... BREAKING पत्रवार्ता : देखिए कटहल खाने पंहुचा हाथी,ग्रामीणों ने बना लिया VIDEO,दहशत में ग्रामीण,रतजगा करने को मजबूर,लगातार वन विभाग की गश्ती के बावजूद गाँव की ओर हाथी का रुख,ग्रामीण करते रहे पहरा,मादा हाथी से दूरी समेत ये हैं हाथी के आतंक का प्रमुख कारण,DFO ने बताई ये बात।

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BREAKING पत्रवार्ता : देखिए कटहल खाने पंहुचा हाथी,ग्रामीणों ने बना लिया VIDEO,दहशत में ग्रामीण,रतजगा करने को मजबूर,लगातार वन विभाग की गश्ती के बावजूद गाँव की ओर हाथी का रुख,ग्रामीण करते रहे पहरा,मादा हाथी से दूरी समेत ये हैं हाथी के आतंक का प्रमुख कारण,DFO ने बताई ये बात।

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,08 जुलाई 2022 

BY योगेश थवाईत 

इन दिनों जशपुर जिले में हाथी की समस्या से ग्रामीण खासे दहशत में हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद लोग दहशत  के साए में जीने को मजबूर नजर आ रहे हैं।पिछले डेढ़ महीने से 30 से 35 हाथियों के दल ने जमकर तबाही मचाई हुई है जिसमें लगातार जानमाल की क्षति हो रही है। इसके बावजूद वन अमला गहरी नींद में सोया हुआ नजर आ रहा है। हाथियों के सुरक्षित स्थल बादलखोल अभ्यारण्य को लकड़ी तस्करों ने पेड़ काटकर आधा कर दिया है ऐसे में अब जिले में हाथियों के लिए सुरक्षित स्थान नहीं रह गया जिसके कारण भोजन की तलाश में आए दिन हाथी गाँव की ओर  रुख कर रहे हैं। हांलाकि जिले के डीएफओ सतत हाथी की समस्या से जूझते हुए इसके निदान के प्रयास में लगे हुए हैं इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। 

देखिए कटहल खाते  वीडियो 

ताजा मामला है बीती रात का जहाँ नारायणपुर वनकोम्बो से लगे जामचुआं सुखापोखर इलाके में लगभग 5 दंतैल हाथियों को ग्रामीणों ने कटहल खाते देखा और टार्च को रौशनी में उसका वीडियो बना लिया।क्षेत्र के जन प्रतिनिधि विकास नाग ने बताया कि उन्होंने गाँव के सारे कटहल हटवा दिए हैं वहीँ गाँव के किनारे कुछ कटहल के पेड़ में अब भी फल लदे  हुए हैं जिसके कारण हाथी उनके गाँव के किनारे आ गया। 

उन्होंने बताया कि वन अमले को सुचना देने के बाद भी उनकी मदद के लिए वन विभाग का कोई कर्मचारी नहीं पंहुचा और उन्होंने अपने स्तर से ही पहरेदारी करते हुए हाथी को जंगल की ओर  खदेड़ा।तीन दंतैल एक साथ दिखे वहीँ उन्होंने बताया कि 2 दंतैल उसके साथ पीछे की ओर थे जो अँधेरे के कारण नहीं दिख रहे थे।  

जानकार बताते हैं कि वर्तमान समय में जशपुर जिले में जो हाथी घूम रहे हैं उसमें अधिकतर मादा हाथी है जिनके शावक भी हैं और मादा हाथी पूरा समय अपने बच्चों को देती है।इस दौरान वह नर हाथी से सम्बन्ध नहीं बनाती वहीँ जो जवान नर हाथी हैं उनको मादा हाथी अपने दल  से दूर रखती हैं। जिसके कारण नर दंतैल स्वतंत्र होकर घूम रहे हैं। अमूमन लगभग 3 महीने का समय मादा हाथी आने बच्चो के साथ बिताती है। लिहाजा जिले के लोगों को आने वाले डेढ़ महीने कठिन संघर्ष के साथ हाथी से जानमाल की रक्षा करनी होगी। 

डीएफओ जितेंद्र  उपाध्याय ने बताया कि वाईल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ अंकित समेत 4 महावत जशपुर जिले में हाथियों की स्टडी कर के गए हैं ।हाथियों से सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लगातार गश्ती दल निगरानी कर रहा है इसके बावजूद अलग अलग दलों में हाथी घूम रहे हैं। ग्रामीणों से उन्होंने अपील की है कि हाथी को टार्च न दिखाएं इससे हाथी और गुस्सैल हो जाता है और आक्रामक हो सकता है।फिलहाल नारायणपुर,बोकना,चटकपुर,खारीझारिया समेत जामचुआं इलाके में हाथियों का दल मौजूद हैं जिस पर वन विभाग नजर बनाए हुए हैं।  

    

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