- महिला संविदा कर्मियों को भी 6 माह का मिलेगा मातृत्व अवकाश
- 505 उप अभियंता बनेंगे सहायक अभियंता
रायपुर(पत्रवार्ता.कॉम) चुनाव के नजदीक आते ही कैबिनेट की कसावट बढ़ती जा रही है,दिनों दिन धरना प्रदर्शन,आन्दोलन को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में अहम् फैसला लिया ।
मंगलवार को रमन कैबिनेट की बैठक मंत्रालय,महानदी भवन मे हुई।बैठक में
अनुकंपा नियुक्ति, महिलाओं के प्रसूति अवकाश सहित कई मुद्दों पर निर्णय
लिए गए।
वहीं सबसे महत्वपूर्ण निर्णय
नाई समाज के परंपरागत केश शिल्प कार्य
को
लेकर किया गया है।प्रदेश में अब
छत्तीसगढ़ राज्य केश शिल्पी कल्याण
बोर्ड का गठन
को केबिनेट की बैठक
में हरी झंडी दे दी गई है।
समाज कल्याण विभाग के अन्तर्गत इसका
गठन किया जाएगा.कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसलो मे संविदा पर नियोजित महिला
कर्मचारियों को भी शासकीय महिला कर्मचारियों की तरह 180 दिवस के प्रसूति अवकाश(संवैतनिक)
की पात्रता होगी।यह अवकाश दो जीवित संतानों के उपरांत हुए प्रसव पर लागू नहीं
होगा। इसके साथ ही यह अवकाश 180 दिवस अथवा संविदा नियुक्ति
की अवधि समाप्ति तक, जो भी पहले हो, के लिए होगी।
सीधी भर्ती के
तृतीय श्रेणी के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए 10 प्रतिशत के सीमा बंधन को एक
बार के लिए डेढ़ माह तक की अवधि के लिए शिथिल किया जाएगा।
जल संसाधन विभाग में उप
अभियंताओं का सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए सहायक अभियंता के 505 सांख्येत्तर पद की स्वीकृति
प्रदान की गई।
नाई समाज के परंपरागत केश शिल्प के संरक्षण और उनके व्यवसाय के
संवर्धन के लिए समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत “छत्तीसगढ़ राज्य केश शिल्पी
कल्याण बोर्ड ” का गठन किया जाएगा. आज की जीवन शैली के केश शिल्प के
विशेष महत्व को देखते हुए बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया है.
बोर्ड में एक अध्यक्ष और केश शिल्प के क्षेत्र में
कार्यरत सामाजिक समुदाय से 2 सदस्य होंगे, जिनमें कम से कम 1 महिला होगी. वित्त, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, समाज कल्याण, श्रम, नगरीय प्रशासन एवं विकास
विभाग, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा, रोजगार तथा विज्ञान
प्रौद्योगिकी विभागों के प्रतिनिधि इसमें शामिल रहेंगे, जो उप सचिव स्तर से कम के
नहीं होंगे।
बोर्ड द्वारा परंपरागत केश शिल्प में संलग्न समुदाय का समग्र विकास
सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिए जाएंगे। केश शिल्प में संलग्न कर्मगारों के
सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षणिक उत्थान के लिए
नीति तैयार कर उनकी अनुशंसा शासन को दी जाएगी।
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