्तमान संचालित सिटी बसों का परमिट रद्द किया जाए।

बहरहाल अब देखना होगा कि सरकार बस परिवहन से जुए कामगारों का नियोजन किस तरह करती है ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी नसीब हो सके। 

परिवहन मंत्री ने कही ये बात 

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