... ACTION : "कलेक्टर" ने कहा होगी जांच,मंडी प्रांगण की बेशकीमती जमीन के बंदरबाट का मामला,राज्यपाल से शिकायत के बाद खुली फाईल,अब होगी कड़ी कार्रवाई...?...देखें पूरा मामला

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ACTION : "कलेक्टर" ने कहा होगी जांच,मंडी प्रांगण की बेशकीमती जमीन के बंदरबाट का मामला,राज्यपाल से शिकायत के बाद खुली फाईल,अब होगी कड़ी कार्रवाई...?...देखें पूरा मामला


रायपुर,टीम पत्रवार्ता,09 जून 2020

जशपुर जिले के पत्थलगांव नगर पंचायत के पार्षद अजय बंसल की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल ने पत्थलगांव मंडी प्रांगण के नजूल भूमि के बंदरबाट के जांच का जिम्मा सचिव जनशिकायत निवारण विभाग को सौंपा है।मामला उस भूमि का है जो जिसकी आज की कीमत लगभग 200 करोड़ आंकी जा रही है।मामला सात दशक पुराना है जिसमें कूटरचना कर शासकीय जमीन का जमकर बंदरबाट किया गया है।जिसमें पुलिसिया एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।देखें क्या है पूरा मामला....

मामला पत्थलगांव शहर के हृदयस्थल पर स्थित मंडी परिसर की नजूल भूमि का है,जिसमें1956 के दशक से विवाद चल रहा है।यह मामला नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दुलार साय की शिकायत पर उजागर हुआ था,शिकायत में बताया गया है कि 1956 के दशक में शासन ने यहां के कृषको से लगभग 34 एकड़ जमीन ग्राम विकास के लिए  अधिग्रहित की थी,उस दौरान शासन की ओर से गांव बसाने के लिए लोगों को नजूल पट्टे बांटे जा रहे थे।जिसमें धरमजयगढ़ निवासी घीसुराम अग्रवाल को तत्कालिक कलेक्टर ने दस डिस्मील का पट्टा निवास के नाम से दिया था इसके विपरीत घीसुराम के दस डिस्मील वाले पटटे को बनवारीलाल अग्रवाल ने कुट रचना कर 12 एकड़ 27 डिस्मील बना लिया।

यह पूरा मामला फर्जीवाड़ा का था,अनेक बार इस मामले मे विवाद उत्पन्न हो चुके थे,सन् 1972 के दशक में जब प्रशासन ने इस विवादीत भूमि पर मंडी बनानी चाही तो बनवारी लाल ने उस पर आपत्ति लगा दी,प्रशासन के कार्यों मे आपत्ति लगने के बाद जब मध्यप्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच करायी तो कलेक्टर के मार्फत उस दौरान के तत्कालिक एसडीएम ने पूरा मामला फर्जी करार दे दिया,जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने एसडीएम की बातों को नजर अंदाज करते हुए बनवारी लाल से समझौता कर लिया,और तत्कालिक कलेक्टर से 7 एकड़ 65 डिस्मील का पट्टा अपने नाम हासिल कर लिया,वहीं 4 एकड 12 डिस्मील का पट्टा तत्कालिक कलेक्टर ने मंडी का विस्तार करने के लिए प्रशासन को सौंप दिया। 

जबकि मूल पट्टा ही फर्जी था, कूट रचित था,यह मामला यहीं पर जाकर शांत नहीं हुआ,बनवारी लाल अग्रवाल ने 1984 के दशक में आठ रजिस्ट्री के माध्यम से 7 एकड 65 डिस्मील जमीन को रायगढ़ के रहने वाले गोविंद अग्रवाल को बेच दी।

शिकायत के 16 साल बाद शुरु हुई जांच
यहां के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष दुलार साय ने मंडी प्रांगण की जमीन के फर्जीवाड़े की शिकायत दस्तावेजों के साथ 2000 के दशक में थाने में दर्ज करायी थी परंतु प्रशासनिक कार्यों में होने वाली लेटलतीफी के कारण दुलार साय का मामला 2016 के दौरान प्रकाश में आया।इस शिकायत के बाद पुरानी कहानी फिर से जीवित हो गयी,तत्कालिक प्रशासनिक अधिकारीयों ने जिस फर्जीवाड़े का ज़िक्र अपने दस्तावेजो में किया था,वर्ष 2016 की जांच में वहीं फर्जीवाड़ा फिर से सामने आ गया।इस बीच पूरे मामले को लेकर थाना एवं कोर्ट कचहरी के चक्कर लगते रहे,इस बीच न्यायालय ने 7 एकड 65 डिस्मील जमीन का कुछ भाग नजूल पट्टे की शर्तों के आधार पर गोविंद अग्रवाल के अधिकार क्षेत्र में दे दिया,जिस पर नगर पंचायत के पार्षद अजय बंसल की शिकायत के बाद फिर से विवाद खड़े हो गया है।

पट्टे की शर्तों का उल्लंघन
नगर पंचायत के पार्षद अजय बंसल ने 10 डिस्मील जमीन के पट्टे को कुट रचना से 12 एकड़ बनाये जाने की शिकायत के अलावा नजूल पटटे के नियम शर्तों का उल्लंघन कराने का मामला दर्ज कराया है। उन्होंने ब्लाक,जिला एवं प्रदेश स्तर तक के अधिकारियों को मंडी की जमीन मे हुये फर्जीवाड़े के संबंध मे जानकारी दी है। कहीं से उचित न्याय ना मिलता देखकर उन्होंने पिछले वर्ष प्रदेश के राज्यपाल के नाम शिकायत प्रस्तुत की थी,जिसके निराकरण के लिए राज्यपाल ने अब छत्तीसगढ शासन के सचिव जन शिकायत निवारण विभाग को पत्र् प्रेषित किया है।

पिछले सोमवार को शहर मे जिला के नवपदस्थ कलेक्टर महादेव कावरे का आगमन हुआ था,उस दौरान पार्षद अजय बंसल ने मंडी प्रांगण के फर्जीवाडे के संबंध मे शिकायत करते हुये राज्यपाल की ओर से आये जांच के आदेश व पुलिसिया एफआईआर से भी उन्हें अवगत कराया था।जिसमें कलेक्टर ने एसडीएम व एसपी को मामले में जांच के निर्देश भी दिए हैं।

जिला कलेक्टर महादेव कावरे ने मंडी प्रांगण के शिकायत की जांच की बात कही है।पत्थलगांव एसडीएम को तत्काल जांच के निर्देश दिये गये हैं।जिला कार्यालय तक दस्तावेज पहुंचने के पश्चात मामले की विस्तृत जांच कराए जाने की बात कलेक्टर ने कही है।






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