रायपुर, टीम पत्रवार्ता, 11 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में आज एक बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बहुचर्चित शराब घोटाले में कड़ी कार्रवाई करते हुए 22 वरिष्ठ आबकारी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह निर्णय राज्य में भ्रष्टाचार पर सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का स्पष्ट उदाहरण है।
3200 करोड़ के शराब घोटाले में संलिप्त अधिकारियों पर यह अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई मानी जा रही है। वर्ष 2019 से 2023 के बीच हुई इस संगठित अनियमितता में आबकारी अधिकारियों पर 88 करोड़ रुपये की अवैध कमाई और संपत्तियों के अर्जन का आरोप है।
EOW और ACB की जांच में हुआ खुलासा
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की गहन जांच में यह सामने आया कि पूरे घोटाले को एक संगठित सिंडिकेट के माध्यम से संचालित किया गया। इस कड़ी में जिन 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें आबकारी उपायुक्त, सहायक आयुक्त और जिला आबकारी अधिकारी स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
निलंबित अधिकारियों के नामों में शामिल हैं
अनिमेष नेताम, अरविन्द कुमार पाटले, नीतू नोतानी, नोहर सिंह ठाकुर, विजय सेन शर्मा, प्रमोद कुमार नेताम, नवीन प्रताप सिंह तोमर, सौरभ बख्शी, प्रकाश पाल, जनार्दन सिंह कौरव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी।
भ्रष्टाचार के हर मामले में कार्रवाई
मुख्यमंत्री श्री साय ने स्पष्ट किया कि शराब घोटाले के साथ-साथ डीएमएफ घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला, तेंदूपत्ता घोटाला, PSC-2021 परीक्षा घोटाला, CGMSC, और भारतमाला योजना से जुड़े अनियमितताओं की भी सघन जांच जारी है। दोषियों को चिन्हित कर एक-एक कर कार्रवाई की जा रही है। कई मामलों में CBI और EOW की जांच जारी है।
सुशासन की दिशा में कई बड़े सुधार
FL-10 नीति समाप्त, होलोग्राम अनिवार्य कर नकली शराब पर रोक।
खनिज ट्रांजिट पास प्रणाली ऑनलाइन, लकड़ी की ई-नीलामी प्रणाली शुरू।
जेम पोर्टल से खरीद अनिवार्य, ई-ऑफिस प्रणाली लागू।
350 से अधिक प्रशासनिक सुधार, सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 लागू।
सुशासन और अभिसरण विभाग की स्थापना।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश
"हम भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो। हमारा लक्ष्य पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदार प्रशासन देना है।"— विष्णु देव साय, मुख्यमंत्री
विशेष टिप्पणी
छत्तीसगढ़ में यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक इतिहास की सबसे बड़ी अनुशासनात्मक पहल है, बल्कि यह संदेश भी है कि अब भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं। यह कदम राज्य में सुशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।
।। टीम पत्रवार्ता।।
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