... विडंबना : "नारकीय" जीवन जीने को मजबूर,राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र" पहाड़ी कोरवा, "बिना तार के खम्भे" , "न सड़क",न बिजली,न पानी, "नगर पंचायत बेसुध" प्रधानमंत्री की महत्त्वकांक्षी योजना PM आवास का भी नहीं मिल रहा लाभ,बदहाल जीवन जीने को मजबूर ......"पहाड़ी कोरवा",जमीनी हकीकत से विकास कोसों दूर...?

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विडंबना : "नारकीय" जीवन जीने को मजबूर,राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र" पहाड़ी कोरवा, "बिना तार के खम्भे" , "न सड़क",न बिजली,न पानी, "नगर पंचायत बेसुध" प्रधानमंत्री की महत्त्वकांक्षी योजना PM आवास का भी नहीं मिल रहा लाभ,बदहाल जीवन जीने को मजबूर ......"पहाड़ी कोरवा",जमीनी हकीकत से विकास कोसों दूर...?

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,30 अगस्त 2021

इन दिनों हम आपको ऐसी हकीकत से रुबरु कराने जा रहे हैं जहाँ आजादी के 75 साल बाद भी विकास की किरण नहीं पंहुच पाई है।आज भी नगर मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दुरी पर पहाड़ी कोरवा जनजाति नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।यहाँ न तो बिजली है,न पानी है,न सड़क है और न तो रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास।जब मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को नहीं मिलती इसके लिए शासन की महत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाला सिस्टम,जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी, व जन प्रतिनिधि  सीधे तौर पर जिम्मेदार माने जा सकते हैं

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा जनजाति के उत्थान के नाम पर यूँ  तो तमाम योजनाएं बनती हैं।जो भ्रष्ट व्यस्था तंत्र के कारण विकास के दावों से कोसों दूर हो जाती है।ऐसी ही बदहाल व्यवस्था के साथ नगर पंचायत बगीचा के वार्ड 10 के पहाड़ी कोरवाओं के साथ अन्य लोग बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं।

2 साल से खाली पड़े हैं बिजली के खम्भे

नगर पंचायत बगीचा के वार्ड 10 टोंगरीपारा में दर्जनों पहाड़ी कोरवा परिवार के साथ अन्य वर्ग के लोग निवास करते हैं जहाँ निकाय चुनाव से पहले शासकीय योजना के तहत बिजली विभाग के द्वारा दर्जनों बिजली के खम्भे लगाए गए थे।लगभग 2 साल बीतने के बाद भी आज तक विभाग व ठेकेदार की लापरवाही के कारण दर्जनों खम्भों में बिजली के तार नहीं लगे हैं जिसके कारण न तो स्ट्रीट लाईट जल सकती है न ही किसी का घर रोशन हो सकता है।जहां आए दिन साँप, बिच्छु का डर बना रहता है और यहां के लोग अंधेरे में आना जाना करते हैं।

आज भी यहाँ के पहाड़ी कोरवा अँधेरे में बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।मामले में वार्ड पार्षद श्रीमती प्रेमा थवाईत ने कई बार उक्त समस्या को लेकर स्थानीय विधायक,स्थानीय प्रशासन,नगर पंचायत अध्यक्ष सीडी बाखला ,उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता का ध्यान आकृष्ट कराया,परिषद् की बैठक में भी कई बार उन्होंने समस्या रखी।इसके बावजूद उक्त समस्या का कोई समाधान नहीं निकला।

जब मामले की जानकारी मीडिया को हुई तो सम्बंधित अधिकारी श्री निराला से बात की गई तो पता चला कि जिस ठेकेदार को काम दिया गया था वह ब्लेक लिस्टेड हो गया है और अब नए ठेकेदार से काम कराया जा रहा है।उन्होंने बताया कि डेढ़ महीने पहले सम्बंधित ठेकेदार को निर्देशित किया गया है उसने काम पुरा कर दिए जाने की जानकारी दी थी।जब मिडिया के माध्यम से खाली खम्भों की तस्वीर साहब को दिखाई गई तो ठेकेदार की सारी पोल खुल गई और आनन फानन में तत्काल उन्होंने सम्बंधित ठेकेदार को काम पुरा करने का निर्देश दिया है।

न सड़क,न पानी 

वार्ड 10 रौनी रोड से लगे पहाड़ी पर बसे पहाड़ी कोरवा इस कदर बदहाल हैं कि उन्हें सुगम सड़क तक मयस्सर नहीं।आज तक यहाँ सड़क नहीं बन पाई है।जहाँ कभी सड़क हुआ करती थी वहां लोगों का कब्ज़ा है और जहाँ वर्तमान में पगडण्डी सड़क है वह लगातार अतिक्रमण की चपेट में है।

स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप से आसानी से यहाँ सड़क के लिए स्थान निकाला जा सकता है।पहाड़ी पर बसे लोगों तक पंहुचने के लिए अब तक सड़क को लेकर पहल नहीं की गई है वहीं पुराना सड़क बंद हो गया है जिससे लोग परेशान हैं।

वहीँ पेयजल की समस्या आज भी बनी हुई है।वैसे तो क्रेडा के तहत सैकड़ों सोलर पम्प लगाए जा रहे हैं पर जहाँ जरुरत है वहां की अनदेखी की जा रही है।आज भी यहाँ के नागरिक दूर जाकर पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं ।यहाँ पहाड़ी पर कोई बोरिंग भी नहीं जिसका लाभ यहाँ के लोगों को मिल सके।आसपास के बोरिंग में भी गंदा पानी आता है जो पीने योग्य नहीं।

कोरवा बस्ती में एक भी PM आवास नहीं 

जब बात हो गरीबी दूर करने की,लोगों को सुविधा देने की,किसी का जीवन स्तर ऊपर उठाने की तो तैयार होती है शासकीय योजना जो पात्रता के मापदंडों को पुरा करने के बाद लोगों तक पंहुचती है।नगर पंचायत बगीचा में ठीक इसके विपरीत गंगा बह रही है।जहाँ जरुरतमंदों को शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।आज तक यहाँ पहाड़ी कोरवाओं समेत अन्य वर्ग को एक भी प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत नहीं हुआ है।यहाँ के वार्ड वासियों का कहना है कि यहाँ घास जमीन होने का हवाला दिया जाता है जबकि नगर पंचायत के अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से दर्जनों पीएम आवास शासकीय जमीन पर स्वीकृत किए जा चुके हैं और उनका भुगतान भी किया जा चुका है फिर उनके लिए अलग नियम क्यों ..? 

"मामले में वार्ड पार्षद श्रीमती प्रेमा थवाईत का कहना है कि लगातार यहाँ की समस्याओं को उनके द्वारा शासन प्रशासन तक पंहुचाया जा रहा है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।निकाय के अन्य वार्डो में सड़क व अन्य निर्माण कार्य का प्रस्ताव शासन से स्वीकृत कराया गया है जबकि इस वार्ड को उपेक्षा की जा रही है।उन्होंने सड़क,बिजली,पानी की बहुप्रतीक्षित मांग व अन्य मूलभूत सुविधाओं की अव्यवस्था को तत्काल दुरुस्त न किए जाने पर वार्डवासियों के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन की बात कही है।"


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